राष्ट्रीय

हाथरस मामला: सीमन का शरीर पर पाया जाना ही रेप?- फ़ैक्ट चेक
03-Oct-2020 10:13 AM
हाथरस मामला: सीमन का शरीर पर पाया जाना ही रेप?- फ़ैक्ट चेक

हाथरस में हुए कथित गैंगरेप मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस ने फ़ोरेंसिक रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि दलित लड़की से बलात्कार नहीं हुआ था.

यूपी पुलिस के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा, "एफ़एसएल (फ़ोरेंसिक साइंस लेबॉरेटरी) रिपोर्ट के अनुसार, विसरा के सैंपल में कोई वीर्य/सीमन या उसका गिरना नहीं पाया गया है. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट कहती है कि हमले के बाद जो ट्रॉमा हुआ उसके कारण मौत हुई है. अधिकारियों के बयान के बावजूद कुछ ग़लत ख़बरें फैलाई जा रही हैं."

उन्होंने कहा, "इससे स्पष्ट होता है कि ग़लत तरीक़े से जातीय तनाव पैदा करने के लिए इस तरह की चीज़ें कराई गईं. पुलिस ने शुरू से इस मामले में त्वरित कार्रवाई की है और आगे की विधिक कार्रवाई की जाएगी."

यूपी पुलिस के इस बयान के बाद उसकी आलोचना हो रही है.

पीड़िता की विसरा रिपोर्ट अभी तक सामने नहीं आई है लेकिन यूपी पुलिस ने बयान में साफ़ कह दिया है कि पीड़िता के साथ बलात्कार नहीं हुआ था.

क्या सिर्फ़ सीमन या वीर्य के निशान पाए जाने से ही भारतीय दंड संहिता में बलात्कार का मामला बनता है? इस रिपोर्ट में हम यही जानने का प्रयास करेंगे.

रेप पर क्या कहता है भारतीय क़ानून?

भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में साल 1860 में ही बलात्कार को अपराध मानते हुए इससे जुड़ी धाराओं को शामिल किया गया था. आईपीसी की धारा 375 (1) 'बलात्कार' शब्द को क़ानूनी रूप से परिभाषित करती है.

आईपीसी के तहत अगर कोई पुरुष किसी महिला के साथ उसकी सहमति या जबरन शारीरिक संबंध बनाता है तो वह बलात्कार की श्रेणी में आता है. यहां पर सहमति को भी परिभाषित किया गया है. महिला अगर किसी इच्छा के कारण, मौत या चोट पहुँचाने के डर से भी सहमति दे रही है तो वह भी बलात्कार की श्रेणी में आएगा.

धारा 375 में ही साफ़ किया गया है कि संभोग के दौरान सिर्फ़ पेनिट्रेशन होना ही बलात्कार के लिए काफ़ी माना जाएगा.

अनुच्छेद 376 के तहत बलात्कार मामलों में 10 साल से लेकर आजीवन कारावास की सज़ा का प्रावधान है.

2012 में निर्भया गैंगरेप की घटना के बाद भारत के बलात्कार और यौन हिंसा से जुड़े क़ानूनों में बड़े बदलाव हुए, जिसमें बलात्कार और यौन हिंसा की परिभाषा के दायरे को बढ़ाया गया.

जस्टिस जे.एस. वर्मा की सिफ़ारिशों के बाद संसद से 2013 में आपराधिक क़ानून (संशोधन) अधिनियम पारित किया गया. इसके तहत बलात्कार मामलों में मौत की सज़ा का प्रावधान किया गया.

बलात्कार के मामले में अगर पीड़िता की मौत हो जाती है या वह किसी अचेतन अवस्था में चली जाती है तो उसमें अधिकतम मौत की सज़ा का प्रावधान है.

साथ ही इसी क़ानून के बाद किसी महिला का पीछा करने और उसको लगातार घूरने को भी आपराधिक श्रेणी में डाला गया था.

सीमन नहीं पाया गया तो रेप नहीं?

दिल्ली हाईकोर्ट में आपराधिक मामलों के वकील जयंत भट्ट कहते हैं कि बलात्कार साबित करने के लिए महिला के शरीर पर सीमन या वीर्य का होना ज़रूरी नहीं है.

वो कहते हैं, "सीमन या वीर्य शरीर पर पाए जाने को लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के कई फ़ैसले भी हैं, जहां पर न्यायालय ने सीमन होने या न होने को ज़रूरी नहीं माना है. निर्भया गैंगरेप मामले के बाद जो क़ानून में बदलाव हुए उसके बाद रेप की परिभाषा बहुत व्यापक हो चुकी है. अब सिर्फ़ वेजाइनल पेनिट्रेशन (महिला-पुरुष के बीच प्राकृतिक संबंध) को ही रेप नहीं माना जाएगा बल्कि किसी भी तरह के पेनिट्रेशन को धारा 375 और 376 में शामिल कर दिया गया है. इसमें एक उंगली के ज़रिए किया गया पेनिट्रेशन भी शामिल है."

परमिंदर उर्फ़ लड़का पोला बनाम दिल्ली सरकार (2014) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फ़ैसले को सही माना था जिसमें हाईकोर्ट ने कहा था कि सीमन का शरीर पर होना बलात्कार साबित करने के लिए आवश्यक नहीं है.

द इंडियन एक्सप्रेस अख़बार ने हाथरस के एसपी विक्रांत वीर के हवाले से लिखा था कि पीड़िता ने 22 सितंबर को होश में आने के बाद मैजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया था और उसने आरोप लगाया था कि उसका गैंगरेप हुआ है.

हाथरस मामले में बलात्कार हुआ है या नहीं हुआ है, इस पर पोस्टमॉर्टम, एफ़एसएल या विसरा रिपोर्ट को एक बार अलग रख दें और सिर्फ़ पीड़िता के बयान को देखें तो वो कितना मायने रखता है?

इस सवाल पर वकील जयंत भट्ट कहते हैं, "कोई पीड़िता अगर मौत से पहले मैजिस्ट्रेट के सामने आख़िरी बयान देती है तो उसे 'डाइंग डिक्लेरेशन' माना जाता है और ऐसे मामलों में मैंने जितने भी केस लड़े हैं उनमें अधिकतर कोर्ट अंतिम बयान को पीड़िता का सच बयान मानते हैं. ऐसा माना जाता है कि इंसान अपने आख़िरी वक़्त में झूठ नहीं बोलता है और यह बयान इस मामले में सबसे अहम कड़ी साबित होने वाला है."

जयंत भट्ट कहते हैं कि इस मामले को सिर्फ़ गैंगरेप के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि इसमें हत्या का मामला भी शामिल है और इसमें मौत की सज़ा का प्रावधान है.

एफ़एसएल रिपोर्ट के हवाले से यूपी पुलिस ने यह बयान ज़रूर दिया है लेकिन पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है जिससे यह साबित हो कि उसमें रेप की पुष्टि हुई है या नहीं. हालांकि, बीबीसी हिंदी के फ़ैक्ट चेक से यह पुष्टि हुई है कि बलात्कार के मामले के लिए शरीर पर सीमन या वीर्य पाया जाना ज़रूरी नहीं है.(bbc)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news