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विराट कोहली की टीम को ये हुआ क्या, चार मैच-चार हार
03-Nov-2020 10:52 AM
विराट कोहली की टीम को ये हुआ क्या, चार मैच-चार हार

किस्मत और शुरुआती मैचों में किया गया अच्छा प्रदर्शन -विराट कोहली की टीम रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के हाथ दिल्ली कैपिटल्स से हारने के बाद भी प्लेऑफ़ का टिकट है तो इसकी ये दो अहम वजह हैं.

किस्मत और शुरुआती प्रदर्शन के अलावा एक और वजह ये है कि 14 में से सात मैच हारने वाली बैंगलोर टीम के मुक़ाबले आखिरी पायदान की तीन टीमों ने आठ मैचों में हार झेली. यानी बैंगलोर से एक मैच ज़्यादा गंवाया. चौथे नंबर पर मौजूद कोलकाता नाइट राइडर्स के खाते में बैंगलोर के बराबर ही प्वाइंट हैं लेकिन रन रेट में बैंगलोर टीम थोड़ी ऊपर है.

किस्मत का साथ

यहां भी किस्मत की भूमिका रही कि बैंगलोर का आखिरी लीग मैच कोलकाता के आखिरी लीग मैच के एक दिन बाद था. बैंगलोर के कप्तान विराट कोहली को पता था कि अगर वो दिल्ली कैपिटल्स को 17.3 ओवर के पहले नहीं जीतने देंगे तो उनका रन रेट कोलकाता से बेहतर हो जाएगा और प्ले ऑफ़ में उनकी जगह पक्की हो जाएगी.

लेकिन, जो टीम आईपीएल ख़िताब जीतने का इरादा जाहिर कर रही हो, वो इस तरह के गुणा-गणित का सहारा लेकर प्ले ऑफ़ में पहुंचे तो इसे खिलाड़ियों के पराक्रम से ज़्यादा किस्मत की ही मेहरबानी माना जाएगा. अगर लीग राउंड में कोलकाता का मैच बाद में होता तो शायद उनके पास भी रनरेट बेहतर करने की ऐसी संभावना हो सकती थी.

मैदान पर पस्त

आखिरी लीग मैच के पहले बैंगलोर के पास जीत की लय भले ही नहीं थी लेकिन उनका पलड़ा भारी माना जा रहा था. सुनील गावस्कर जैसे दिग्गज बैंगलोर को फेवरेट बता रहे थे और इसकी वजह भी थी. दिल्ली की टीम लगातार चार मैच गंवा चुकी थी और उनके खिलाड़ियों का आत्मविश्वास रसातल में दिख रहा था.

लेकिन, बैंगलोर के ख़िलाफ़ मैच में दिल्ली की टीम बेहतर रणनीति के साथ उतरी और विराट कोहली की टीम को अपनी खामियों का फ़ायदा नहीं उठाने दिया.

इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि बैंगलोर ने दिल्ली की कमजोर कड़ियों पर चोट करने की कोशिश ही नहीं की. आखिरी लीग मैच के पहले 'आक्रामक खेल दिखाने' का दावा करने वाले विराट कोहली और उनके साथी मैदान पर 'सहमे-सहमे' नज़र आए.

क्यों पिट रही है विराट की टीम?

ऐसे में हर कोई जानना चाहता है कि इस टीम को आख़िर हुआ क्या है? क्या ये वही टीम है जिसने शुरुआती 10 में से सात मैच जीते थे? क्या ये वही टीम है जिसने प्वाइंट टेबल में पहले पायदान पर मौजूद मुंबई इंडियन्स को सुपर ओवर में पस्त करने का कमाल किया था? क्या ये वही टीम है जिसके दो बल्लेबाज़ों की गिनती आईपीएल-13 में सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले पांच बल्लेबाज़ों में होती है?

बेशक, टीम वही है, लेकिन उसके खेल का पैमाना काफी नीचे आ गया है. अब सवाल ये है कि ऐसा होने की वजह क्या है? जवाब ये है कि इसकी एक नहीं कई वजह हैं.

कमज़ोर प्लानिंग

पहली और सबसे अहम वजह है कि रणनीतिक खामी. यानी ये टीम प्लानिंग के मोर्चे पर पिट रही है. बैंगलोर ने आखिरी मैच करीब दो हफ़्ते पहले 21 अक्टूबर को जीता था. तब उसने कोलकाता नाइट राइडर्स को आठ विकेट से हराया था.

उसके बाद से विराट कोहली की टीम लगातार चार मैच हार चुकी है. दिक्कत ये है कि चारों मैचों की हार का पैटर्न एक सा रहा है. बैंगलोर ने चारों मैचों में पहले बल्लेबाज़ी की और बाद में खेलने वाली टीम ने उन्हें हरा दिया.

इन चार टीमों में मुंबई के अलावा कोई टीम नहीं थी जिसे मैच के पहले बैंगलोर से बेहतर माना गया हो. चेन्नई सुपर किंग्स हार की मार से पस्त होने और प्ले ऑफ़ की रेस से बाहर होने के बाद बैंगलोर पर भारी पड़ी.

