राष्ट्रीय
-सलमान रावी
पश्चिम बंगाल और असम के दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत के ‘योग और चाय’ के ख़िलाफ़ ‘अंतरराष्ट्रीय साज़िश’ चल रही है. उनका कहना था कि, “षड्यंत्रकारी, असम के चाय बग़ान के कामग़ारों और योग को निशाना बना रहे हैं.”
इस दौरान उन्होंने असम के सोनितपुर ज़िले के ढेकियाजूली में मेडिकल कॉलेज के शिलान्यास समारोह और पश्चिम बंगाल के हल्दिया में बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया.
असम के कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा, “भारत को बदनाम करने के लिए वो चाय से जुड़ी भारत की पहचान पर हमला करने की बात कर रहे हैं. टी-वर्कर्स की कड़ी मेहनत पर हमला करने का षड्यंत्र किया जा रहा है. योग जैसी भारत की विरासत पर हमला किया जा रहा है.”
उनका यह भी कहना था, “आप समाचारों में देख रहे होंगे, आजकल किस तरह के अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र सामने आ रहे हैं. अब तो इस बात की प्लानिंग की जा रही है कि कैसे भारत को बदनाम करना है. कैसे भारत की छवि को बिगाड़ना है.”
ज़ाहिर है प्रधानमंत्री का इशारा स्वीडन की युवा पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग की तरफ था जिन्होंने भारत में चल रहे किसानों के आंदोलन का समर्थन करते हुए ट्वीट किया था. सबसे पहले ग्रेटा ने जो ट्वीट किया था उसमें उन्होंने ‘टूलकिट’ की एक प्रति संलग्न की थी जिसे बाद में डिलीट कर दिया गया था.
इस टूलकिट में और भी चीज़ों के अलावा ये भी कहा गया था कि “विश्व में भारत की जो छवि जो योग और चाय को लेकर बनी है उसमें हस्तक्षेप करना चाहिए.”
हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुलकर इसका उल्लेख तो नहीं किया मगर वो इशारों-इशारों में जो कह रहे थे उससे समझ में आ रहा था कि वो क्या कहना चाह रहे हैं. हालांकि मोदी के कार्यक्रम के बाद असम के मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने उस डिलीट किए गए ‘टूलकिट’ की इमेज़ ट्विटर पर शेयर की जिससे साफ़ हो गया कि प्रधानमंत्री क्या कहना चाह रहे थे.
चूँकि ‘टूलकिट’ में चाय का ज़िक्र था और मोदी असम में थे, उन्होंने कहा कि जो दस्तावेज़ सामने आए हैं उनसे पता चलता है कि कुछ विदेशी ताक़तें चाय से जुड़ी भारत की पहचान पर हमला करने का षड्यंत्र कर रही हैं.
प्रधानमंत्री मोदी का कहना था, “मैं असम की ज़मीन से इन षड्यंत्रकारियों को कहना चाहता हूँ कि वो जितनी भी कोशिश कर लें, ये देश उनके मंसूबों को पूरा नहीं होने देगा. मेरे चाय बग़ान के मज़दूर इस जंग को जीतेंगे. ये हमले इतने मज़बूत नहीं हैं कि वो चाय बग़ान के मज़दूरों की कड़ी मेहनत का मुक़ाबला कर सकें.”
मोदी ने कहा कि जो कोई इस षड्यंत्र में शामिल है उसे “जवाबदेह” बनाया जाएगा.
कहा जा रहा है कि इस रैली से मोदी ने अपनी पार्टी के लिए चुनावी प्रचार का औपचारिक शुरुआत कर दी. उनका ये बयान इसलिए भी गंभीरता से लिया जा रहा है क्योंकि राज्य में विधानसभा की जिन 126 सीटों पर चुनाव होंगे उसमे 35 ऐसी सीटें हैं जिनपर चाय बग़ान के मज़दूरों का वोट निर्णायक भूमिका निभा सकता है.
इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री ने भी असम में सभाओं को संबोधित किया लेकिन इस बार उन्होंने ‘नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़न्स’ की कोई चर्चा नहीं की जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी का यही सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा था.
चूँकि समारोह सोनितपुर में हो रहा था. उन्होंने कहा, “सोनितपुर की लाल चाय अपने अलग स्वाद के लिए जानी जाती है. मुझसे बेहतर भला ये कौन बता सकता है कि सोनितपुर और असम की चाय का स्वाद इतना ख़ास और अलग क्यों है.”
पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने अपने ट्वीट में लिखा, “कोई चाय को कैसे बदनाम कर सकता है? क्या अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ चाय अवमानना का मामला दायर किया जाएगा? मैं समझता हूँ दिल्ली पुलिस ने अब तक अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ विश्व भर में प्राथमिकियां दर्ज कर दी होंगी.”
