रायपुर

फेडरेशन के कल से शुरू हो रहे काम बंद-कलम बंद, हड़ताल को माओवादियों का समर्थन
24-Jul-2022 6:33 PM
 फेडरेशन के कल से शुरू हो रहे काम बंद-कलम बंद, हड़ताल को माओवादियों का समर्थन

25 से 29 तक 3 लाख से अधिक अधिकारी-कर्मचारी हड़ताल पर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 24 जुलाई। भाकपा ( माओवादी ) की दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी छत्तीसगढ़ अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन के 25 से 29 जुलाई तक के पांच दिनी कलम बंद काम बंद हड़ताल का पुरजोर समर्थन किया है। साथ ही फेडरेशन के 75 सदस्य संगठनों के सभी 5 लाख कर्मचारियों एवं अधिकारियों का आह्वान करती है कि वे अपने महंगाई भत्ता -भाड़ा भत्ता हासिल करने उक्त हड़ताल में बढ़ - चढक़र हिस्सा लें। जोनल कमेटी के प्रवक्ता विकल्प के हस्ताक्षर से जारी एक बयान में कहा गया है कि कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन एवं टीचर्स एसोसिएशन का आह्वान करती है कि दोनों संयुक्त मंच गठित कर पांच दिनी हड़ताल को अनिश्चितकालीन हड़ताल में तब्दील कर अपनी मूलभूत समस्याओं के हल के लिए आगे बढ़ें। यही एकमात्र रास्ता होगा। यहीं पर यह गौर करने वाली बात है कि राजनेताओं- मुख्यमंत्रियों मंत्रियों व विधायकों के वेतन भत्तों में तो लगातार वृद्धि की जाती है।  जबकि महंगाई भत्ता , भाड़ा भत्ता देने से  अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन बनाकर अपनी जायज मांगों के लिए आंदोलन कर रहे हैं , उसी तर्ज पर इस फेडरेशन को छत्तीसगढ़ के सभी शिक्षक , किसान , मजदूर संगठनों के साथ मिलकर एक महासंघ बनाकर केंद्र , राज्य सरकारों की किसान मजदूर शिक्षक कर्मचारी विरोधी एवं दलित - आदिवासी विरोधी नीतियों के खिलाफ व्यापक , संगठित व जुझारू आंदोलन का निर्माण करने की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए।

विकल्प ने आगे कहा कि विश्व बैंक , अंतरराष्ट्रीय  मुद्रा कोष की शर्मनाक शर्तों के तहत ही केंद्र एवं राज्य सरकारों की ओर से शिक्षा , स्वास्थ्य सहित सभी सरकारी विभागों में लंबे समय से स्थायी नियुक्तियां बंद कर दी गयी हैं . संविदा नियुक्ति , दैनिक वेतनभोगी नियुक्तियां आउट सोर्सिंग आम बात हो गयी हैं . इतना ही नहीं , महंगाई भत्ते में बढ़ोत्तरी न करना , वेतन - भतों में विभिन्न कटौतियां करना जारी हैं ।  केंद्र , राज्य सरकारों के बजटों में पूंजीपतियों को छूट ही छूट देते हुए उन्हें मालामाल किया जा रहा है जबकि मजदूरों , किसानों , कर्मचारियों की लूट ही लूट के जरिए उन्हें बेहाल किया जा रहा है . देश , विदेश के कॉरपोरेट घरानों को अत्यधिक मुनाफा पहुंचाने के तहत ही केंद्र , राज्य सरकारों खासकर केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा धड़ल्ले से एवं बेशर्मी से नित - नयी जन विरोधी नीतियां बनायी व अमल में लायी जा रही हैं। ऐसी स्थिति में कर्मचारियों अधिकारियों को चाहिए कि वे अपनी मांगों तक सीमित न होकर मजदूरों , किसानों , आदिवासियों की मांगों को लेकर भी साझा आंदोलन करने की ओर कदम बढ़ाएं?।

54 हजार स्कूलों में ताला

इस पांच दिवसीय हड़ताल में प्रदेश के 2 लाख से अधिक शिक्षक और शिक्षाकर्मी भी शामिल हो रहे हैं। इसकी वजह से प्रदेश के 54 हजार सरकारी स्कूलों में तालेबंदी की स्थिति रहेगी। क्योंकि शिक्षकों के साथ चपरासी भी हड़ताल पर जा रहे हैं। इसके कारण बच्चों को मध्यान्ह भोजन मिलने पर भी संदेह है। इधर इस हड़ताल की वजह से कल कलेक्टोरेट से लेकर तहसील दफ्तरों में भी सन्नाटा रहेगा। कर्मचारियों ने सामूहिक अवकाश का आवेदन दे रखा है। हड़ताल के कारण आला अफसरों को स्वयं ही कार चलाकर दफ्तर जाना होगा।

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