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सरकारी गवाह बनकर भी सज़ा से नहीं बच सकते नीरव मोदी के बहन-बहनोई
08-Jan-2021 9:39 AM
सरकारी गवाह बनकर भी सज़ा से नहीं बच सकते नीरव मोदी के बहन-बहनोई

लंदन की वेंडज़वर्थ जेल में नीरव मोदी की बहन और बहनोई की ओर से सरकारी गवाह बनने की इच्छा ज़ाहिर करने के बाद उनकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं.

सोमवार को मुंबई में जस्टिस वीसी बार्डे की विशेष अदालत के सामने दोनों ने सरकारी गवाह बनने को लेकर आवेदन दिया है.

इस आवेदन में नीरव मोदी की बहन पूर्वी मेहता और उनके पति मयंक मेहता ने अदालत से कहा कि वो पंजाब नेशनल बैंक से जुड़े दो अरब डालर के ग़बन के मामले में जाँच करने वाले अधिकारियों को कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ मुहैया करा सकते हैं. दोनों ने अदालत के समक्ष क्षमा याचिका दायर करते हुए सरकारी गवाह बनने की इच्छा भी ज़ाहिर की है.

पूर्वी मेहता, हीरा कारोबारी नीरव मोदी की छोटी बहन हैं और वो बेल्जियम की नागरिक हैं जबकि उनके पति मयंक के पास ब्रितानी नागरिकता है.

सरकारी गवाह बनने के लिए आवेदन

प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्डरिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस वीसी बार्डे की विशेष अदालत ने अपने निर्देश में स्पष्ट किया है कि दोनों ने ही क्षमा की प्रार्थना अदालत से की है और वे सरकारी गवाह बनना चाहते हैं.

अदालत ने दोनों को अपने सामने हाज़िर होने का भी निर्देश दिया है. लेकिन पूर्वी और मयंक ने अदालत से कहा है कि कोविड-19 के फैल रहे संक्रमण की वजह से वो यात्रा करने की स्थिति में नहीं हैं और वो अदालत की कार्यवाही में वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिये जुड़ना चाहते हैं.

इससे पहले ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने इस मामले में पूर्वी और और उनके पति को नीरव मोदी के साथ सह-अभियुक्त बनाया था और न्यूयॉर्क और लंदन स्थित उनकी सपत्ति को ज़ब्त भी कर लिया था.

वहीं नीरव मोदी के प्रत्यर्पण को लेकर लंदन की अदालत में साल 2019 से मामला चल रहा है.

पंजाब नेशनल बैंक से 14000 करोड़ रुपये के ग़बन के संबंध में सीबीआई और ईडी ने अलग-अलग मामले दर्ज किए हैं. सीबीआई ने नीरव मोदी के ख़िलाफ़ जो दो मामले दर्ज किए हैं उनमें पूर्वी और मयंक को अभियुक्त नहीं बनाया गया है.

लेकिन प्रवर्तन निदेशालय ने दोनों को अभियुक्त बनाया है क्योंकि आरोप है कि इन दोनों के ज़रिये ही नीरव मोदी ने 12000 करोड़ रुपये तक की रक़म को ठिकाने लगाने में कामयाबी हासिल की है. मामले के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय ने जो आरोप पत्र दायर किया उसमें मयंक मेहता को भी अभियुक्त बनाया गया है.

पूर्वी और मयंक के वकील अमित देसाई के अनुसार दंपत्ति ने ख़ुद को नीरव मोदी की करतूतों से अलग कर लिया है. उनकी दलील है कि दोनों की निजी ज़िंदगी पर नीरव मोदी की करतूतों की वजह से बुरा असर पड़ा है.

नीरव मोदी की करतूतों से ख़ुद को अलग किया

यही बात देसाई ने अदालत में दायर हलफ़नामे में भी कही है और ये भी कहा है कि दोनों ही नीरव मोदी की आपराधिक करतूतों से तंग आ चुके हैं.

हलफ़नामे में कहा गया है कि नीरव मोदी की बहन होने के नाते पूर्वी मेहता, मामले से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज़ और सुबूत के साथ-साथ नीरव मोदी की कंपनियों और उनके बैंक खातों की जानकारी अनुसंधानकर्ता अधिकारियों को दे सकती हैं.

हालांकि अदालत में प्रवर्तन निदेशालय के वकील ने पूर्वी और मयंक के प्रस्ताव का विरोध तो नहीं किया मगर उन्होंने कहा कि दूसरी किसी कंपनी या किसी व्यक्ति को अब इस मामले में सरकारी गवाह बनने की अनुमति अदालत ना दे.

क़ानून के जानकार मानते हैं कि भले ही नीरव मोदी की बहन और उनके पति सरकारी गवाह बनने के इच्छुक हैं, लेकिन उन्हें ज़्यादा राहत नहीं मिल पाएगी.

हिमाचल प्रदेश स्थित नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले क़ानून के जानकार चंचल सिंह कहते हैं कि 'लॉ ऑफ़ एविडेंस' के तहत दोनों को ये फायदा होगा कि उनकी सज़ा को कम करने के बारे में अदालत विचार कर सकती है.

उनका कहना था कि इससे जांच एजेंसियों को ही ज़्यादा फ़ायदा होगा क्योंकि वे नीरव मोदी के ख़िलाफ़ और ज्यादा पुख़्ता सबूत इकट्ठा कर सकते हैं. इससे नीरव मोदी के ख़िलाफ़ लंदन की अदालत में चल रहे प्रत्यर्पण के मामले के अलावा 'प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्डरिंग एक्ट' के तहत सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज किए गए मामलों में मदद मिलेगी.

प्रत्यर्पण में मिलेगी मदद

सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता कहते हैं कि नीरव मोदी की बहन और बहनोई की जो संपत्ति इस मामले में जाँच एजेंसी द्वारा लंदन और न्यूयॉर्क में पहले ही ज़ब्त की जा चुकी है वो अब वापस नहीं मिल सकती.

बीबीसी से बात करते हुए वो कहते हैं, "सरकारी गवाह बनने का मतलब है कि उन्हें पहले तो अदालत के सामने अपना गुनाह क़बूल करना होगा. अगर वे गुनाह में अपनी संलिप्तता स्वीकार कर लेते हैं तो फिर क़ानून के हिसाब से उन्हें सज़ा मिलेगी. हाँ, चूँकि वो जाँच में सरकार की मदद करेंगे इसलिए अदालत रियायत के रूप में सिर्फ़ उतना कर सकती है कि उनकी सज़ा कम कर सकती है या उन पर अगर कोई जुर्माना लगाया जाए तो उसकी रक़म भी कम कर सकती है."

वहीं लंदन में ज़िला जज सैमुएल गूज़ की अदालत में नीरव मोदी के प्रत्यर्पण से संबंधित मामले की सुनवाई चल रही है जिसका फ़ैसला अगले हफ़्ते सुनाया जा सकता है.

मामले की सुनवाई आठ जनवरी को पूरी हो जाएगी. यहाँ भी सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के वकीलों ने नीरव मोदी को भारत लाने के लिए अदालत के सामने पंजाब नेशनल बैंक में हुए ग़बन से संबंधित दस्तावेज़ और सबूत पेश किए हैं.

सीबीआई के सूत्रों ने आशा व्यक्त की है कि जल्द वो नीरव मोदी को वापस भारत लाने में कामयाबी हासिल कर लेंगे क्योंकि उन्होंने लंदन की अदालत के समक्ष ठोस सबूत पेश किए हैं. (BBC)   

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