दुर्ग

भिलाई के बहुचर्चित अर्चना टावर की पीएमओ में शिकायत बाद फंसा पेंच, फिर खुलेंगी फाईलें
06-Mar-2023 3:03 PM
भिलाई के बहुचर्चित अर्चना टावर की पीएमओ में शिकायत बाद फंसा पेंच, फिर खुलेंगी फाईलें

आबंटन से लेकर भवन अनुज्ञा की होगी जांच
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भिलाई नगर,  6 मार्च।
भिलाई के मौर्या चंद्रा सिनेमाघर के ठीक सामने नेशनल हाईवे पर खड़े अर्चना टावर की शिकायत अब प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंच गई है। शिकायतकर्ता भाजपा नेता शारदा गुप्ता ने बताया कि अर्चना टावर को लेकर निगम प्रशासन ने नीति नियमों का खुला उल्लंघन किया है। उन्होंने 6 पेज का विस्तृत विवरण कलेक्टर सहित प्रधानमंत्री कार्यालय को शिकायत स्वरूप भेजा है।

बताया जा रहा है कि इस बेशकीमती भूमि को विघटित साडा के तात्कालीन अध्यक्ष की स्वीकृति अनुसार 1997- 98 में कब्जे के आधार पर प्रचलित नियम शर्तों एवं दर पर समीर बंसल, यशवीर बंसल, विजय गुप्ता एवं शशि गुप्ता को क्रमश: भूखंड क्रमांक ए1 ए2 ए3 ए4 का आबंटन किया गया था। प्रत्येक भूखंड का क्षेत्रफल 247.4 वर्ग मीटर है। 

आबंटितों द्वारा स्थल पर भवन निर्माण हेतु अनुज्ञा प्रदान करने के लिए निगम में समय-समय पर आवेदन प्रस्तुत किया गया था किंतु शासन स्तर पर वर्ष 2002 में उद्यान एवं वृक्षारोपण की भूमि का आबंटन करने की शिकायत लंबित होने के कारण आवेदकों को भवन अनुज्ञा प्रदान नहीं की गई थी। फिर 12 फरवरी 2013 को शिकायत के आधार पर शासन के निर्देशानुसार निगम से 29 अप्रैल 2013 को निगम ने प्रकरण नस्तीबध्द किया और विभाग में कोई शिकायत जांच लंबित नहीं होना बताया। 

15 मई 2013 को विजय गुप्ता एवं श्रीमती शशि गुप्ता तथा 20 जून 2013 को मीरा बंसल और यशवीर बंसल को भवन अनुज्ञा और निर्माण अनुज्ञा जारी कर दी गई। आबंटितियों द्वारा क्रेता अर्चना देवी जैन के साथ विक्रय अनुबंध कर निगम में नामांतरण की अनुमति का आवेदन पत्र प्रस्तुत करने पर निगम में 3 अक्टूबर 2013 को हस्तांतरण की अनुमति प्रदान की गई है। विक्रेतागणों द्वारा क्रेता के पक्ष मे उप पंजीयक कार्यालय दुर्ग में हस्तांतरण प्रपत्र का पंजीयन करा कर पंजीकृत अभिलेख निगम में प्रस्तुत करने पर क्रेता श्रीमती अर्चना देवी का नाम दर्ज किया गया। 

जब आबंटन के संबंध में शासन स्तर पर पुन: शिकायत की गई तो 9 दिसंबर 2013 को निर्माण कार्य तत्काल बंद करने नोटिस दी गई है। शासन द्वारा भूखंड आबंटन के संबंध में प्राप्त शिकायत के आधार पर संचनालय नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा गठित जांच समिति के द्वारा प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन के आधार पर संबंधित प्रकरण में कब्जे के आधार पर किए गए व्यवस्थापन के अंतर्गत भूखंडों के आबंटन में अनियमितता पाई गई अत: भूखंड आबंटन दी गई। 

तात्कालीन आयुक्त द्वारा 13 मई 2014 को शासन को पत्र भेज बताया गया कि भूमि का नामांतरण एवं भवन अनुज्ञा हेतु छत्तीसगढ़ नगर पालिका अधिनियम 1956 के अनुसार नगर पालिका निगम भिलाई अधिकृत है। 

दूसरी तरफ अर्चना जैन द्वारा उन्हें निगम द्वारा निर्माण कार्य बंद करने जारी नोटिस 31 दिसंबर 2013 के विरुद्ध उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ बिलासपुर में रिट याचिका लगाई गई जिस पर 16 अप्रैल 2014 को आदेश पारित आदेश प्राप्ति के 2 माह के भीतर जांच पूर्ण कर निराकरण किए जाने का निर्देश शासन को दिया गया था।

इसके बाद महापौर परिषद की बैठक में 6 अगस्त 2014 में संकल्प पारित किया गया कि जांच समिति के प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन के आधार पर संबंधित प्रकरण में कब्जे के आधार पर किए गए व्यवस्थापन के अंतर्गत भूखंडों के आबंटन में अनियमितता पाई गई है,
ऐसी स्थिति में आबंटन एवं नामांतरण की कार्रवाई संदेहास्पद एवं नियम विरुद्ध परिलक्षित होने के कारण आंबटन एवं नामांतरण को निरस्त करते हुए इस मामले को शासन स्तर पर उच्च स्तरीय जांच कराए जाने और दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों कर्मचारियों पर नियमानुसार कार्यवाही किए जाने तथा प्रश्नाधीन प्रस्तावित विवादित स्थल को जनहित के कार्य के लिए आरक्षित रखे जाने पर सर्वसम्मति से संकल्प पारित किया गया। 
 

