राष्ट्रीय
पाकिस्तान से छपने वाले उर्दू अख़बारों में इस हफ़्ते सरकार और विपक्षी महागठबंधन के बीच रस्साकशी, कुलभूषण जाधव, अफ़ग़ानिस्तान शांति प्रक्रिया और कोरोना से जुड़ी ख़बरें सुर्ख़ियों में थीं.
सबसे पहले बात कुलभूषण जाधव की.
पाकिस्तान का कहना है कि भारत के ज़िद्दीपन के कारण पाकिस्तान में जासूसी करने के आरोप में सज़ा काट रहे भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई आगे बढ़ाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
अख़बार नवा-ए-वक़्त के अनुसार पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय का कहना है कि भारत कुलभूषण जाधव के लिए वकील पर ऐतराज़ जताकर कुलभूषण जाधव पर चल रहे मुक़दमे की क़ानूनी कार्रवाई को आगे बढ़ने नहीं देना चाहता है.
कुलभूषण जाधव का परिवार
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारतीय उच्चायोग को कहा गया कि वो कुलभूषण जाधव के लिए कोई वकील करें लेकिन उन्होंने कुलभूषण जाधव के लिए वकील करने से इनकार कर दिया.
पाकिस्तानी प्रवक्ता के अनुसार, पाकिस्तान भारतीय उच्चायोग को दो बार काउंसलर एक्सेस दे चुका है और तीसरी बार कुलभूषण जाधव तक एक्सेस देने की पेशकश मौजूद है.
पाकिस्तानी प्रवक्ता के अनुसार इस मामले पर दोबारा विचार करने के संबंध में सभी ज़रूरी क़दम उठाए गए हैं.
भारतीय उच्चायोग ने मांगा वक़्त
भारतीय उच्चायोग ने इस्लामाबाद हाई कोर्ट को सूचित किया है कि कुलभूषण जाधव के लिए क़ानूनी प्रतिनिधि नियुक्त करने के संबंध में दिल्ली में बातचीत जारी है और इस आशय का फ़ैसला अगले दो-तीन हफ़्ते में कर लिया जाएगा.
कुलभूषण जाधव के बारे में पाकिस्तान का दावा है कि वो भारतीय नौसेना के मौजूदा अधिकारी हैं जिन्हें 2016 में पाकिस्तान के बलूचिस्तान से गिरफ़्तार किया गया था.
पाकिस्तान एक लंबे अर्से से भारत पर आरोप लगाता रहा है कि वो बलूचिस्तान में सक्रिय पाकिस्तान विरोधी चरमपंथी गुटों की मदद करता है.
भारत इन आरोपों से इनकार करता रहा है और कुलभूषण जाधव के बारे में भारत का कहना है कि वो एक रिटायर्ड अधिकारी हैं और वो अपने बिज़नेस के सिलसिले में ईरान गए थे और पाकिस्तान-ईरान सीमा पर उनको अग़वा किया गया था.
पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने अप्रैल 2017 में कुलभूषण जाधव को जासूसी और दहशतगर्दी के आरोप में दोषी क़रार देते हुए मौत की सज़ा सुनाई थी.
इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ भारत ने मई 2017 में अंतरराष्ट्रीय अदालत (आईसीजे) का दरवाज़ा खटखटाया था और माँग की थी कि कुलभूषण जाधव की सज़ा ख़त्म की जाए और उनकी रिहाई के आदेश दिए जाएं.
लंबी सुनवाई के बाद साल 2019 में आईसीजे ने भारत की इस माँग को तो ठुकरा दिया था लेकिन पाकिस्तान को आदेश दिया था कि वो जाधव को काउंसलर एक्सेस दे और उनकी सज़ा पर पुनर्विचार करे.
अदालत ने ये भी कहा था कि जब तक पुनर्विचार याचिका पर फ़ैसला नहीं आ जाता कुलभूषण जाधव को फाँसी न दी जाए. (बीबीसी)