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केरल में जल कर मरने वाले दलित परिवार का पूरा मामला
31-Dec-2020 10:46 AM
केरल में जल कर मरने वाले दलित परिवार का पूरा मामला

photo credit twitter

केरल में कथित पुलिस उत्पीड़न की शिकायत कर रहे एक दलित युवक के एक वायरल वीडियो के सामने आने के बाद मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने जाँच के आदेश दे दिए हैं.

इस वीडियो में दलित युवक एक पुलिस अधिकारी से कह रहा है कि उन लोगों ने उसके माता-पिता की जान ले ली और अब उसे अंतिम संस्कार करने से भी रोका जा रहा है.

वीडियो के वायरस होने के बाद इसे लेकर केरल में अलग-अलग जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए और राज्य सरकार को दबाव में आकर जाँच का आदेश देना पड़ा. वीडियो में 23 साल के राहुल राज अपने माता-पिता अंबिली और राजन के लिए क़ब्र खोदते हुए दिख रहे हैं. राहुल के माता-पिता की 22 दिसंबर को हुई एक घटना में जल जाने के कारण मौत हो गई थी.

खुदाई कर रहे राहुल को जब एक पुलिस अधिकारी ने रोका तो वो वीडियो में ये कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि "तुम सभी लोगों ने मेरे माता-पिता की जान ले ली. और अब तुम ये कह रहे हो कि मैं उनका अंतिम संस्कार भी नहीं कर सकता हूं."

ये वीडियो वायरल हो गया, फिर विरोध-प्रदर्शन हुए और फिर कुछ ऐसे वीडियो सामने आए जिनमें लोग ये बता रहे थे कि पुलिस ने किस तरह से राजन को अपने ऐस्बेस्टस की छत वाले घर को छोड़ने के लिए कहा था. तिरुवनंतपुरम से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अतियान्नूर पंचायत में राजन का ये घर महज़ तीन सेंट (एक सेंट एक एकड़ के सौवें हिस्से के बराबर होता है) ज़मीन पर था.

22 दिसंबर को क्या हुआ था?

एक दूसरे वीडियो में राहुल ये बताते हुए दिख रहे हैं कि उस रोज़ क्या हुआ था.

वीडियो में राहुल राज बताते हैं, "हम दिन का खाना खाने के लिए बैठे ही थे कि पुलिस आई और कहा कि हमें ये घर ख़ाली कर देना चाहिए. मेरे पिता ने उनसे कहा कि हम खाना ख़त्म करते ही चले जाएंगे. लेकिन पुलिसवाला हमारी बात सुनने के मूड में नहीं था. उन्होंने कहा कि अभी निकल जाओ."

वीडियो में राहुल राज कहते हैं, "मेरे पिता ने पुलिस वाले से फिर कहा कि खाना ख़त्म करने के बाद वो घर ख़ाली कर देंगे. लेकिन ख़ाकी पहने लोगों ने उनकी बात मानने से इनकार कर दिया. तब मेरे पिता ने पेट्रोल की बोतल उठाई, सिर पर डाला, लाइटर उठाई और ख़ुद को आग लगा लिया. जब पुलिस वाले ने लाइटर छीनने की कोशिश तो लाइटर गिर गया और आग ने मेरे माता-पिता दोनों को ही जला दिया."

इस विभत्स घटना के एक अन्य वीडियो में ये देखा जा सकता है कि पुलिस अधिकारी लाइटर को झपटने की कोशिश कर रहे हैं और तभी लाइटर ज़मीन पर गिर जाता है और राजन और अंबिली आग की ज़द में आ जाते हैं.

मौत से पहले राजन ने मजिस्ट्रेट के सामने दिए अपने बयान में कहा, "मैंने केवल पुलिस वालों को दूर रखने के लिए लाइटर सुलगाया था. अपनी जान लेने का मेरा कोई इरादा नहीं था. लेकिन एक पुलिस वाले ने ज़ोर से झपट्टा मारा और लाइटर ज़मीन पर गिर गया और हम दोनों ही आग से जल गए."

ऐसा क्यों हुआ? इसकी वजह क्या थी?

राजन ने ज़मीन के जिस टुकड़े पर अपना घर बनाया था, दरअसल विवाद उस प्लॉट की मिलकियत को लेकर था. राजन के वकील निशांत पीबी ने ये बात मानी है कि वो प्लॉट वसंत नाम की एक महिला ने ख़रीदे थे लेकिन उनके दस्तावेज़ पक्के नहीं थे.

निशांत पीबी ने बताया, "वंसत ने जो ज़मीन ख़रीदी थी वो केरल लैंड असाइनमेंट रूल्स के तहत दी गई थी. ऐसे प्लॉट सरकार द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्यों को दिए जाते हैं और इनकी ख़रीद बिक्री नहीं की जा सकती है. इसका स्वामित्व एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को जाता है या फिर उसी समुदाय के किसी अन्य सदस्य को ये दिया जा सकता है."

"राजन उस ज़मीन पर इसलिए रह रहे थे क्योंकि पिछले मालिक ने उसे ये दिया था. ये हक़ पिछले मालिक की तरफ़ से दिया गया था. जब वसंत कोर्ट गईं तो राजन ने अदालत में उसे चुनौती नहीं दी. जब कोर्ट ने इंजक्शन ऑर्डर (निषेधाज्ञा यानी कुछ करने से रोकने का आदेश) पारित कर दिया तो उसने मुझसे संपर्क किया. फिर हम मुंसिफ़ कोर्ट में गए."

"इसके बाद हाई कोर्ट ने इंजक्शन ऑर्डर पर रोक लगा दी. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में ये भी कहा कि 15 जनवरी तक यथास्थिति बरक़रार रखी जाए. दुर्भाग्य से हाई कोर्ट का आदेश 22 दिसंबर की दोपहर को उस वक़्त आया जब राजन और अंबिली के साथ ये घटना घट चुकी थी."

वसंत के वकील बीजी विजय कुमार ने बीबीसी हिंदी को बताया, "ये सच है कि वो ज़मीन अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए निर्धारित थी. लेकिन वसंत ने जब ये ज़मीन ख़रीदी थी तो केरल लैंड असाइनमेंट रूल्स के तहत ऐसी ज़मीन पर ख़रीद-बिक्री की कोई पाबंदी नहीं थी. समस्या उस वक़्त शुरू हुई जब राजन ने आकर उस ज़मीन पर क़ब्ज़ा कर लिया. कोर्ट के इंजक्शन ऑर्डर के बावजूद उन्होंने प्लॉट की चारदीवारी गिराई और उस पर निर्माण कार्य कराया."

माता-पिता के अंतिम संस्कार के वक़्त राहुल को रोकने की पुलिस की असंवेदनशीलता को लेकर उपजे ग़ुस्से के बाद मुख्यमंत्री पी विजयन को इस मामले में दख़ल देना पड़ा. उन्होंने तिरुवनंतपुरम के ज़िलाधिकारी को मामले की मुकम्मल जाँच के आदेश दिए हैं.

इसके बाद ये घटना जिन परिस्थितियों में हुई, उसकी जाँच के लिए पुलिस जाँच के आदेश दिए गए हैं. (bbc)

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