राजनांदगांव
राजनांदगांव, 4 मई। डॉ. खूबचंद बघेल पुरस्कार से सम्मानित किसान एनेश्वर वर्मा कहते हैं कि ग्रीष्मकालीन जुताई से मिट्टी की सेहत ठीक रहती है।
उन्होंने कहा कि अच्छी पैदावार के लिए रबी फसलों की कटाई के तुरंत बाद गहरी जुताई कर ग्रीष्म ऋतु में खेत खाली रखना बहुत लाभदायक होता है। ग्रीष्मकालीन जुताई अप्रैल से जून माह तक की जाती है, जहां तक हो सके किसान रबी फसल कटाई के तुरंत बाद मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई कर दें, क्योंकि खेत की मिट्टी में नमी मौजूद होने से बैल तथा ट्रेक्टर को कम मेहनत करनी पड़ती है। इस जोताई से जो ढेले पड़ते हैं, वह धीरे-धीरे हवा और बरसात के पानी से टूटते रहते हैं। साथ ही जुताई से जमीन के सतह में पड़ी फसल अवशेष पत्ते, पौधे के जड़, खेत में उगे हुए खरपतवार आदि नीचे दब जाते हैं, जो सडऩे के बाद खेत की मिट्टी में जीवाश्म, कार्बनिक खादों की मात्रा में बढ़ोत्तरी करते हैं। जिससे भूमि के उर्वरता स्तर और मृदा भौतिक संरचना में सुधार होता हैं।