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नई दिल्ली, 22 जनवरी | देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन की अगुवाई कर रहे किसानों के संगठनों का संघ संयुक्त किसान मोर्चा ने गुरुवार को कहा कि नए कृषि कानून पर सरकार का प्रस्ताव उसे मंजूर नहीं है। आंदोलनरत किसानों की मांगों को लेकर सरकार के साथ 11वें दौर की वार्ता से एक दिन पहले मोर्चा ने एक बयान में कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा की आमसभा में सरकार द्वारा दिए गए प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया। सयुंक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन की मुख्य मांगों के रूप में तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को पूरी तरह रद्द करने और सभी किसानों के लिए सभी फसलों पर लाभदायक एमएसपी के लिए एक कानून बनाने की बात दोहराई है।
किसान यूनियनों के साथ बुधवार को 10वें दौर की वार्ता में सरकार ने नए कृषि कानूनों के अमल को डेढ़ साल तक के लिए स्थगित करने का प्रस्ताव दिया था। सरकार ने यह भी कहा है कि इस अवधि के दौरान सरकार और किसानों के प्रतिनिधियों की एक कमेटी बनाकर नये कानून और आंदोलन से जुड़े सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श करके समाधान निकाल लिया जाएगा। किसान ंयूनियनों ने इस प्रस्ताव पर अपना निर्णय सुनाने के लिए वक्त मांगा था, इसलिए अगले दौर की वार्ता शुक्रवार को दोहपर 12 बजे तय की गई है।
मगर, इस वार्ता से पहले प्रदर्शनकारी किसान संगठनों ने सरकार के प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया है। इसलिए अब 11वें दौर की वार्ता में सरकार और यूनियन के नेताओं के बीच किसी नतीजे पर पहुंचने को लेकर फिर एक असमंजस की स्थिति बनी रह सकती है।
सयुंक्त किसान मोर्चा की तरफ से किसान नेता डॉ. दर्शन पाल द्वारा जारी बयान के अनुसार, इस आंदोलन के दौरान 140 किसान अपनी जान गवां चुके हैं। मोर्चा ने आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, "इस जनांदोलन को लड़ते-लड़ते ये साथी हमसे बिछड़े हैं। इनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।"
उधर, पूर्व घोषित किसान परेड को लेकर दिल्ली पुलिस के साथ हुई बैठक की जानकारी देते हुए संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि पुलिस प्रशासन ने दिल्ली में प्रवेश न करने की बात कही, वहीं किसानों ने दिल्ली के रिंग रोड पर परेड करने की बात मजबूती से रखी।
--आईएएनएस