राष्ट्रीय
सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया (सेबी) ने सीएनबीसी आवाज़ के एंकर हेमंत घई को चैनल के लिए किसी भी शो की होस्टिंग करने पर रोक लगा दी है.
सीएनबीसी आवाज़ नेटवर्क-18 समूह का एक चैनल है. नेटवर्क-18 ने बयान जारी कर कहा कि हेमंत घई को 'तत्काल प्रभाव' से हटा दिया गया है.
अपनी जाँच में सेबी ने पाया है कि हेमंत घई ने 'स्टॉक 20-20' शो के दौरान शेयरों को लेकर जो जानकारी दी थी, उनके बारे में उन्हें पहले से पता था और इसका इस्तेमाल उन्होंने अपने फ़ायदे के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किया.
घई सीएनबीसी आवाज़ के लिए 'स्टॉक 20-20', 'मुनाफ़े की तैयारी', 'पहला सौदा' और 'कमाई का अड्डा' जैसे शो करते हैं.
इन कार्यक्रमों में खुदरा क्षेत्र के निवेशकों को स्टॉक की जानकारी दी जाती है कि दिन में कौन सा शेयर ख़रीदा जाए या बेचा जाए.
सेबी ने किसी भी तरह की निवेश संबंधित सलाह देने को लेकर हेमंत घई पर अगले आदेश तक पूरी तरह से बैन लगा दिया है. वो स्टॉक मार्केट से संबंधित किसी भी तरह का रिसर्च पेपर भी नहीं जारी कर सकते हैं.
सेबी ने उन्हें वो 2.95 करोड़ रुपये सरेंडर करने को भी कहा जो उन्होंने इस धांधली से कमाए हैं.
शो के दौरान क्या कर रहे थे हेमंत?
सेबी ने 13 जनवरी को जारी अपने आदेश में कहा, "ऐसा पता चला है कि जया हेमंत घई और श्याम मोहिनी घई ने एक ख़ास समय में शो में बताई गई सिफ़ारिशों के अनुरूप बड़ी संख्या में बाय-टुडे-सेल-टुमॉरो (बीटीएसटी) के अधीन ट्रेड किया. जिस दिन 'स्टॉक 20-20' शो में शेयर को लेकर सलाह दी गई थी, उससे एक दिन पहले ये शेयर ख़रीदे गए थे और शो वाले दिन तुरंत उन्हें बेच दिया गया था."
हेमंत घई दो खातों के माध्यम से ये ट्रेड कर रहे थे. ये खाते उनकी माँ और पत्नी के नाम पर हैं.
वह शो के दौरान जिन शेयरों को ख़रीदने और बेचने की बात करते थे, उन्हें वो खुद ख़रीद और बेच रहे थे. वो इससे खूब पैसा बना रहे थे. आम तौर पर इसे 'पंप और डंप स्कीम' कहते हैं.
इसमें होता यह है कि किसी के पास अगर किसी स्टॉक के बारे में जानकारी है तो वो उसकी ग़लत जानकारी देकर उसके भाव बढ़ा देता है और फिर जब भाव बढ़ जाता है तो स्टॉक बेच देता है.
इस तरह से दूसरे निवेशकों को गुमराह करके अच्छा मुनाफा कमाया जाता है.
सेबी को यह पता चला कि शो के दौरान जिस स्टॉक के बारे में बताया जा रहा था, उसे एक दिन पहले ही ख़रीदा जाता था और शो वाले दिन मार्केट खुलते ही उसे बेच दिया जाता था.
इससे यह पूरी तरह से साफ़ हो चुका है कि घई अपनी स्थिति का लाभ उठाते हुए पैसा बना रहे थे. इसे 'इनसाइडर ट्रेडिंग' कहते हैं.
दोनों ही ख़ातों में 1 जनवरी 2019 और 31 मई 2020 के बीच हुए सभी लेनदेन की जाँच की गई है.
ऐसी गतिविधियों पर सेबी के 'धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार प्रथाओं के निषेध नियमों' के अंतर्गत रोक है.
सेबी के आदेश की कॉपी सीएनबीसी-टीवी 18 और न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी को ज़रूरी क़दम उठाने के लिए भेज दी गई है.
सेबी के पूर्व ईडी जेएन गुप्ता ने बीबीसी से कहा, "इस तरह की गतिविधि को लेकर स्पष्ट नीति है. अगर आपके पास कोई भी शेयर हैं तो उसके बारे में आपको अपने नियोक्ता और नियामक को बताना होगा. आप रिपोर्टर, निर्माता या एंकर की हैसियत से मिली जानकारी का उपयोग लाभ कमाने के लिए नहीं कर सकते."
"आप उन स्टॉक्स में ट्रेड नहीं कर सकते जिसके बारे में आपने अपने शो के दौरान बताया है."
उन्होंने कहा, "सेबी ने उन्हें ट्रेड से बनाए पैसे सरेंडर करने को कहा है. उन्हें अपनी स्थिति साफ़ करने के लिए कुछ समय भी दिया जाएगा. उन्हें जेल की सज़ा नहीं हो सकती है लेकिन उन्हें ज़िंदगी भर के लिए स्टॉक मार्केट से दूर किया जा सकता है. वो और उनके परिवार का कोई भी सदस्य मार्केट से जुड़ी किसी भी गतिविधि में हिस्सा नहीं ले सकता है."
सिर्फ़ हेमंत घई की जाँच क्यों?
एक बिज़नेस चैनल के लिए काम कर चुके संपादक ने नाम न ज़ाहिर करने के अनुरोध के साथ कहा कि, "यह दिलचस्प है कि सेबी ने सिर्फ़ हेमंत घई की जाँच क्यों की. उन्हें यह साफ़ करना चाहिए कि इसके पीछे क्या वजह है. क्या उन्होंने दूसरे चैनल और एंकर्स की जाँच की है. क्या वो इस बात को लेकर निश्चित हैं कि कोई दूसरा इसमें शामिल नहीं है."
वे कहते हैं, "जब नौकरी के अनुबंध पर हस्ताक्षर करवाया जाता है तो उसमें साफ़ लिखा होता है कि वे नौकरी के दौरान प्राप्त जानकारी का उपयोग नहीं कर सकते हैं."
सेबी ने नेटवर्क-18 को इस आदेश के बारे में शो के दर्शकों को बताने के लिए भी कहा है. (bbc)