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नई दिल्ली, 21 दिसंबर | ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका से नोवल कोरोनावायरस के म्यूटैंट संस्करण के फैलने के बाद 50 प्रतिशत भारतीय नागरिक चाहते हैं कि प्रभावित देशों के साथ उड़ानें निलंबित रहें। सोमवार को एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई। ब्रिटेन में कोरोनावायरस के नए स्ट्रेन (स्वरूप) का पता लगने के बाद प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने 19 दिसंबर को घोषणा की थी कि नया पहचाना गया यह वायरस 70 प्रतिशत तक अधिक संक्रामक हो सकता है। स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक ने जोर देकर कहा है कि वायरस का यह नया संस्करण नियंत्रण से बाहर है।
कोविड-19 वायरस के संक्रामक म्यूटेशन ने दुनियाभर में गंभीर चिंता पैदा कर दी है। सऊदी अरब, इटली, बेल्जियम, फ्रांस, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया आदि ने उत्परिवर्ती तनाव की रिपोर्ट सामने आने के बाद ब्रिटेन से आने और जाने वाली उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया है।
'लोकलसर्कल्स' ने 7,091 लोगों के बीच सर्वेक्षण किया, जिनकी प्रतिक्रियाओं से यह बात सामने आई है। सर्वे के नतीजे ऐसे समय पर आए हैं, जब वायरस के नए स्वरूप से कई देशों में हड़कंप मच गया है। इसकी गंभीरता को लेकर भारत में भी लोगों की चिंताएं बढ़ गई हैं, जहां पहले से ही एक करोड़ 50 हजार कोरोना मामले सामने आ चुके हैं।
सर्वे में शामिल लोगों से पूछा गया कि ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका में कोरोनावायरस का एक नया संस्करण पाया गया है, जो अधिक संक्रामक है। ऐसे देशों से आने वाली बबल फ्लाइट के लिए भारत का दृष्टिकोण क्या होना चाहिए?
इस सवाल पर 50 प्रतिशत प्रतिभागियों ने कहा कि वे चाहते हैं कि प्रभावित देशों से बबल उड़ानें निलबिंत रहनी चाहिए, जबकि 41 प्रतिशत लोगों ने अन्य देशों से आने वाले यात्रियों के लिए 14 दिवसीय क्वारंटीन अवधि की मांग की।
सर्वे में शामिल छह प्रतिशत नागरिकों ने कहा कि भारत को इन देशों की उड़ानों के साथ मौजूदा नियमों को अन्य देशों की तरह ही जारी रखना चाहिए, जबकि तीन फीसदी लोगों ने इस पर कोई टिप्पणी व्यक्त नहीं की।
यह देखा जाना बाकी है कि म्यूटेंट वायरस को देश में प्रवेश करने से रोकने के लिए भारत क्या कदम उठाता है। सोमवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए अपने शीर्ष सलाहकारों की एक आपातकालीन बैठक बुलाई। (आईएएनएस)