राष्ट्रीय
श्रीनगर से बीबीसी संवाददाता रियाज़ मसरूर की रिपोर्ट
भारत प्रशासित कश्मीर में सेना और राज्य पुलिस ने संयुक्त रूप से बुधवार सुबह दावा किया था कि राजधानी श्रीनगर के बाहरी इलाक़े में स्थित एक मकान में छिपे तीन चरमपंथियों को लंबी मुठभेड़ के बाद मार दिया गया है.
हालांकि सेना और पुलिस ने यह नहीं बताया था कि उनका संबंध किस चरमपंथी संगठन से था.
लेकिन कुछ ही देर बाद ही मुठभेड़ में मारे गए एजाज़ अहमद ग़नाई, अतहर मुश्ताक़ वानी और ज़ुबैर अहमद लोन के परिजनों ने श्रीगर आकर जम्मू-कश्मीर पुलिस के कंट्रोल रूम के सामने आकर विरोध प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि उन तीनों को 'अग़वा कर फ़र्ज़ी मुठभेड़' में मारा गया है.
मुठभेड़ के बाद सेना और पुलिस के संयुक्त प्रेस कॉन्फ़्रेंस में सेना के जीओसी लेफ़्टिनेंट जनरल एच एस साही ने दावा किया था कि मंगल की शाम उन्हें हथियारबंद चरमपंथियों के एक घर में छुपे होने की ख़ुफ़िया जानकारी मिली थी जिसके बाद सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बलों की एक संयुक्त टीम ने उस घर को घेर लिया था.
लेकिन मारे गए लोगों के घर वालों का दावा है कि मारे गए तीनों लोग बेक़सूर थे.
पुलवामा के रहने वाले एजाज़ अहमद ग़नाई की बहन आसिया ने कहा, "कल सुबह उसने घर में चाय पी, फिर यूनिवर्सिटी में दाख़िले के लिए फ़ॉर्म लेने श्रीनगर गया. दोपहर तीन बजे मेरी उससे बात हुई लेकिन कुछ घंटों के बाद उसका फ़ोन बंद था. यह फ़र्ज़ी मुठभेड़ है. हमें इंसाफ़ चाहिए.''
पुलवामा के ही रहने वाले 11वीं क्लास में पढ़ रहे अतहर मुश्ताक़ के परिजनों ने बताया कि "वो टयूशन के लिए श्रीनगर में हॉस्टल ढूंढने गया था. मंगल की दोपहर में घर से निकला था.''
शोपियां के रहने वाले ज़ुबैर अहमद लोन के घर वालों का कहना है कि वो मज़दूरी करते थे. (bbc)