अर्चना देवी जैन द्वारा भूखंड क्रमांक ए1 ए2 ए3 ए4 पर भवन अनुज्ञा हेतु 18 मार्च 2016 को दिए आवेदन को तत्कालीन आयुक्त द्वारा 19 मई 2016 को निरस्त किया गया। छत्तीसगढ़ शासन के पत्र 13 मार्च 2019 के अनुसार प्रकरण में विभाग द्वारा पूर्व में प्रेषित पत्र 29 फरवरी 2016 के अनुसार कार्यवाही करने हेतु आयुक्त को निर्देश प्रदान किया गया। 

तत्कालीन आयुक्त ने अर्चना देवी जैन को भवन अनुज्ञा प्रपोजल क्रमांक 3814, 3817, 3818 दिनांक 18 अप्रैल 2019 एवं भवन अनुज्ञा प्रपोजल क्रमांक 3816 दिनांक 20 अप्रैल 2019 को अनुज्ञा प्रदान कर दी गई। इस भवन अनुज्ञा पर रोक लगाने डॉक्टर दिवाकर भारती प्रभारी सदस्य नगरीय नियोजन एवं भवन अनुज्ञा भिलाई द्वारा कलेक्टर दुर्ग को 9 सितंबर 2019 को शिकायत पत्र प्रस्तुत की गयी थी। 

कलेक्टर द्वारा जांच समिति का गठन किया गया, जिसका जांच प्रतिवेदन 22 सितंबर 2020 को प्राप्त हुआ। जांच समिति से प्राप्त अभिमत की कंडिका क्रमांक 2 के अंतिम पैरा में उल्लेखित अनुसार प्रदत्त भवन अनुज्ञाओं में छत्तीसगढ़ भूमि विकास नियम 1984 के नियमों का पालन नहीं किया गया है। अत: भवन अनुज्ञा को नियमानुसार निरस्त करने के पश्चात भूखंड आबंटन एवं नामांतरण की अनुमति के संपूर्ण प्रस्ताव नियमानुसार सामान्य सभा में विचारार्थ रखे जाने का लेख किया गया एवं एवं अभिमत के कंडिका क्रमांक 3 के अनुसार तत्कालीन आयुक्त नगर पालिका निगम भिलाई द्वारा शासन के निर्देशों के पालन किए बिना भवन अनुज्ञा जारी की गई है, के संबंध में संबंधित अधिकारी कर्मचारी के विरुद्ध विधिवत अनुशासनात्मक कार्यवाही का निर्देश दिया गया था। 
उप सचिव छत्तीसगढ़ शासन नवा रायपुर द्वारा प्रकरणों में सुनवाई हेतु निर्धारित 29 दिसंबर 2020 को सुनवाई के पश्चात 6 मार्च 2021 द्वारा परीक्षण में निम्नलिखित तथ्य पाए जाने का उल्लेख किया गया है कि प्रस्तुत भवन अनुज्ञा भूमि हस्तांतरण नामांतरण से संबंधित

दस्तावेज का परीक्षण किया गया तथा उभय पक्षों को सक्षम में चुना गया प्रकरण पर विधि सलाहकार से भी अभिमत भी प्राप्त किया गया। 
दस्तावेज के परीक्षण में तथ्य पाए गए कि विभाग के जारी पत्र 28 फरवरी 2014 के संदर्भ में आयुक्त नगर पालिका निगम भिलाई द्वारा पत्र 13 मई 2014 मे प्रतिवेदित किया गया कि निगम प्रशासन की बैठक 14 सितंबर 1998 एवं 24 सितंबर 1998 के अनुसार प्राधिकरण के द्वारा आवंटित भूखंड/ भवन/दुकानों के पंजीयन एवं नामांतरण की कार्रवाई तद्समय प्रचलित नियम शर्तों के अधीन चालू रखे जाने का संकल्प पारित किया गया था। 

राज्य शासन के पत्र 24 सितंबर 1998 मे यह निर्देश दिए गए थे कि प्राधिकरण द्वारा क्रियान्वित की जा रही योजनाओं में रिक्त भूखंड भवन/ दुकान की आवंटन किया जाए। 

संबंधित चारों आबंटितियों को तत्कालीन प्राधिकरण समिति की बैठक 6 मई 1994 में पारित संकल्प क्रमांक 1 के अनुसार निर्धारित दर पर व्यवस्थापन किया गया था। निगम गठन के पश्चात राज्य शासन के पत्र 24 सितंबर 1998 में प्राप्त निर्देशानुसार आबंटितियों से ऑफर

राशि जमा कराकर पंजीयन कराया गया है। निगम स्तर पर और कोई शिकायत लंबित न होने कारण आवेदकों को नियमानुसार भवन अनुज्ञा जारी की गई, अत: उसमें किसी प्रकार के अनियमितता का प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है।

उप सचिव छत्तीसगढ़ शासन के पत्र 11 अगस्त 2021 के अनुसार नगर पालिका निगम भिलाई द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन एवं आवेदिका के लिखित कथन के परीक्षण उपरांत प्रकरण के समस्त बिंदु चूंकि भवन निर्माण अनुज्ञा से संबंधित है, अत: छत्तीसगढ़ नगर पालिका निगम अधिनियम 1956 एवं अन्य संगत नियमों के अंतर्गत परीक्षण कर नियमानुसार कार्रवाई किया जाना सुनिश्चित करेंगे का लेख किया गया है। इस गोल मोल प्रकरण की शिकायत अब पीएमओ में किए जाने से उलझा हुआ यह मामला अब चर्चा में आ गया है।

 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news