भारत में चाय उत्पादन के मुख्य केंद्र
भारत में चाय का सबसे ज़्यादा उत्पादन मुख्य तौर पर उत्तरी बंगाल के दार्जीलिंग और दोआर के इलाक़ों के अलावा पूर्वोत्तर राज्य असम में होता है. दक्षिण भारत के कर्नाटक, तमिलनाडु के ऊटी और कोडाईकनाल यानी निलगिरी के इलाक़ों में भी भारी मात्रा में चाय का उत्पादन होता है. मगर पूरे देश में पूर्व और पूर्वोत्तर राज्य ही ऐसे हैं जहाँ इसका उत्पादन सबसे ज़्यादा है.
इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन ने डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ़ कमर्शियल इंटेलिजेंस एंड स्टैटिस्टिक्स और चाय बोर्ड इंडिया की रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि भारत की चाय की गुणवत्ता पूरे विश्व में चाय उत्पादन करने वाले देशों में सबसे अच्छी है.
इसका कारण भारत का मौसम बताया गया है. रिपोर्ट के अनुसार इसी वजह से साल दर साल भारत में चाय के उत्पादन में काफ़ी निवेश देखने को मिला है. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि भारत में पैदा होने वाली चाय का तीन-चौथाई हिस्सा देश में ही खप जाता है. आबादी के हिसाब से चाय पीने वालों की ये संख्या पूरे विश्व में सबसे ज़्यादा है.
डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ़ कमर्शियल इंटेलिजेंस एंड स्टैटिस्टिक्स और चाय बोर्ड इंडिया की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार भारत ने वित्तीय वर्ष 2018-19 में 830.90 अरब अमेरिकी डॉलर तक की चाय का निर्यात किया था जबकि वित्तीय वर्ष 2019-20 में 826.47 अरब अमेरिकी डॉलर की चाय का निर्यात भारत से किया गया.
चाय का सबसे ज़्यादा निर्यात करने वाले देशों में भारत चौथे स्थान पर है. केन्या, चीन और श्रीलंका इस मामले में भारत से आगे हैं.
चाय के निर्यात में भले ही भारत चौथे स्थान पर हो मगर इसके उत्पादन में भारत दूसरे स्थान पर है. चाय की सबसे ज़्यादा खपत भारत में ही होती है.
कहा जाता है कि चीन ने ही पूरी दुनिया को सबसे पहले चाय पीना सिखाया था इसलिए ज़ाहिर है कि अभी भी चाय के उत्पादन में उसका दबदबा बरक़रार है. आंकड़ों की अगर बात की जाए तो पूरे विश्व में चाय के उत्पादन का 38 प्रतिशत उत्पादन सिर्फ़ चीन में होता है जो कि 1.9 अरब टन तक आंका गया है.
टी बोर्ड इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 में भारत में कुल 1339.70 अरब किलो चाय का उत्पादन हुआ था. पिछले साल जनवरी से फरवरी माह तक में 30.54 अरब किलो तक चाय का उत्पादन दर्ज हुआ था. रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्तीय वर्ष में भी अप्रैल और नवंबर के बीच भारत ने 572.72 अरब अमेरिकी डॉलर की चाय का निर्यात किया था.
टी बोर्ड के अनुसार असम में बाढ़ के तांडव और कोरोना वायरस महामारी की वजह से 2020 में चाय के उत्पादन में दस प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई है जिसकी वजह से चाय की पत्ती की क़ीमतों में उछाल भी देखने को मिला है.
हालांकि भारतीय चाय संघ के सुजीत पात्रा के अनुसार इस बार चाय की अच्छी पैदावार का अनुमान लगाया गया है क्योंकि पिछले कुछ महीनों से पूर्वोत्तर और पूर्वी भारत में काफी अच्छी वर्षा हुई है. संघ का कहना है कि वर्ष 2020 में कोरोना वायरस महामारी की वजह से ही निर्यात पर कई तरह के प्रतिबंध रहे जिससे नुकसान का सामना करना पड़ा.
सबसे महंगी चाय
बाज़ार में बिकने वाली सबसे महंगी चाय का उत्पादन दार्जीलिंग और असम में होता है और वो इसी ब्रांड के नाम के साथ बिकती हैं यानी ‘दार्जीलिंग टी’ और ‘असम टी’.
इसके अलावा ‘ग्रीन टी’ की भी बहुत ज़्यादा मांग है और ये भी काफी महंगी बिकती है. इन तीनों चाय की अलग-अलग किस्में हैं.
भारत से जिस तरह की चाय का सबसे ज़्यादा निर्यात होता है वो है सीटीसी यानी ‘क्रश-टीयर-कर्ल’ है जिसे ‘प्रोसेस्ड’ चाय भी कहते हैं. इस तरह की चाय का सबसे बड़ा बाज़ार भारत के अलावा मिस्र और ब्रिटेन है. जबकि रूस, इराक और ईरान को भारत पारंपारिक चाय निर्यात करता है. (bbc.com)