हैदराबाद और दिल्ली भी रणनीति के मोर्चे पर बैंगलोर से बेहतर होने के कारण जीत हासिल करने में कामयाब रहीं. एक सी ग़लती वही टीम करती है, जिसके पास विरोधी के काउंटर अटैक यानी पलटकर मारने पर जवाब देने की योजना न हो.

ये ठीक है कि दुबई, अबू धाबी और शारजाह के मैदान में पड़ने लगी ओस का फ़ायदा बाद में बल्लेबाज़ी करने वाली टीम को मिलता है लेकिन दूसरी टीमें इसकी काट लेकर आई हैं.

कोलकाता नाइट राइडर्स ने रविवार को ही राजस्थान रॉयल्स के ख़िलाफ़ ओस फैक्टर को बेमानी साबित किया. लेकिन, बैंगलोर की टीम एक नहीं दो नहीं बल्कि चार मैचों में ऐसा करने में नाकाम रही.

बेदम बल्लेबाज़ी

बैंगलोर के पस्त होने की एक और बड़ी वजह है बल्लेबाज़ों की नाकामी.

बैंगलोर के बल्लेबाज़ रन बना रहे हैं. देवदत्त पडिक्कल और विराट कोहली का नाम टूर्नामेंट के सबसे कामयाब पांच बल्लेबाज़ों में शामिल है लेकिन उनके बनाए रन टीम के काम नहीं आ रहे हैं.

इसकी वजह है स्ट्राइक रेट. टॉप पांच बल्लेबाज़ों में पडिक्कल और कोहली का स्ट्राइक रेट सबसे कम है.

बैंगलोर के बल्लेबाज़ रन बनाते हैं लेकिन इतनी धीमी रफ़्तार से कि विरोधी टीम पर कोई दबाव शायद ही बनता है.

दिल्ली के ख़िलाफ़ सोमवार के मैच में बैंगलोर के बल्लेबाज़ों ने शुरुआती दस ओवर में सिर्फ़ 60 रन बनाए थे. जबकि विराट कोहली और पडिक्कल दोनों क्रीज़ पर मौजूद थे. वहीं दिल्ली ने 10 ओवर में 81 रन बना दिए.

बैंगलोर की टीम आखिरी ओवरों में तेज़ी से रन बनाने के लिए एबी डिविलियर्स पर निर्भर है. जिन मैचों में डिविलियर्स का बल्ला बोला है, उनमें टीम की जीत पक्की हो गई, लेकिन पिछले चार मैचों से डिविलियर्स उम्मीद पर खरे नहीं उतरे हैं.

इन चार मैचों में पडिक्कल ने दो और विराट कोहली ने एक हाफ सेंचुरी बनाई है. पडिक्कल ने मुंबई के ख़िलाफ़ जरूर तेज़ी से रन जुटाए लेकिन दिल्ली के खिलाफ़ उनकी और चेन्नई के ख़िलाफ़ विराट कोहली की हाफ सेंचुरी इतनी धीमी रफ़्तार से बनी कि टीम को फ़ायदा नहीं मिला.

गेंदबाज़ी में कितनी धार?

गेंदबाज़ी के मोर्चे पर टीम कुछ बेहतर दिखती है लेकिन इतनी नहीं कि बाकी खामियों भरपाई हो सके. यहां रणनीति की ख़ामी साफ़ झलकती है.

दिल्ली के ख़िलाफ़ मैच की ही बात करें तो दिक्कतें उभरकर सामने आ जाती हैं. बैंगलोर और दिल्ली के ख़िलाफ़ मैच के पहले हर कोई जानता था कि दिल्ली के बल्लेबाज़ फ़ॉर्म से जूझ रहे हैं.

शिखर धवन तीन मैच से फेल हो रहे थे. पृथ्वी शॉ और अजिंक्य रहाणे का बल्ला लगातार खामोश था और दिल्ली के कप्तान श्रेयस अय्यर भी रन बनाने को जूझ रहे थे.

दिल्ली पर जीत हासिल करने के लिए जरूरी था कि शुरुआत में विकेट निकाले जाएं. पृथ्वी शॉ फेल हो गए लेकिन बैंगलोर के गेंदबाज़ धवन और रहाणे की कमज़ोरी नहीं भुना सके और मैच हाथ से फिसल गया.

मैच के बाद कप्तान कोहली ने भी माना, "शायद हमें पावरप्ले में और बेहतर गेंदबाज़ी करनी होगी. "

चार बार हार झेलने के बाद भी बैंगलोर के हक़ में इकलौती अच्छी बात ये है कि कप्तान विराट कोहली ने अब भी आईपीएल ट्रॉफी जीतने की उम्मीद नहीं छोड़ी है.

कोहली का कहना है,"फ़ाइनल तक पहुंचने के लिए अब हमें दो मैच खेलने होंगे."

लेकिन, कोहली और उनकी टीम को याद रखना होगा कि दूसरा मैच खेलने का मौका तब मिलेगा जबकि वो चार मैचों से जारी ग़लतियों को पहचानें, रणनीति और खेल दोनों मोर्चों पर सुधार करें.(bbc)

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