दुर्ग
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कुम्हारी, 13 मार्च। रंगों के त्योहार रंगपंचमी पर ऋतंभरा साहित्य समिति कुम्हारी की काव्य गोष्ठी नंदलाल यादव के निवास में सोल्लास सम्पन्न हुई।
मुख्य अतिथि साधुदास वैष्णव व संस्थाध्यक्ष नारायण वर्मा ने मां सरस्वती की मूर्ति के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर गोष्ठी का शुभारंभ किया। नंदलाल यादव ने अतिथियों व कवियों का स्वागत छत्तीसगढ़ के पारंपरिक बताशा हार पहनाकर किया। साधुदास वैष्णव ने अपने उद्बोधन में कहा -हमें परंपरा बचानी है, किन्तु पाखंड से दूर रहना होगा। देश और समाज को कवि ही दिशा देता रहा है।
नारायण वर्मा ने सभी कवियों को रंगपंचमी पर अपनी मंगलकामनाएं दी। उन्होंने छत्तीसगढ़ी व्यंग्य कविता का विटामिन खाएं रे संगी... का तरन्नुम में पाठ किया। सुरेश वाहने ने संचालन करते हुए प्रेरक लघुकथा वास्तविक का वाचन किया। रविन्द्र कुमार थापा ने अपनी आशु कविता में समय की मानवीय त्रासदी का बखूबी वर्णन किया।
रघुनाथ देशमुख ने होली पर वृद्ध के रंगीन मिजाज का वर्णन करते हुए हास्य रचना की प्रस्तुति दी। जगन्नाथ निषाद ने पर्यावरण संरक्षण बल देते हुए कवितापाठ किया। गोष्ठी का समापन करते हुए नंदलाल यादव ने होली पर आई विकृति पर कटाक्ष करते हुए छत्तीसगढ़ी कविता पढ़ी।