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पहली कोरोना वैक्सीन में अमरीका को बड़ी कामयाबी
15-Jul-2020 10:03 AM
पहली कोरोना वैक्सीन में अमरीका को बड़ी कामयाबी

डॉ. एंथोनी फाउची

27 जुलाई से तीस हज़ार लोगों पर परीक्षण

अमरीका में टेस्ट की गई पहली कोविड-19 वैक्सीन से लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली को वैसा ही फ़ायदा पहुंचा है जैसी उम्मीद वैज्ञानिकों ने की थी.

अब इस वैक्सीन का अहम ट्रायल किया जाना है.अमरीका के शीर्ष विशेषज्ञ डॉ. एंथोनी फाउची ने समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस से कहा,'’आप इसे कितना भी काट-छांट कर देखो तब भी ये एक अच्छी ख़बर है.' इस ख़बर को न्यू यॉर्क टाइम्स ने भी प्रकाशित किया है.

नेशनल इंस्टिट्यूट्स ऑफ़ हेल्थ और मोडेरना इंक में डॉ. फाउची के सहकर्मियों ने इस वैक्सीन को विकसित किया है.

अब 27 जुलाई से इस वैक्सीन का सबसे अहम पड़ाव शुरू होगा. तीस हज़ार लोगों पर इसका परीक्षण किया जाएगा और पता किया जाएगा कि क्या ये वैक्सीन वाक़ई कोविड-19 से मानव शरीर को बचा सकती है.

मंगलवार को शोधकर्ताओं ने 45 लोगों पर किए गए टेस्ट के नतीजे जारी किए. इनका बेसब्री से इंतज़ार किया जा रहा था.

इन वॉलंटियर्स के शरीर में न्यूट्रालाइज़िंग एंटी बॉडी विकसित हुई हैं. ये एंटीबॉडी इंफ़ेक्शन को रोकने के लिए अहम होते हैं.

रिसर्च टीम ने न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ़ मेडिसिन में लिखा है कि वैक्सीन लेने वाले वॉलंटियर के रक्त में उतने ही एंटीबॉडी मिले हैं जितने कोविड-19 से ठीक हुए मरीज़ों के शरीर में मिलते हैं.

शोध का नेतृत्व करने वाली सिएटल के केसर परमानेंट वॉशिंगटन रिसर्च इंस्टिट्यूट से जुड़ीं डॉ. लीसा जैकसन कहती हैं, परीक्षण में आगे बढ़ने और ये पता करने के लिए कि क्या ये वैक्सीन वाक़ई में इंफ़ेक्शन से बचा सकती है, ये ज़रूरी बिल्डिंग ब्लॉक है.

अभी कोई गारंटी नहीं है कि अंतिम नतीजे कब मिलेंगे लेकिन सरकार को उम्मीद है कि साल के अंत तक ट्रायल पूरा कर लिया जाएगा. वैक्सीन विकसित करने के लिए लिहाज से देखा जाए तो ये रिकॉर्ड स्पीड है.

इस वैक्सीन के दो टीके दिए जाएंगे जिनके बीच एक महीने का फासला होगा.इस वैक्सीन को कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं है.

लेकिन शोध में शामिल आधे से ज़्यादा लोगों ने फ्लू जैसा रिएक्शन दर्ज किया है. ऐसा दूसरी वैक्सीन के साथ होना असामान्य बात नहीं है.

टीकाकरण के बाद सिर दर्द, ठंडा महसूस करना,बुख़ार आना या टीके की जगह दर्द होना आम बात है. जिन तीन प्रतिभागियों को अधिक मात्रा में डोज़ दी गई थी उनमें ये रिएक्शन अधिक गंभीर थे. अब उस मात्रा का परीक्षण नहीं किया जा रहा है.

कुछ रिएक्शन कोरोना वायरस संक्रमण के लक्षण जैसे ही हैं, लेकिन वो अस्थायी हैं. ये एक दिन तक रहते हैं और टीका लगाए जाने के तुरंत बाद दिखने शुरू हो जाते हैं.

