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किसानों के साथ वार्ता बार-बार विफल होने से ग्रामीण भारत में अशांति बढ़ेगी
28-Dec-2020 9:05 PM
किसानों के साथ वार्ता बार-बार विफल होने से ग्रामीण भारत में अशांति बढ़ेगी

दीपक शर्मा
नई दिल्ली, 28 दिसंबर
| मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी का कहना है कि विपक्षी दल भले ही किसानों का समर्थन कर रहे हों, लेकिन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में उनकी कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं है।

येचुरी ने सभी विपक्षी दलों के रुख की वकालत करते हुए आईएएनएस से विशेष बातचीत में कहा, "संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के बैनर तले 200 से अधिक किसान संगठन आए हैं और वे कॉर्पोरेट को फायदा पहुंचाने वाले कृषि कानूनों का पिछले कई महीनों से विरोध कर रहे हैं। हम एसकेएम के साथ हैं, लेकिन मैं स्पष्ट कर दूं कि पूरा आंदोलन किसान ही कर रहे हैं, हम नहीं।"

येचुरी ने कहा कि बेहतर होगा कि सरकार चल रही बातचीत के विफल होने पर विपक्ष पर निशाना साधने के बजाय उनके (एसकेएम) के साथ मुद्दे का हल करे।

माकपा नेता ने किसान यूनियनों और मोदी सरकार के बीच बढ़ते गतिरोध पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उनके सहित लगभग सभी विपक्षी नेता चाहते हैं कि कृषि कानूनों पर यह गतिरोध तुरंत खत्म होना चाहिए।

उन्होंने कहा, "बार-बार विफलताओं (वार्ता की) से ग्रामीण भारत में अशांति बढ़ेगी। हम वास्तव में हजारों वृद्ध किसानों के स्वास्थ्य के बारे में चिंतित हैं, जो राजधानी की सीमाओं पर धरने पर बैठे हैं। ठंड में ठिठुरने से अब तक 40 किसानों की मौत हो चुकी है। इसलिए इस गतिरोध को खत्म किया जाना महत्वपूर्ण है। मेरा अनुरोध है कि सरकार को सभी हितधारकों को बुलाना चाहिए। उनके साथ खुले तौर पर मुद्दों पर चर्चा करें और उनकी मांगों को स्वीकार करें।"

येचुरी ने यह भी कहा कि इसके अलावा सरकार संसद का सत्र बुला सकती है, कृषि कानूनों पर चर्चा की जा सकती है और आपत्ति वाले हिस्सों को हटाते हुए किसानों की मांगों अनुरूप नए कानून लाए जा सकते हैं।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) सुप्रीमो शरद पवार के नेतृत्व में विपक्ष का एकजुट मोर्चा बनाने के शिवसेना के आह्वान का समर्थन करते हुए, माकपा नेता ने कहा कि हालांकि वह शिवसेना के इस इशारे का समर्थन करते हैं, लेकिन नेता सर्वसम्मति से चुना जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, "शरद पवार वर्तमान स्थिति में सबसे सक्षम नेताओं में से एक हैं, लेकिन एक बार सभी दल एक ही छत के नीचे आएंगे तो नेता का फैसला किया जा सकता है। फिर भी, मैं यह कहना चाहूंगा कि देश की वर्तमान राजनीतिक स्थिति में एक मजबूत और उद्देश्यपूर्ण विपक्ष की जरूरत है।"

यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ एक कमजोर विपक्ष के तौर पर दिखाई दे रही है, कॉमरेड येचुरी ने कहा कि बहुत हद तक यह सच्चाई है। उन्होंने कहा, "हम सभी चाहते हैं कि एक मजबूत कांग्रेस का मतलब बहुत मजबूत विपक्ष होगा। लेकिन मैं किसी पार्टी के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी नहीं कर सकता।"

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को अकेली छोड़ देने और कांग्रेस के साथ माकपा के गठबंधन पर सीताराम येचुरी ने कहा, "हमारा प्राथमिक उद्देश्य भाजपा को अगले साल बंगाल में सरकार बनाने से रोकना है।"

उन्होंने कहा, "वास्तव में भाजपा तो पूरी तरह से चाहती है कि ममता हमसे जुड़ें। लेकिन हमें एहसास है कि ममता के खिलाफ एक विशाल सत्ता-विरोधी लहर हमारी संभावनाओं को बाधित करेगी। इसलिए हमने फैसला किया कि सभी वामपंथी दल और कांग्रेस ममता को छोड़कर एक मोर्चे के रूप में चुनाव लड़ेंगे। हमें लगता है कि इस तरह की त्रिकोणीय लड़ाई भाजपा के खिलाफ अधिक प्रभावशाली होगी।"  (आईएएनएस)

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