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शादी के लिए लड़की की न्यूनतम उम्र बढ़ाने से क्या बाल विवाह रुक पाएंगें?
01-Jan-2021 9:37 AM
शादी के लिए लड़की की न्यूनतम उम्र बढ़ाने से क्या बाल विवाह रुक पाएंगें?

भारत सरकार लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष से बढ़ाने पर गंभीरता से विचार कर रही है. केन्द्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय ने इस सिलसिले में समता पार्टी की पूर्व अध्यक्ष जया जेटली की अध्यक्षता में एक समिति का गठन भी किया था और समिति ने अपनी रिपोर्ट संबंधित मंत्रालयों और नीति आयोग को सौंप दी है.

लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र बढ़ाई जाए इसे सरकार की तरफ़ से लड़कियों के साथ भेदभाव और उनके विकास के लिए सकारात्मक पहल बताया जा रहा है लेकिन यहीं ये सवाल भी उठता है कि भारत जैसे देश में जहां बाल विवाह के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं वहां लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाकर सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं जैसे लक्ष्य तक कैसे पहुंच सकती है?

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे -5(एनएफ़एचएस) के ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि पश्चिम बंगाल में (41.6 फ़ीसद) , बिहार (40.8 फ़ीसद ) और त्रिपुरा(40.1 फ़ीसद ) ऐसे राज्य हैं जहां बाल विवाह के मामले ज्यादा देखे गए हैं. इस सर्वेक्षण में शामिल 20 से 24 वर्ष की महिलाओं में से अधिकतर का विवाह 18 वर्ष की उम्र से पहले हो गया था. हालांकि पिछले सालों के मुकाबले यह बाल विवाह के आंकड़ों में कमी आई है. ये सर्वेक्षण देश के 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किया गया था.

सरकार द्वारा गठित समिति की अध्यक्ष जया जेटली भी मानती हैं कि बाल विवाह भारत में एक समस्या है और ये एक चिंता का विषय है कि क़ानून होने के बावजूद बाल-विवाह हो रहे हैं.

घट रही है बाल विवाह की संख्या

वे कहती हैं कि भारत में 18 साल से कम उम्र में लगभग डेढ़ करोड़ बच्चों की शादी हो जाती है लेकिन एक अच्छी बात है कि पहले ऐसी लड़कियों की संख्या 46 फ़ीसद थी लेकिन अब वो घटकर 27 फ़ीसद हो गई है.

उनके अनुसार भारत में बाल विवाह के मुख्य कारण परिवार पर पड़ने वाला समाजिक और आर्थिक दबाव हैं. इस हाल में वे शादी के लिए लड़कियों की न्यूनतम उम्र में बदलाव के पक्ष में कई तर्क भी देती हैं. इसमें सबसे अहम हैं जेंडर इक्वालिटी या महिला और पुरूष में समानता लाना.

वे कहती हैं, ''शादी के लिए लड़के और लड़की की उम्र बराबर होनी चाहिए और ये उम्र का फ़ासला एक तरह से पुरूष प्रधान सोच को ही दर्शाता है जिसे बदलने की जरूरत है. ये तर्क दिए जाते हैं कि शादी के लिए लड़के को परिपक्व होने या उसकी पढ़ाई को देखते हुए 21 की उम्र सही है लेकिन लड़की के लिए वो 18 है यानि वो परिपक्व हो या न हो कोई फ़र्क नहीं पड़ता. समाज में आपने एक मानसिकता बना दी कि लड़की गौण है. उसके भविष्य के बारे में ज्यादा सोचने की ज़रूरत नहीं है. वो शादी के बाद अपना भविष्य बना लेगी.यानि शादी ही लड़की का मक़सद बना दिया जाता है और इसी सोच को बदलना है.''

jaya jaitley photo courtsey PTI

वे आगे कहती हैं कि जब महिला या पुरूष को वोटिंग राइट्स या शराब सेवन के लिए बराबर अधिकार हैं तो शादी के लिए क्यों नहीं? ऐसे में ये सुधार लाना बहुत जरूरी है.

ड़ॉ कृति भारती को राजस्थान में पहला बाल विवाह रद्द कराने का श्रेय दिया जाता है और इस वजह से उनका नाम लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में शुमार हैं और सीबीएसई की किताब में भी इसका विवरण मिलता है.

राजस्थान के जोधपुर से काम करने वाली ये समाज सेविका सार्थी ट्रस्ट में मैनेज़िक ट्रस्टी हैं और उन्होंने अब तक देश भर में 1400 बाल विवाह रोके और 41 रद्द करवाएं हैं.

डॉ कृति भारती मानती हैं कि जेंडर इक्वॉलिटी लाने के लिए सरकार का ये क़दम महत्वपूर्ण है. इसमें लड़के और लड़की को पढ़ाई करने, करियर बनाने के समान अवसर मिलने चाहिए.