वांडरबिल्ट यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर से जुड़े शोधकर्ता डॉ. विलियम शाफ़नर कहते हैं कि ये कोरोना जैसी महामारी से सुरक्षा की छोटी सी क़ीमत है. डॉ. शाफ़नर इस शोध से जुड़े हुए नहीं है.

उन्होंने वैक्सीन के शुरुआती नतीजों को अच्छा क़दम बताया है. उन्हें उम्मीद है कि दवा के अंतिम ट्रायल से पता चल सकेगा कि ये सुरक्षित और प्रभावी है या नहीं. ये नतीजे अगले साल की शुरुआत तक मिल जाएंगे.

शाफनर कहते हैं कि ये शानदार होगा, बशर्ते सब कुछ अपने समय पर हो.मंगलवार को शुरुआती नतीजे आने के बाद अमरीकी शेयर बाज़ार में मोडेरना इंक के शेयरों के दाम पंद्रह प्रतिशत तक बढ़ गए.

अमरीका के मैसाचुसेट्स के कैंब्रिज स्थित इस कंपनी के शेयर इस साल चार गुणा तक बढ़ गए हैं. मंगलवार को जो शोध नतीजे जारी किए गए हैं उसमें सिर्फ़ युवा शामिल थे. आगे होने जा रहे टेस्ट में बुज़़ुर्गों को भी शामिल किया जा रहा है. कोविड-19 महामारी से सबसे ज़्यादा प्रभावित बुज़ुर्ग ही हुए हैं.

समाचार एजेंसी एसोसिएडेट प्रेस के मुताबिक शोध के नतीजे अभी सार्वजनिक नहीं हुए हैं और नियामक उनका विश्लेषण कर रहे हैं.

फाउची का कहना है कि अंतिम दौर के परीक्षणों में बुज़़ुर्गों को भी शामिल किया जाएगा. इसके अलावा गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों पर भी परीक्षण किया जाएगा. इस वायरस का सबसे ज्यादा असर उन लोगों पर ही हुआ है जो पहले से किसी ना किसी बीमारी से पीड़ित थे.

यही नहीं अमरीका में काले और लातिन मूल के लोग भी इस संक्रमण से ज़्यादा प्रभावित हुए हैं.दुनिया भर में क़रीब दो दर्जन वैक्सीन अपने ट्रायल के अंतिम चरण में हैं. चीन और ब्रिटेन की ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन भी जल्द ही परीक्षणों के अंतिम चरण में आ रही हैं.

तीस हज़ार लोगों पर होने जा रहा इस वैक्सीन का शोध अब तक कोरोना की संभावित वैक्सीन का सबसे बड़ा शोध होगा.

हालांकि ये वैक्सीन अकेली ऐसी वैक्सीन नहीं है जिसका इस बड़े पैमाने पर परीक्षण होगा. सरकार ऑक्सफ़र्ड की वैक्सीन और जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन पर भी बड़ा शोध करने की तैयारी कर रही है. इसके अलावा फ़ाइज़र कंपनी की वैक्सीन का भी बड़े पैमाने पर अध्ययन होगा.

लोग इन शोध के लिए स्वयंसेवक के तौर पर अपना पंजीकरण करा सकते हैं. डॉ.फाउची कहते हैं कि लोगों को लगता है कि इस दौड़ में कोई एक वैक्सीन जीतेगी लेकिन मैं सबका हौसला बढ़ा रहा हूं.वो कहते हैं, हमें कई वैक्सीन चाहिए, हमें पूरी दुनिया के लिए वैक्सीन चाहिए, न कि किसी एक ही देश के लिए.

दुनिया भर में सरकारें वैक्सीनों में निवेश कर रही हैं, ताकि किसी वैक्सीन के प्रभावी सिद्ध होने पर समय पर टीकाकरण किया जा सके. (बीबीसी) 

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