राष्ट्रीय
लखनऊ , 8 दिसंबर | उत्तर प्रदेश के पूवार्ंचल के समग्र विकास को लेकर ये महीना मील का पत्थर साबित होगा। यहां के 28 जिलों में पढ़ाई तथा बेहतर इलाज के साथ कृषि एवं उद्योग धंधों को बढ़ावा देने का एक दीर्घकालीन रोडमैप देश एवं विदेश के विशेषज्ञों के विचार विमर्श से तैयार होगा। इस रोडमैप के आधार पर ही प्रदेश सरकार पूवार्ंचल के विकास की योजनायें तैयार करेगी। सरकारी प्रवक्ता के अनुसार रोडमैप तैयार करने के लिए राज्य का नियोजन विभाग दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के अकादमिक सहयोग से पूवार्ंचल का सतत विकास पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए एक नई पहल को लेकर तीन दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार एवं संगोष्ठी का आयोजन 10 दिसंबर से कर रहा है।
इसका उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे। और समापन सत्र में केंद्रीय आयुष मंत्री स्वतन्त्र प्रभार श्रीपद यशो नाइक की विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूदगी होगी। इस राष्ट्रीय वेबिनार व संगोष्ठी के संयोजक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आर्थिक सलाहकार डॉ. के.वी. राजू के अनुसार, पूवार्ंचल में शिक्षा, कृषि के क्षेत्र में दीर्घकालीन योजनाओं का रोडमैप तैयार करके समूचे पूर्वाचल में खुशहाली लाई जा सकती है।
पूवार्ंचल में आईटी कारोबार को बढ़ावा देने के लिए बारहवीं पास बच्चों को अंग्रेजी सीखने की व्यवस्था करनी होगी, ताकि वह कालसेंटर में तथा आईटी सेक्टर में काम कर सकें। इसी प्रकार पूवार्ंचल में हर वर्ष आने वाली बाढ़ से होने वाले नुकसान को रोकने की जरूरत है। इन सबके लिए राष्ट्रीय वेबिनार व संगोष्ठी में आये विद्वान अपना शोधपत्र रखेंगे। जिनके आधार पर सरकार पूवार्ंचल के समग्र विकास का रोड मैप बनायेगी।
पूवार्ंचल में खेती के क्षेत्र में क्या बदलाव किये जाएं। मछली पालन तथा पशुपालन कारोबार को लाभप्रद कैसे बनाया जाए। इस संबंध में भी शोधपत्र संगोष्ठी के दौरान विशेषज्ञ रखेंगे।
लखनऊ विश्वविद्यालय के पत्रकारिता व जनसंचार विभाग में एसोशिएट प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष मुकुल श्रीवास्तव कहते हैं, 'पूवार्ंचल में इंडस्ट्री नहीं है। यहां इंफ्रास्ट्रक्च र बेहतर नहीं है। सड़कों की हालत भी ठीक नहीं है। बिजली आपूर्ति में भी खामियां है। इसके अलावा शिक्षा का हाल भी बेहाल है। यहां पर दिखता है कि पढ़ाई हो रही है लोग पढ़ रहे हैं, पास हो रहे हैं लेकिन वास्तव में यह बिना गुणवत्ता की पढ़ाई है। जिसके चलते पूवार्ंचल के लोग पलायन को मजबूर हैं। ये तस्वीर तब ही बदलेगी जब पूवार्ंचल में शिक्षित लोग अपने जिले में ही रोजगार पा सकेंगे और यह तब होगा जबकि सरकार शिक्षा, कृषि, चिकित्सा, उद्योग और पर्यटन के क्षेत्र में ऐसी योजनाओं को बढ़ावा दे, जिनके लोगों की आर्थिक स्थिति में बदलाव हो।
उत्कर्ष सिन्हा कहते हैं कि पहली बार पूवार्ंचल के समग्र विकास को लेकर गोरखपुर में कोई राष्ट्रीय स्तर का आयोजन हो रहा है। वह कहते हैं कि पूवार्ंचल में पढ़ाई, खेती, सिंचाई, उद्योग, इलाज, पेयजल आदि की व्यवस्था कैसे विश्वस्तरीय बनाया जाए, इसे लेकर रोडमैप तैयार करने की पहल को समर्थन किया जाना चाहिए। प्रदेश सरकार का यह नया प्रयास है क्योंकि बीते तीस सालों से तो वह यही सुनते रहें हैं कि पूवार्ंचल उत्तर प्रदेश का सबसे पिछड़ा क्षेत्र है।
मालूम हो कि मुख्यमंत्री खुद गोरखपुर से हैं। इसके पहले वह गोरखपुर से पांच बार सांसद भी रह चुके हैं। पूवार्ंचल के हर मुद्दे से वह बखूबी वाकिफ हैं। यही नहीं सड़क से लेकर संसद तक पुरजोर तरीके से वह इन मुद्दों को उठाते भी रहे हैं। मुख्यमंत्री के रूप में पूवार्ंचल के करोड़ों लोगों से उनसे बेशुमार उम्मीदें हैं।(आईएएनएस)