रायपुर
रायपुर, 5 मार्च। 7 मार्च को सम्पूर्ण भारत वर्ष में होली का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, परंतु राजधानी के हृदय स्थल भक्त प्रहलाद धाम जोरापारा में मनाई जानी वाली होती बड़े ही अनूठे ढंग से मनायी जाती है। ऐसी मान्यता है कि नि:संतान दंपत्ति यदि होली के दिन भक्त प्रहलाद की पूजा-अर्चना करते हैं तो उनकी सूनी गोद अवश्य भरती है, होली के दिन बकायदा रात में मेले सा माहौल हो जाता है। नि:संतान दंपत्ति पुत्र की आस में नियत समय पर भक्त प्रहलाद की पूजा करने यहां पहुंच जाते हैं और पूजा-अर्चना करने के बाद बारी-बारी से दंपत्ति भक्त प्रहलाद की मूर्ति को अपने घर ले जाते हैं और नियमित रूप से पूजा करते हैं इनके बाद मूर्ति दूसरे दंपत्ति को सौंप दी जाती है। यह क्रम होली तक एक वर्ष चलते जाता है।
भक्त प्रहलाद धाम समिति एवं आजाद सोशल एवं स्पोर्ट्स क्लब के संरक्षक विमल गुप्ता अध्यक्ष राजेन्द्र कोल्हारकर और कार्यकर्ता सुशील नागदेव ने बताया कि लगभग 96 वर्ष से होलिका दहन, कार्यक्रम विधिवत रूप से किया जा रहा है, 31 साल से मनोकामना पूर्ण हो रही है।
प्राचीन परंपरा के अनुसार फाल्गुन पूर्णमासी के दिन होलिका दहन के समय भक्त प्रहलाद की मूर्ति को होलिका की गोद में बैठाया जाता है और दहन होते समय भक्त प्रहलाद की मूर्ति गोद से निकाल ली जाती है। इसके बाद नि:संतान दंपत्ति बारी-बारी से भक्त प्रहलाद की मूर्ति को अपने घर ले जाते हैं और लगभग पंद्रह दिन या एक माह तक पूजा अर्चना करने के बाद मूर्ति को समिति के पास वापस कर देते हैं। इसके बाद दूसरी नि:संतान दंपत्ति मूर्ति को अपने घर ले जाती है। यह काम पूरा एक वर्ष तक चलते रहता है।