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मप्र में बासमती का जीआई टैग बनता सियासी मुद्दा
18-Aug-2020 3:18 PM
मप्र में बासमती का जीआई टैग बनता सियासी मुद्दा

संदीप पौराणिक  

भोपाल, 18 अगस्त (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा उप-चुनाव के मद्देनजर बासमती चावल को जीआई टैग देने का मामला सियासी मुददा बनने लगा है। कांग्रेस और भाजपा एक दूसरे पर हमलावर है, साथ ही अपने को किसानों का सबसे बड़ा हितैषी बताने में लग गई है।

ज्ञात हो कि मध्य प्रदेश के बासमती चावल को जीआई टैग दिलाए जाने का मामला फि लहाल सर्वोच्च न्यायालय में है। मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा मध्य प्रदेश की जीआई टैग की याचिका खारिज किए जाने के बाद राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील की है। पिछले दिनों पंजाब के मुख्यमंत्री अमरेंदर सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मध्य प्रदेश को जीआई टैग देने पर विरोध दर्ज कराया था। उसके बाद से बासमती चावल को जीआई टैग दिलाने का मसला धीरे-धीरे सियासी मुद्दा बनने लगा है।

राज्य में 27 विधानसभा क्षेत्रों में उप-चुनाव होने वाले हैं। इनमें से अधिकांश स्थान ग्रामीण बाहुल्य वाले हैं, लिहाजा दोनों दलों के लिए किसानों की बात करना मजबूरी हो गया है। वर्तमान में राजनेता और राजनीतिक दलों को बासमती चावल को जीआई टैग का मुद्दा मिल गया है और दोनों ही दल अपनी-अपनी तरह से बात उठाते हुए एक-दूसरे पर हमला बोल रहे हैं और बासमती को जीआई टैग न मिलने के लिए जिम्मेदार भी ठहरा रहे हैं।

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय िंसंह ने कहा है कि पिछले कुछ वषरें में राज्य के कई जिलों में बासमती धान की पैदावार काफी होने लगी है। उन्होंने कहा, यूपीए की सरकार के समय मेरी ओर से प्रयास किए गए थे कि जीआई टैग मिले। हैरानी इस बात की है कि शिवराज सिंह चौहान अपने कार्यकाल में इस मांग को नहीं उठा पाए। पिछले 13-14 साल मुख्यमंत्री रहे, अब वर्तमान में कृषि मंत्री नरेंद्र सिह तोमर भी राज्य के ही हैं। राज्य और केंद्र में भाजपा की सरकार है। अब आखिर क्या दिक्कत है।

दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज िंसंह चौहान को पत्र लिखकर कहा, प्रदेश के किसानों के हित में बासमती चावल सहित अन्य कृषि उत्पादों की उनकी श्रेष्ठता के आधार पर जी आाई टैग दिलवाये जाने के लिए दिल्ली चलिए और सभी सांसदों के साथ प्रधानमंत्री आवास पर धरना दीजिये। दलीय राजनीति से हटकर मैं भी आपके धरने में शामिल होने के लिये तैयार हूँ। आप यदि प्रधानमंत्री के सामने किसानों की मांग को लेकर धरना देने के लिए तैयार हैं तो तारीख से अवगत कराने का कष्ट करें।

पूर्व मुख्यमंत्री सिंह को जवाब देने के लिए कृषि मंत्री कमल पटेल आगे आए हैं। उनका कहना है, दिग्विजय सिंह बहुत देरी से जागे हैं। राज्य में 15 माह कमल नाथ की सरकार रही है और उसे दिग्विजय सिंह ही चलाते रहे हैं, उस दौरान सिर्फ लूट में लगे रहे। तब उन्हें जीआई टैग की याद नहीं आई। मद्रास उच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखने और सर्वोच्च न्यायालय में अपील तक करने की नहीं सोची। अब तो पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह जो कांग्रेस के है वे ही मध्य प्रदेश को जीआई टैग दिए जाने का विरोध करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख रहे हैं। वास्तव में दिग्विजय सिंह को पंजाब के मुख्यमंत्री को पत्र लिखना चाहिए कि वे मध्य प्रदेश का विरोध न करें।

पटेल ने आगे कहा कि किसानों के मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सजग हैं और उन्होंने सरकार की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में अपील की है जिसे स्वीकार कर लिया गया है। भरोसा है कि राज्य को जीआई टैग मिलेगा।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य में विधानसभा के उप-चुनाव में दोनों ही राजनीतिक दलों को मुद्दों की तलाश है, लिहाजा वे हर संभव यह कोशिश कर रहे हैं कि किसी भी तरह जनता और वगरें को यह संदेश पहुंचा सके कि वो उनके हितों की लड़ाई के लिए तैयार है। उप-चुनाव उन क्षेत्रों में होने वाले हैं जहां किसानी से जुड़ा वर्ग बड़ा मतदाता है, इसलिए बासमती को जीआई टैग का मुद्दा उन मतदाताओं का दिल जीतने की जुगत से ज्यादा कुछ नहीं है। दोनों दलों की सरकारें रही, उस दौरान उन्होंने क्या किया, इसका भी तो ब्यौरा दें, वास्तव में इसका जवाब किसी के पास नहीं है।

 

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