रायपुर

महासमुंद के सामाजिक बहिष्कार के मामले पर कार्रवाई हो- डॉ. दिनेश मिश्र
24-Jul-2022 9:55 PM
महासमुंद के सामाजिक बहिष्कार के मामले पर कार्रवाई हो- डॉ. दिनेश मिश्र

गृहमंत्री को पत्र, सामाजिक बहिष्कार के संबंध में सक्षम कानून बने

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 24 जुलाई।
अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्र ने  जारी विज्ञप्ति में बताया कि जिला महासमुंद के सिरपुर क्षेत्र के ग्राम अचानकपुर (खडाउपार) से सामाजिक बहिष्कार का एक मामला आया है। डॉ. मिश्र ने प्रदेश के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू  को पत्र लिख कर इस मामले में कार्रवाई की मांग की है, तथा  सरकार से सामाजिक बहिष्कार के संबंध में सक्षम  कानून बनाने के माँग की है।

डॉ. दिनेश मिश्र ने  जारी विज्ञप्ति में बताया कि अचानकपुर में वर्ष 2015 से वहॉ कंवर परिवार के सदस्यों भारतलाल कंवर, अमरीका बाई कंवर, त्रिवेणी कंवर, नीरज कंवर, डायमंड कंवर  व उनके  परिवार को  समाज से न केवल बहिष्कृत कर दिया गया, यह फरमान भी दिया गया कि उस परिवार से यदि कोई बात करेगा तो उस पर जुर्माने लिया जाएगा. उन पर  पूरी तरह से पाबन्दी लगा दी गयी है। उक्त परिवार का गली गांव में निकास, सामाजिक कार्यक्रमों में शामिल होने, हुक्का-पानी बंद कर दिया गया है, कंवर विवाह होने में भी परेशानी आ रही है।
 
परिवार में शादी होने पर 30 हजार का जुर्माना रख दिया,  जिससे डर कर उनके परिवार की शादी में न ही गांव के लोग शामिल हुए और न ही समाज के लोग शामिल हुए और जिससे उक्त परिवार  के सदस्य  परेशान हो गए हैं और समाज में वापस मिलाने के लिए 1 लाख रुपये की मांग की गई। किसी भी व्यक्ति का सामाजिक बहिष्कार अनुचित और अमानवीय है।

डॉ. मिश्र ने कहा महासमुंद के सिरपुर के अचानकपुर (खडाउपार) के कंवर परिवार के सदस्यों ने बताया कि  उन्होंने स्थानीय स्तर   शिकायत भी की है पर कार्यवाही न होने से सामाजिक पंचों के हौसले बुलंद हैं, उक्त परिवार कमजोर आर्थिक परिस्थिति के हैं और  बार बार इस प्रकार की प्रताडऩा होने से गांव में अपमानित और  असुरक्षित महसूस कर रहा है।

देश का संविधान हर व्यक्ति को समानता का अधिकार देता है। सामाजिक बहिष्कार करना, हुक्का-पानी बंद करना एक सामाजिक अपराध है तथा यह किसी भी व्यक्ति के संवैधानिक एवम मानवाधिकारों का हनन है। प्रशासन को  इस मामले पर कार्रवाई कर पीडि़तों को न्याय दिलाने की आवश्यकता है, साथ ही सरकार को सामाजिक बहिष्कार के  संबंध में एक सक्षम कानून बनाना चाहिए.ताकि किसी भी निर्दोष को ऐसी प्रताडऩा से गुजरना न पड़े।

किसी भी व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक रूप से  प्रताडऩा देना, उसका समाज से बहिष्कार करना  अनैतिक एवं गम्भीर अपराध है।  शासन से अपेक्षा है सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ सक्षम कानून बनाने की पहल करें, ताकि  हजारों बहिष्कृत परिवारों को न केवल न्याय मिल सके,  बल्कि वे समाज में सम्मानजनक ढंग से रह  सकें।

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