राष्ट्रीय
किसान संगठनों और केंद्र के बीच नए कृषि कानून को लेकर जारी विवाद अब दोबारा बातचीत की पटरी पर लौटता दिख रहा है. मंगलवार सुबह किसान संगठनों के प्रतिनिधि और सरकार के बीच बातचीत हो सकती है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी का लिखा-
नए कृषि कानूनों के विरोध 26 नवंबर से किसान दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका कहना है कि नए कानून लागू होने के बाद वे सरकार की तरफ से निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपनी फसल नहीं बेच पाएंगे और वे कोरपोरेट कंपनियों के मोहताज हो जाएंगे. रविवार को किसानों ने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के दौरान थाली पीट कर प्रधानमंत्री का विरोध किया.
दिल्ली और आसपास के इलाकों में इस वक्त कड़ाके की सर्दी पड़ रही है और किसानों का दिल्ली की सीमाओं के पास विरोध प्रदर्शन 33वें दिन भी उसी जोश के साथ जारी है जैसे कि पहले दिन था. किसानों के समर्थन में अलग-अलग तबके के लोग भी अपने हिसाब से मदद की पेशकश कर रहे हैं. गुजरते वक्त के साथ किसानों का दिल्ली की सीमाओं पर जमावड़ा भी बढ़ता जा रहा है.
किसानों का कहना है कि जब तक कानून वापस नहीं हो जाते, वे अपने घर नहीं लौटेंगे. यूपी गेट पर किसान नेता राकेश सिंह टिकैत ने "बिल वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं" का नारा देकर आंदोलन तेज करने की धमकी दी है. यूपी गेट पर उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के किसान लगातर पहुंच रहे हैं और उनकी संख्या बढ़ती देख पुलिस भी अलर्ट हो गई है.
दूसरी ओर सिंघु बॉर्डर पर किसान 31 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने सरकार के बातचीत के प्रस्ताव पर मिलने का समय तय कर दिया है. सिंघु बॉर्डर पर पुलिस ने बढ़ती संख्या को देखते हुए आठ और सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं. वहीं एक और प्रदर्शन स्थल टीकरी बॉर्डर पर भी प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ती देख ड्रोन कैमरे की संख्या को पुलिस ने बढ़ा दी है. यहां रविवार को काफी लोग पहुंचे और वहां लंगर भी लगाया.
मन की बात का विरोध
रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो कार्यक्रम मन की बात के दौरान प्रदर्शनकारी किसानों ने पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत विरोध में ताली और थाली बजाई. किसानों का कहना है कि उन्होंने साल के आखिरी 'मन की बात' में किसानों का जिक्र नहीं किया.
दूसरी ओर रविवार को कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में शामिल पंजाब के वकील अमरजीत सिंह ने टीकरी बॉर्डर के पास आत्महत्या कर ली. अमरजीत पंजाब में फाजिल्का जिले के जलालाबाद के रहने वाले थे और कुछ मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक उन्होंने कृषि कानूनों के विरोध में खुदकुशी कर ली और उनके पास से सुसाइड नोट भी मिला है. उन्होंने कथित सुसाइड नोट में लिखा है कि वह किसान आंदोलन के समर्थन में और कृषि कानूनों के खिलाफ अपनी जान दे रहे हैं, ताकि सरकार जनता की आवाज सुनने को मजबूर हो जाए.
किसानों के समर्थन में आ रहे आम लोग
आम दिनों की तरह अलग-अलग आंदोलन स्थलों पर 11-11 किसानों की क्रमिक भूड़ताल भी जारी है. प्रदर्शन स्थलों पर किसान अलग-अलग टीम बनाकर 24 घंटे की भूड़ हड़ताल कर रहे हैं. वहीं सिंघु बॉर्डर, यूपी गेट और टीकरी बॉर्डर पर आंदोलनकारी किसानों के समर्थन में आम लोग, गैर सरकारी संगठन और अन्य एजेंसियां किसानों की मदद के लिए दवाई, कंबल, टेंट और खाद्य सामग्री पहुंचा रहे हैं. हर दिन प्रदर्शन स्थलों पर लंगर चला जा रहा है और स्वयंसेवी संगठन लोगों की सेहत के लिए मुफ्त मेडिकल सुविधा भी दे रही है.
किसान संगठनों के प्रतिनिधियों और सरकार के बीच कृषि कानून के मुद्दे पर छह दौर की बात हो चुकी है. सरकार कानूनों में कुछ संशोधन करने को राजी हैं, जबकि किसानों का कहना है कि तीनों कानून वापस होने चाहिए.-