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किसान आंदोलन: 9वें दौर की वार्ता से पहले राकेश टिकैत ने कहा- 'कृषि क़ानून वापस लेने पड़ेंगे'
कानून संसद लेकर आई है और ये वहीं खत्म होंगे। कानून वापस लेने पड़ेंगे और MSP पर कानून लाना पड़ेगा: 9वें दौर की वार्ता से पहले राकेश टिकैत, भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता #FarmersProtest pic.twitter.com/Q1x6Y5yYil
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 15, 2021
केंद्र सरकार के साथ होने वाली 9वें चरण की वार्ता के लिए किसान नेता सिंघु बॉर्डर से विज्ञान भवन पहुँच चुके हैं.
वार्ता से पहले भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, "क़ानून संसद लेकर आई है और ये वहीं ख़त्म होंगे. क़ानून वापस लेने पड़ेंगे और एमएसपी पर क़ानून लाना पड़ेगा."
Government welcomes the Supreme Court order regarding the farmers' agitation. The government will put forth its views before the committee (appointed by the court). We are trying to resolve the issue through dialogue: Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar pic.twitter.com/63hqsYCJCK
— ANI (@ANI) January 15, 2021
वहीं केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा है कि "किसान यूनियन के नेता सुप्रीम कोर्ट से भी बड़े हो रहे हैं. मंत्री जी ने लगातार 8 दौर की वार्ता की, गृहमंत्री जी लगातार उनके संपर्क में हैं, प्रधानमंत्री जी ने भी आश्वासन दिया है, कोर्ट ने क़ानूनों पर रोक लगा दी है. यह उनकी ज़िद है, वो इसे छोड़ें."
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि "भारत सरकार उच्चतम न्यायालय के फ़ैसले का स्वागत करती है और उच्चतम न्यायालय की बनाई समिति जब सरकार को बुलाएगी तो हम अपना पक्ष समिति के सामने रखेंगे. आज वार्ता की तारीख़ तय थी इसलिए किसानों के साथ हमारी वार्ता जारी है. हम लगातार कोशिश कर रहे हैं कि किसानों के साथ चर्चा के माध्यम से कोई रास्ता निकल आए. आज क़ानूनों पर चर्चा होगी."
अब तक सरकार और किसानों के बीच आठ चरण की वार्ता हुई है जिसमें कोई नतीजा नहीं निकल पाया. किसान चाहते हैं कि तीनों कृषि क़ानून वापस लिये जायें.
लेकिन केंद्र सरकार कोई बीच का रास्ता निकालने का प्रयास कर रही है. सरकार ने कृषि क़ानूनों में कुछ संशोधनों का प्रस्ताव किसान नेताओं के सामने रखा था, जिसपर किसान संगठन राज़ी नहीं हुए.
उधर कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ टिकरी और सिंघु बॉर्डर पर किसानों का विरोध-प्रदर्शन आज 51वें दिन भी जारी है.
इस बीच भारतीय किसान यूनियन के नेता भूपिंदर सिंह मान ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनायी गई कमेटी से अपने अलग होने की वजह भी बताई है.
उनका कहना है, “आंदोलन और किसानों के हितों को देखते हुए मैं समझता हूँ कि कमेटी में जाने का कोई तुक नहीं है. जब किसानों ने कह दिया है कि हम कमेटी के सामने नहीं जायेंगे तो कमेटी का कोई तुक नहीं रह जाता, इसलिए मैंने कमेटी को छोड़ा है.”
Since protesting farmers have announced not to appear before the committee, there is no point in being part of it: Bhupinder Singh Mann, Chairman of All India Kisan Coordination Committee, on his decision to recuse himself from 4-member committee appointed by Supreme Court https://t.co/BHhMbiMffi pic.twitter.com/W2cAMr9pkI
— ANI (@ANI) January 15, 2021
गुरुवार को पूर्व राज्यसभा सांसद भूपिंदर सिंह मान ने किसान आंदोलन को लेकर बनाई गई सुप्रीम कोर्ट की चार सदस्यीय कमेटी से ख़ुद को अलग करने की घोषणा की थी.
उन्होंने यह भी कहा, "ख़ुद एक किसान होते हुए और किसान नेता होने के नाते, स्थिति और किसान संगठनों की चिंताओं के मद्देनज़र, मैं किसी भी पद की क़ुर्बानी के लिए तैयार हूँ ताकि पंजाब और देश के किसानों के हितों से कोई समझौता न हो. मैं खुद को कमेटी से अलग करता हूँ और मैं हमेशा किसानों और पंजाब के साथ खड़ा हूँ."
भूपिंदर सिंह मान भारतीय किसान यूनियन से टूट कर बने संगठन बीकेयू (मान) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. वे ऑल इंडिया किसान कॉर्डिनेशन कमेटी के भी अध्यक्ष हैं.
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को लिखी अपनी चिट्ठी में उन्होंने कृषि क़ानूनों का समर्थन किया था, लेकिन साथ ही कहा था कि इन्हें कुछ संशोधनों के बाद लाया जाये. एमएसपी को लेकर भी वे सरकार से लिखित में आश्वासन माँग रहे थे कि इसे ख़त्म नहीं किया जाएगा. (bbc.com)