लेकिन वे आगे कहती हैं, ''आप जेंडर इक्वॉलिटी शहरों में देख सकते हैं, वो गांवों में नहीं होती. गांवों में सिर्फ़ एक जेंडर होता है वो है पुरूषों का. औरतों का कोई जेंडर है ही नहीं. हालांकि गांव की लड़कियां आगे बढ़ रही लेकिन उनका प्रतिशत कम है. इनमें वहीं लड़कियां शामिल हैं जिनका परिवार उन्हें आगे बढ़ने में उनका साथ दे रहा है.''

कृति भारती

न्यूनतम उम्र बढ़ाने से फ़ायदा होगा?

वे सरकार की पहल पर सवाल उठाती है कि क्या 18 वर्ष से ऊपर न्यूनतम उम्र करने से बाल विवाह रुक पाएंगे?

वे कहती हैं कि क़ानून होने के बावजूद जब लोग 18 साल की उम्र तक नहीं रुक रहें है तो आगे मान लीजिए कि न्यूनतम उम्र को 21 वर्ष कर दी जाती है तो क्या इससे बाल विवाह रुक जाएंगे. इस बारे में क्या सोचा जा रहा है? वहीं इससे बाल विवाह के आंकड़े भी बढ़ जाएंगे क्योंकि अब तक आप 18 साल से कम उम्र की शादी को बाल विवाह में जोड़ते हो , 21 या जो भी न्यूनतम उम्र तय किए जाने पर उससे वैश्विक स्तर पर भी भारत का चाइल्ड मैरीज का आंकडा बढ़ जाएगा. क्योंकि परिवार, बाल विवाह के मामलों पर रोक लगाते नज़र नहीं आते हैं.

अमेरिका के पिउ रिसर्च सेंटर के मुताबिक दुनिया के 117 देश ऐसे हैं जहां बाल-विवाह होते हैं.

पिउ ने 198 देशों में आंकलन कर ये पाया कि लगभग 192 देशों में शादी की उम्र को लेकर क़ानून हैं और केवल छह देश जिसमें सोमालिया, दक्षिण सूडान, यमन , सउदी अरब, गांबिया और इक्वटॉरिएल गिनिया में शादी की न्यूनतम उम्र को लेकर कोई क़ानून नहीं है.

छोटी उम्र में शादी से होने वाली दिक्कतें

दुनिया के करीब 38 देश ऐसे हैं जहां शादी के लिए लड़के और लड़की की न्यूनतम उम्र में फ़ासला रखा गया है और इसमें ज्यादातर देशों में लड़की की उम्र कम है. जैसे भारत में शादी के लिए एक लड़की की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष होनी चाहिए तो वहीं लड़के की उम्र 21वर्ष होनी चाहिए. बांग्लादेश में भी यही प्रावधान हैं.

साथ ही भारत में बाल विवाह को रोकने के लिए वर्ष 2006 में बाल विवाह रोकथाम क़ानून लाया गया था.

डॉ एसएन बसु

वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम के मुताबिक अगर दुनिया में ऐसे ही लड़कियों के बाल-विवाह होते रहे तो ऐसी लड़कियों की संख्या 2030 में संख्या एक अरब हो जाएगी.

साथ ही इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन लड़कियों की शादी छोटी उम्र में हो जाती है, उन्हें पढ़ाई जल्दी छोड़नी पड़ती है, वे घरेलू हिंसा झेलती हैं और एचआईवी/एड्स का शिकार हो जाती हैं और गर्भावस्था के दौरान और बच्चा पैदा करते वक्त होने वाली परेशानियों की वज़ह से उनकी मौत भी हो जाती है.

मैक्स अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ एसएन बसु भी मानती हैं कि महिलाओं के स्वास्थ्य को देखते हुए ये अहम क़दम हो सकता है.

वे कहती हैं,'' भारत जैसे देश में लड़कियां कम उम्र में मां बनती हैं जिससे कई बार उनकी जान को ख़तरा भी रहता है और नवजात की मौत की दर भी ज्यादा देखी गई है. महिला और बाल विकास मंत्रालय ने भी ये देखते हुए समिति का गठन किया ताकि मातृ मृत्यु अनुपात और महिलाओं और बच्चों की सेहत में सुधार लाया जा सके''.

वे मानती है कि 18 वर्ष की लड़की शारीरिक तौर पर मां बनने के लिए तैयार होती है लेकिन भावनात्मक और मानसिक तौर पर वो तैयार है कि नहीं ये एक महत्वपूर्ण मुद्दा है क्योंकि शादी के बाद जिंदगी में आने वाले उतार चढ़ाव की समझ को देखना भी जरूरी होता है. साथ ही देखा गया है कि 20 से 25 की उम्र में गर्भावस्था या डिलीवरी के दौरान कम दिक़्क़ते पेश आती हैं.

लेकिन यहां ये भी ध्यान देने की बात है कि जब भारत जैसे देश में जहां बाल विवाह को रोकने के लिए क़ानून है लेकिन फिर भी देखा जा रहा है कि बाल विवाह हो रहे हैं तो ऐसे में केवल शादी के लिए लड़की की उम्र बढ़ाने से क्या वाकई फ़र्क पड़ेगा?

