राष्ट्रीय
इसे सरकारी नौकरी के प्रति आकर्षण कहें या फिर दूसरे क्षेत्रों में अवसर की कमी कि जिस पद के लिए महज दसवीं-बारहवीं पास जैसी शैक्षिक योग्यताओं की जरूरत होती है उसके लिए उच्च शिक्षित लोग आवेदन करते हैं और चयनित होते हैं.
डायचेवेले पर समीरात्मज मिश्र का लिखा
रेलवे सुरक्षा बल यानी आरपीएफ में सोमवार को नई भर्ती हुई महिला कांस्टेबलों की पासिंग आउट परेड हुई तो इन 248 प्रशिक्षुओं में ज्यादातर ऐसी थीं जिनके पास बीए और एमए जैसी ही नहीं बल्कि एमबीए, एमसीए, बीटेक, एमटेक और अन्य तकनीकी डिग्रियां हैं. जबकि इस पद के लिए सिर्फ बारहवीं तक की डिग्री की जरूरत होती है.
आरपीएफ की ये नवनियुक्त 248 महिला कांस्टेबलों का प्रयागराज के सूबेदारगंज स्थित आरपीएफ प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षण पूरा होने के बाद सोमवार सात दिसंबर को इनकी पासिंग आउट परेड हुई. इसके बाद ये महिला कांस्टेबल अपनी-अपनी नियुक्ति स्थलों की ओर रवाना हो गईं. ये सभी प्रशिक्षु राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, यूपी, पश्चिमी बंगाल, हरियाणा और छतीसगढ़ राज्यों से हैं.
इनका प्रशिक्षण पिछले साल 16 दिसंबर से ही शुरू हुआ था और इसे अगस्त 2020 तक पूरा हो जाना था लेकिन कोविड-19 की वजह से यह प्रशिक्षण लंबा खिंच गया. ट्रेनिंग सेंटर में इन महिला प्रशिक्षुओं को कड़ा प्रशिक्षण दिया गया और इस दौरान इन्हें एसएलआर, इनास, एलएमजी, एआरएम जैसे अत्याधुनिक हथियार चलाना भी सिखाया गया.
सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक कर चुकीं कविता सिन्हा छत्तीसगढ़ की रहने वाली हैं. उन्हें इस बात से बिल्कुल परहेज नहीं है कि वो उच्च शिक्षा हासिल करने के बावजूद कांस्टेबल के पद पर चयनित हुई हैं. कविता बताती हैं कि यह शुरुआत है, आगे और तैयारी करनी है, "नौकरी की जरूरत थी. भर्ती का आवेदन निकला तो हमने भी अप्लाई कर दिया और तैयारी भी की. यह मेरी मंजिल नहीं है बल्कि शुरुआत है. नौकरी के साथ आगे की तैयारी भी जारी रखूंगी.”
ज्यादातर महिला कांस्टेबल का यही कहना था कि यह उनकी शुरुआत है और इसे आगे भी वो जारी रखेंगी. यानी एक नौकरी उन्हें मिल गई है और आगे बेहतर मिल गई तो उसे छोड़कर अच्छी वाली नौकरी से नई शुरुआत करेंगी. हालांकि इन परीक्षाओं में शामिल होने वाली कुछ अन्य लड़कियों को यह बात नागवार भी गुजर रही है.
लखनऊ में यूपी पुलिस में महिला कांस्टेबल की परीक्षा देने के बाद रिजेक्ट हो चुकीं शालिनी सिंह कहती हैं कि उच्च शिक्षित लोगों का इन परीक्षाओं के लिए आवेदन करना ठीक नहीं होता है. उनके मुताबिक इससे अन्य अभ्यर्थियों का नुकसान होता है. शालिनी सिंह कहती हैं, "जो बहुत पढ़े-लिखे लोग हैं वो लिखित परीक्षा आसानी से पास कर लेते हैं जबकि केवल इंटर तक पढ़े लोग कांस्टेबल भर्ती की ही तैयारी करते हैं और शारीरिक तैयारी पर ज्यादा जोर देते हैं. एमबीए-एमसीए और बीटेक-एमटेक लोगों के पास तो और भी बहुत सी नौकरियां हैं लेकिन जिसने केवल इंटर तक की पढ़ाई की है उसके पास मौके कम हैं. जब ये लोग इसमें बैठते हैं तो कम पढ़े लोगों से अच्छा परफॉर्म करते हैं और निकल जाते हैं. बाद में ये छोड़ भी देंगे लेकिन इनकी जगह यदि दूसरा हुआ होता तो उसका करियर ठीक हो जाता.”
यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड
ब्रिटेन की यह यूविवर्सिटी पिछले पांच साल से पहली रैंक पर है. दुनिया की कोई भी यूनिवर्सिटी इसे मुकाबला नहीं दे पा रही है.
इससे पहले यूपी में सचिवालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी और जिलों में सफाई कर्मचारियों के लिए निकले आवेदन में हजारों की संख्या में उच्च शिक्षित लोग आवेदन कर चुके हैं और चयनित भी हो चुके हैं. इसका एक दूसरा पहलू यह भी है कि सरकारी नौकरी में अच्छी तनख्वाह के साथ-साथ नौकरी को लेकर निश्चिंतता भी रहती है जबकि निजी क्षेत्र में ऐसा नहीं होता है.
दिल्ली में करियर काउंसिलर राजीव सक्सेना कहते हैं, "कोई इंजीनियर और एमबीए कांस्टेबल या सफाई कर्मचारी नहीं बनना चाहता है लेकिन बेरोजगारी कुछ भी करा सकती है. इंजीनियरिंग कॉलेज और मैनेजमेंट कॉलेज कुकुरमुत्तों की तरह खुले हैं और चार साल की पढ़ाई के दौरान बच्चे करीब आठ-दस लाख रुपये खर्च करते हैं लेकिन बाहर निकलने पर उन्हें 15-20 हजार रुपये प्रति माह की नौकरी भी नहीं मिल पा रही है. कुछेक प्रतिष्ठित संस्थानों को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर निजी संस्थानों का यही हाल है. ऐसे में सरकारी नौकरी के नाम पर युवा सोचते हैं कि कम से कम आर्थिक निर्भरता तो हासिल हो ही जाएगी.”
यहां यह बात भी काफी महत्वपूर्ण है कि कम योग्यता वाली नौकरियों में जब उच्च योग्यता के अभ्यर्थी होंगे तो निश्चित तौर पर जिनके लिए नौकरी है, वो इसे पाने में पिछड़ जाएंगे. शायद सरकार को भी यह बात पता है इसीलिए यूपी में राज्य सरकार के कुछ विभागों में जूनियर इंजीनियर की नौकरी के लिए यह अनिवार्य कर दिया गया है कि सिर्फ पॉलीटेक्नीक डिप्लोमाधारी लोग ही इसके लिए अर्ह होंगे, बीटेक और एमटेक की डिग्री धारक नहीं. जबकि इससे पहले यही होता आया कि इन पदों पर बीटेक और एमटेक के अभ्यर्थी ज्यादा चयनित हो जाते थे और डिप्लोमाधारक प्रतियोगिता से बाहर हो जाते थे.
बहरहाल, प्रयागराज में इन महिला कांस्टेबलों के पहले बैच की ट्रेनिंग 16 दिसंबर 2019 को शुरु हुई थी जो कोविड संक्रमण के कारण अब जाकर पूरी हुई है. इस दौरान 16 प्रशिक्षु भी संक्रमण से प्रभावित हो गए थे जिसकी वजह से ट्रेनिंग को बीच में रोकना भी पड़ा था. अब ये सभी कांस्टेबल अपनी नियुक्ति की जगह जा चुके हैं. इनमें सबसे ज्यादा 97 महिला कांस्टेबलों को उत्तर रेलवे में तैनाती मिली है जबकि सेंट्रल रेलवे में 59, उत्तर मध्य रेलवे में 19, पूर्वोत्तर रेलवे में दो, उत्तर पश्चिम रेलवे में 22, पश्चिम रेलवे में 47 पश्चिम मध्य रेलवे में तीन महिला कांस्टेबलों को नई तैनाती मिली है.