राष्ट्रीय
द हिंदू की ख़बर के मुताबिक़, भारत के पूर्व उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा है कि बुनियादी उसूलों में गिरावट आई है और सरकारी अधिकारियों के शब्दकोष से धर्मनिरपेक्षता शब्द 'लगभग ग़ायब' हो गया है.
हामिद अंसारी ने अपनी आत्मकथा 'बाय मेनी ए हैप्पी एक्सीडेंट' में लिखा है कि "बुनियादी उसूलों की इस गिरावट में अन्य सामाजिक और राजनीतिक ताक़तों की नाकामी शामिल है, जिन पर इस गिरावट को रोकने की ज़िम्मेदारी थी."
हामिद अंसारी का मानना है कि समावेशी संस्कृति, भाईचारा और वैज्ञानिक सोच जैसे संवैधानिक मूल्य भी राजनीतिक पटल से धीरे-धीरे ग़ायब होते जा रहे हैं और उनकी जगह विपरीत मान्यताओं को बढ़ावा दिया जा रहा है.
उप-राष्ट्रपति बनने से पहले भारतीय विदेश सेवा में रहे हामिद अंसारी का तर्क है कि विधि के शासन पर गंभीर ख़तरा मंडरा रहा है और इसके पीछे सरकारी प्रतिष्ठानों की कार्य-कुशलता में कमी और मनमाने तरीक़े से फ़ैसले करने जैसी वजहें ज़िम्मेदार हैं.
उन्होंने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि लोकप्रियता की सफलता, किसी विचारधारा की सफलता नहीं बल्कि सत्ता हासिल करने और सत्ता में बने रहने की रणनीति है, फिर चाहे उसके लिए साज़िश करना पड़े, पूरे विपक्ष का अपराधीकरण करना पड़े और विदेशी ख़तरों का डर दिखाना पड़े. (bbc.com)