वकील मधु मेहरा भी कहती है कि वैश्विक स्तर पर देखें तो 18 वर्ष को वयस्क बताया गया है और उसे क़ानूनी तौर पर कई अधिकार हैं, वे कॉट्रेक्ट कर सकते है, अपनी प्रॉपर्टी खरीद और बेच सकते हैं चाहे वो असलियत में भावनात्मक और मानसिक तौर पर इतने परिपक्व या तैयार हों या नहीं

मधु मेहरा पार्टनर्स फ़ॉर ला इन डेवलपमेंट में कार्यकारी निदेशक हैं और नेशनल कोलिशन फ़ॉर एडवोकेटिंग फ़ॉर एडोलेसन्ट कन्सर्नस की सह-संस्थापक भी हैं.

वे कहती हैं,'' यहां लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र पर विचार किया जा रहा है लेकिन उससे अहम ये हैं कि लड़कियों की अच्छी शिक्षा पर ज़ोर दिया जाए क्योंकि बाल विवाह का मुख्य कारण ग़रीबी है तो ऐसे में सरकार को चाहिए कि परिवार में बेटियों को लेकर जो असुरक्षा की भावना होती है उस दिशा में काम करे , स्वास्थ्य सुविधाओं पर ज़ोर दिया जाना चाहिए.''

सरकार को इस बात का आंकलन करना चाहिए कि ग़रीब तबके की लड़कियों ने अगर देर से शादी की तो उनके जीवन में क्या बदलाव आया और जिन कारणों से उनका जीवन बदला वैसे ही बदलाव दूसरी लड़कियों के जीवन में लाने की कोशिश होनी चाहिए. जैसे अच्छे स्कूल, हॉस्टल में दाखिला या किसी समूह में शामिल होने का असर हुई या जिनकी मां काम कर रही थी उससे उनके जीवन में कैसे लाभ मिल पाया.

जया जेटली भी मानती है कि ग़रीब और ग्रामीण इलाकों में स्पेशल ज़ोन बनाए जाने चाहिए, वहां स्कूल, लाइब्रेरी और लड़कियों को स्कूल आने-जाने के लिए वाहन की सुविधा मुहैया कराई जानी चाहिए. साथ ही पंचायत को घरों में पढ़ाई की सुविधा दी जानी चाहिए ताकि लड़कियां आगे बढ़ सकें और शादी को ही उनके जीवन का मक़सद बनाकर नहीं देखा जाना चाहिए.

उनके अनुसार समिति के सदस्यों ने शादी की न्यूनतम उम्र को लेकर देशभर के 1600 कॉलेज और यूनिवर्सिटी में प्रश्नावली भेजी. इसमें आम सवाल पूछे गए थे कि अगर आपको पढ़ने का मौक़ा मिलेगा तो क्या करेंगे, बाल विवाह पर आपकी क्या सोच है?

वे कहती हैं ," साथ ही हमने स्टेक होल्डर्स की बैठक भी बुलाई. ये हमने वेबिनार के ज़रिए किया और इसमें हमने लड़कियों के विकास से जुड़े मामलों पर जो संस्थाएं काम करती हैं उनसे कहा कि वे इस वेबिनार में शामिल होने के लिए लड़के लड़कियों को आमंत्रित करे. इसमें पांच राज्यों - झारखंड, केरल, राजस्थान, बिहार और पश्चिम बंगाल से 25 बच्चे शामिल हुए."

मधु मेहरा

जया जेटली बताती हैं कि इनमें से ज्यादात्तर लड़के और लड़कियों, चाहे वो किसी भी धर्म के हों, किसी ने भी शादी के लिए 22 साल की न्यूनतम उम्र को सही ठहराया.

संयुक्त राष्ट्र की बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था यूनिसेफ़ की चाइल्ड प्रोटेक्शन की प्रमुख सोलेडेड हरेरो भी मानती हैं कि महिलाओं की शादी की न्यूनतम उम्र बढ़ाए जाने से उनके स्वास्थ्य और पढ़ाई करने जैसे मुद्दों पर सकारात्मक असर पड़ेगा.

लेकिन इसके लिए ऐसी नीतियां और कार्यक्रम बनाए जाने चाहिए जिससे वो पढ़ाई कर सकें, उनका सशक्तिकरण हो सके

जया जेटली कहती हैं कि जब न्यूनतम उम्र का क़ानून 16 से 18 वर्ष किया गया था तब ज़ोर जनसंख्या नियंत्रण पर था. इसके पीछे ये सोच थी कि शादी देर से होगी तो बच्चे देर से होंगे लेकिन अब हमें जेंडर इक्वॉलिटी के लिए प्रचार करना होगा जैसे हम बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं का नारा दे रहे हैं. तभी लोगों में जागरूकता आएगी. लड़कियां हर क्षेत्र में आगे आ रही है लेकिन परिवार के भीतर ये सोच बनानी होगी कि दोनों बराबर है.

वो कहती हैं, "जब लोग ये समझ जाएंगे तो क़ानून की जरूरत ही नहीं पड़ेगी क्योंकि शादी पारिवारिक औऱ व्यक्तिगत मामला है." (bbc)  

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