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कोरबा, 25 जून। जिले के कटघोरा में मिले पहले लिथियम ब्लॉक की नीलामी हो गई है जो 76.05 प्रतिशत प्रीमियम पर मैकी साउथ माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड को हासिल हुआ है। इसके शुरू हो जाने से न केवल कोरबा जिले के विकास को बल्कि छत्तीसगढ़ राज्य के राजस्व में भी वृद्धि होगी और विकास के नए रास्ते खुलेंगे।
केंद्रीय खान मंत्रालय की ओर से जानकारी दी गई है कि साउथ माइनिंग छत्तीसगढ़ में कटघोरा लिथियम और दुर्लभ पृथ्वी तत्व (आरईई) ब्लॉक के लिए पसंदीदा बोलीदाता के रूप में सामने आई है।
ज्ञात हो कि केंद्रीय कोयला और खान ने खनिजों की नीलामी के चौथे दौर में 21 ब्लॉक बिक्री के लिए रखे थे। इन ब्लॉकों में से 11 अरुणाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक सहित राज्यों में नए ब्लॉक हैं। खान सचिव वी एल कांता राव ने कहा है कि खान मंत्रालय यह सुनिश्चित करेगा कि महत्वपूर्ण खनिजों से उत्पादन बहुत जल्द शुरू किया जाए।
ज्ञात हो कि कटघोरा के घुचापुर गांव के आस पास के 250 हेक्टेयर क्षेत्र में लिथियम पाए जाने की पुष्टि जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने की थी। केंद्रीय खान मंत्रालय ने 29 नवंबर 2023 को इसकी नीलामी की प्रक्रिया शुरु कर दी थी। कॉमर्शियल माइनिंग के तहत खदानों को केंद्र सरकार नीलामी के माध्यम से निजी कंपनी को सौंपती है। कटघोरा के लिथियम ब्लॉक के लिए ओला, वेदांता, जिंदल, श्री सीमेंट, अडाणी समूह, अल्ट्राटेक सीमेंट सहित कई बड़ी कंपनियों के अलावा अर्जेंटीना की भी एक कंपनी ने बोली में भाग लिया था। नीलामी में पश्चिम बंगाल की कंपनी मैकी साउथ माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड (एमएसएमपीएल) ने बाजी मारी है।
कटघोरा के लिथियम आरईई ब्लॉक के लिए कंपोजिट लाइसेंस दिया गया है. इसमें परीक्षण और खनन दोनों का ही अधिकार शामिल हैं। कटघोरा के साथ ही कश्मीर के रियासी स्थित लिथियम ब्लॉक की भी नीलामी शुरू की गई थी। शुरुआती दौर में इसके लिए समुचित बोलीदार आगे नहीं आए थे, तब इसकी ऑनलाइन नीलामी प्रक्रिया रोकनी पड़ी। कटघोरा में देश का पहला लिथियम खदान बनेगा। कटघोरा का लिथियम ब्लॉक देश का ऐसा पहला खनन प्रोजेक्ट होगा जिसके लिए कंपोजिट लाइसेंस दिया गया है।
लिथियम खदान शुरू होने से सिर्फ कोरबा ही नही छत्तीसगढ़ और देश में समृद्धि के द्वार खुलेंगे। कटघोरा आधारभूत सुविधाओं से युक्त मैदानी इलाके में है। इसके चलते यहां निवेशकों का रुझान अधिक है। लिथियम खनन शुरू होने के बाद इससे जुड़ी कंपनियां काम शुरू करेंगी। तकनीकी एक्सपर्ट और संसाधनों के विकास के लिए भी लोगों की आवश्यकता होगी। इससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे। प्रदेश में विकास के लिए तय राशि, रॉयल्टी और डीएमएफ के लिए भी इससे सहयोग मिलेगा जो करोड़ो में होगा।