राष्ट्रीय
अवमानना मामले में दोषी पाए जाने के बाद वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने अपने दो ट्वीट के लिए माफी मांगने से इंकार कर दिया है। प्रशांत भूषण ने कहा कि उन्हें अदालत की अवमानना मामले में सजा मिलने का डर नहीं है। वहीं, दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। बता दें कि, प्रशांत भूषण न्यायपालिका पर किए गए दो ट्वीट को लेकर अदालत की अवमानना मामले में दोषी करार दिए गए हैं।
इस पर पूर्व केंद्रीय मंत्री, पत्रकार और लेखक अरुण शौरी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि अगर कोर्ट प्रशांत भूषण के ट्वीट से नाराज़ है तो कानून के मुताबिक उन्हें अदालत में अपना पक्ष रखने का मौका मिलना चाहिए। बता दें कि, अरुण शौरी ने पत्रकार एन राम और प्रशांत भूषण के साथ मिलकर सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होने कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट एक्ट की धारा 2(सी) (आई) को चुनौती दी थी। हालांकि, बाद में याचिका वापस ले ली थी।
द इंडियन एक्सप्रेस के साथ इंटरव्यू में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी से पूछा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि प्रशांत भूषण के दो ट्वीट सुप्रीम कोर्ट में लोगों के विश्वास को कम करने का काम करेंगे और यह हमारे देश में ‘लोकतंत्र के केंद्रीय स्तंभ’ को कमजोर करते हैं। ऐसे में आप किसकी तरफ हैं?
इस पर शौरी ने कहा कोर्ट ने कहा है कि भूषण के ट्वीट निचली न्यायपालिका को भयभीत करेंगे। जब सुप्रीम कोर्ट खुद की रक्षा नहीं कर सकती तो हमारी रक्षा क्या करेगी? इसके अलावा ये दो ट्वीट विदेशों में भारत की छवि को कम कर देंगे। भारत को एक लोकतंत्र के रूप में देखा जाता है और ये ट्वीट उस लोकतंत्र के केंद्रीय स्तंभ को कमजोर करते हैं। ट्विटर का विज्ञापन करने वाली कंपनी को इससे बेहतर विज्ञापन नहीं मिल सकता ‘आइये और ट्विटर से जुडिय़े, यह फ्लैटफॉर्म कितना ताकतवर है कि सिर्फ दो ट्वीट से आप दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के केंद्रीय स्तंभ को कमजोर कर सकते हैं।’
इस फैसले से यह साबित होता है कि न्यायतंत्र खोखला हो चुका है। केंद्रीय स्तंभ इतना कमजोर और नाजुक हो चुका है कि मात्र दो ट्वीट इसे संकट में डाल सकते हैं। इस तरह की टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट के तीन न्यायाधीशों से आएगी तो लोगों का सच में सुप्रीम कोर्ट से भरोसा उठ जाएगा। ऐसे में लोग कहेंगे ‘अरे यार, तुम सुप्रीम कोर्ट के पास भाग रहे हो कि वो तुम्हें बचाए जबकी वो खुद कह रहे हैं कि वो तो इतने कमजोर हो गए हैं कि दो छोटे से ट्वीट सारे ढांचे को गिरा देंगे।’
शुक्रवार (14 अगस्त) को जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने प्रशांत भूषण को उनके दो ट्वीट्स के लिए कोर्ट की अवमानना का दोषी करार दिया था। कोर्ट ने कहा था कि ये ट्वीट्स तोड़े-मरोड़े गए तथ्यों पर आधारित थे और इनसे सुप्रीम कोर्ट की बदनामी हुई। (jantakareporter)