राष्ट्रीय
भाजपा एवं उनके कुछ करीबी उद्योगपति मित्रों की मिलीभगत का खुलासा
नई दिल्ली, 8 अक्टूबर। कांग्रेस पार्टी ने मोदी सरकार पर अपने पसंदीदा कारोबारियों के लिए हजारों करोड़ के एक लौह अयस्क घोटाले का आरोप लगाया है। कांग्रेस का कहना है कि लौह अयस्क के निर्यात की शर्तों में ढील देते हुए मोदी सरकार ने ऐसा इंतजाम किया कि देश के कुछ कारोबारियों ने 12 हजार करोड़ रूपए का निर्यात शुल्क चुरा लिया।
इस आरोप को लेकर कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने आज मीडिया के सामने कहा- केन्द्र में बैठी भारतीय जनता पार्टी ने पिछले 6 सालों में बार-बार ऐसे उदाहरण दिए हैं जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि मोदी सरकार सिर्फ अपने कुछ चुनिंदा अमीर दोस्तों के लिए सत्ता में आई है। हवाई अड्डों से लेकर बंदरगाहों तक, टेलिकम्यूनिकेशन से लेकर नवरत्न कंपनियां और यहां तक की भारत का गौरव मानी जाने वाले भारतीय रेल तक मोदी सरकार अपने दोस्तों पर लूटाने पर सदैव तत्पर दिखाई दे रही है।
उन्होंने कहा- यह सरकार भूल जाती है कि देश और देश के भीतर इन तमाम संस्थानों का निर्माण कुछ मु_ी भर पूंजीपतियों ने नहीं किया बल्कि इस देश का निर्माण एक-एक भारतवासी की मेहनत और खून-पसीने से हुआ है। जिस देश को हर देशवासी ने बनाया हो उसे चंद अमीरों के हाथों में बिकता देख दुख होता है।
श्री खेड़ा ने कहा- आज खनन क्षेत्र में हुए एक बहुत बड़े घोटाले की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं। 2014 से पहले लौह अयस्क (कच्चा लोहे) का निर्यात सिर्फ एमएमटीसी द्वारा ही किया जाता था। और एमएमटीसी भी सिर्फ वह लौह अयस्क निर्यात कर सकती थी जिसमें 64 प्रतिशत लोहे की संकेन्द्रण इससे ऊपर के स्तर का लोहा बेचने से पहले एमएमटीसी को भी सरकार से अनुमति लेनी पड़ती थी। जिबकी एमएमटीसी में 89 प्रतिशत हिस्सेदारी सरकार की है। लौह अयस्क के निर्यात पर 30 प्रतिशत निर्यात शुल्क भी लगता था। यह इसलिए किया जाता था ताकि उम्दा स्तर का लोहा देश में ही रहे और देश के स्टील प्लांट के उपयोग में आए।
कांग्रेस प्रवक्ता ने आगे कहा- 2014 में जब मोदी सरकार आई तो यह तमाम नियम कानून आनन-फनन में बदल दिए गए। स्टील मंत्रालय ने सबसे पहले तो 64 प्रतिशत लौह संकेन्द्रण का नियम बदला और कुद्रेमुख आयरन ओर कंपनी लिमिटेड (केआईओसीएल) को चीन, ताइवाइन दक्षिण कोरिया और जापान में लौह अयस्क निर्यात की अनुमति दी। इसके अलावा मंत्रालय ने नीति में एक और परिवर्तन करते हुए यह घोषणा की कि लौह अयस्क पर तो 30 प्रतिशत निर्यात शुल्क जारी रहेगे लेकिन अगर यह लौह अयस्क छर्रों के रूप में निर्यात किया जाए तो उस पर कोई निर्यात शुल्क लागू नहीं होगा। निर्यात करने की अनुमति केआईओसीएल को प्राप्त थी लेकिन 2014 से अब तक कई निजी कंपनियों ने छर्रों के माध्यम से हिन्दूस्तान का लौह अयस्क निर्यात करना शुरू कर दिया। इस पर शुल्क के रूप में हजारों करोड़ रूपये की चोरी हुई ।
उन्होंने कहा- अनुमान यह है कि इन निजी कंपनियों ने 2014 से अब तक लगभग 40 हजार करोड़ रूपये का लौह अयस्क निर्यात किया है। स्मरण रहे इन कंपनियों के पास लौह अयस्क को निर्यात करने की अनुमति नहीं थी। निजी क्षेत्र की वह कंपनियों जिनके पास अपने उपयोग के लिए लौह अयस्क की खदानें थी उन्होंने भी मौके का फायदा उठाते हुए स्टील मंत्रालय और केन्द्र सरकार की नाक के नीचे उम्दा लौह अयस्क का निर्यात छर्रो के माध्यम से किया।
श्री खेड़ा ने कहा- ऐसा करने से न केवल भारत के बेशकीमती प्राकृतिक संसाधन को लुटाया गया बल्कि 12,000 करोड़ रूपये का निर्यात शुल्क भी चोरी किया गया। विदेशी व्यापार (विकास और विनियमन) एक्ट 1992 के तहत इन कंपनियों पर लौह अयस्क छर्रों के गैर कानूनी निर्यात पर 2 लाख करोड़ का जुर्माना बनता है।
उन्होंने कहा- 10 सितंबर 2020 को कानून मंत्रालय ने पत्र (संलग्न) के माध्यम से यह स्पष्ट भी किया कि छर्रों के निर्यात की अनुमति केआईओसीएल को है और उसके अलावा जितनी भी कंपनियों इस्तेमाल कर रहे हैं वह गैर कानूनी है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा-यह न केवल विदेशी व्यापार (विकास और विनियमन) एक्ट 1992 के तहत गैर कानूनी है बल्कि कस्टम एक्ट 1962 के तहत भी यह गंभीर अपराध माना जाता है।
हम केन्द्र सरकार से यह जानना चाहते हैं-
1. उच्च गुणवत्ता के लौह अयस्क जिसमें 64 प्रतिशत से ज्यादा लोहे का संकेन्द्रण हो के निर्यात की अनुमति क्यों दे दी गई ?
2. वह कौन सी कंपनियां हैं जिन्होंने 2014 से लेकर अब तक बिना अनुमति के लौह अयस्क का निर्यात किया? उनके नाम सार्वजनिक किए जाए।
3. 2014 से लेकर अब तक क्या सरकार ने, क्या सरकार की किसी भी जांच एजेंसी ने लौह अयस्क के गैर कानूनी निर्यात को लेकर किसी भी निजी क्षेत्र की कंपनी की जांच की ?
4. केन्द्र सरकार ने अपने किसी मंत्री अथवा इससे संबंधित अधिकारी जिन्होंने यह गैर कानूनी निर्यात होने दिया पर क्या कार्यवाही हुई ?
5. इस 2 लाख करोड़ के घोटाले में देश के बेशकीमती प्राकृतिक संसाधनों की खुली लुट हुई है इसकी नैतिक जिम्मेदारी नरेन्द्र मोदी जी किस पर टालेंगे।
हम इन तमाम प्रश्नों के उत्तर सरकार से पूछते हैं।