दुर्ग
भिलाई-दुर्ग में पुलिस गश्त बेअसर, सीसीटीवी ही बना एकमात्र हथियार ?
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भिलाई नगर, 16 मार्च। दुर्ग जिले में लंबे समय से घर के बाहर रात में टहल रहे लोगों से मोबाइल छीन बाईक सवार आरोपी आसानी से भाग जा रहे और पुलिस के पास सीसीटीवी खंगालने के आलावा कोई दूसरा चारा फिलहाल नजर नहीं आ रहा है। यह अलग बात है कि आरोपी क्षेत्र में बाकायदा रेकी कर लगातार घटनाएं कारित कर कानून के हाथों से ऐसे निकल जा रहे मानो उन्होंने भी आस पास के सीसीटीवी देख रखे हैं।
ज्ञात हो कि हाउसिंग बोर्ड, सुंदर नगर, नेहरू नगर, सुपेला, कैंप क्षेत्र, वैशाली नगर सहित टाउनशिप के लगभग सभी सेक्टर में मोबाइल छीनने के लगातार बढ़ते मामलों में कुछ ही थाना तक पहुंच पा रहे हैं क्योंकि मोबाईल चोरी, छीने जाने या गुमने की घटनाओं पर पुलिस महकमा एक पुरानी सोच और ढर्रे के मुताबिक ही अब तक मामलों को ट्रीट करता रहा है नतीजतन पीडि़त को लेकर सभी थानों का मिजाज जगजाहिर है।
पिछले कुछ महीनों में मोबाईल छीने जाने की कई वारदातों में देखा गया है कि आरोपी बाईक की नंबर प्लेट निकाल दो से तीन सवारी शहर की गलियों में निकलते हैं और सडक़ किनारे टहल रहे या मोबाइल पर बात कर रहे लोगों को निशाना बना रहे हैं।
सामने वाला अचानक मोबाईल उसके हाथ से छीने जाने की घटना को जब तक समझ बाईक के पीछे दौड़ लगाता है आरोपी आंखों के सामने से निकल जाते हैं। उसके बाद थाना जाना, शिकायत दर्ज करने की मिन्नतें, मोबाईल बिल खोजने की हुज्जत और पुलिस के मौका मुआयना तक संबंधित अपराधी मोबाईल स्विच आफ कर आसानी से अपने ठिकानों तक लौट आते हैं।
सवाल यह भी है कि ऐसी वारदातों के बाद पुलिस महकमे के पास सीसीटीवी खंगालने के आलावा क्या कोई अन्य कारगर तरीके आरोपियों तक पहुंचने हैं भी या नहीं। क्योंकि फुटेज के आधार पर इक्का दुक्का मामले शायद ही होंगे जिनमें आरोपी तक पहुंच पुलिस मोबाईल रिकवर कर पाई हो।
आईईएमआई नंबर के आधार पर ट्रेसिंग तभी संभव है जब सेट में सिम एक्टिव हो जबकि सूत्रों से जानकारी यह भी मिली है कि संबंधित अपराधों से जुड़े आरोपी ऐसे मोबाईल सेट को यूज करने की बजाय उसे चंद रूपयों में ऐसे मोबाईल सेंटर्स में बेच रहे हैं जहां मोबाइल को डिसेबल कर उसके अलग अलग पार्ट्स दूसरे सेट में लगा सेकंड हैंड मोबाईल बताते हुए आसानी से बेच दिया जाता है। इस तकनीक से आईईएमआई नंबर की पूछ परख और ट्रेकिंग भी किसी काम की नहीं रह गई है। शहर के पाश इलाकों में मोबाईल छीनने की बढ़ती घटनाओं पर नकेल कसने सायबर यूनिट अपनी क्रियाशिलता कैसे और कब साबित करेगा, यह भी विचारणीय पहलु है। भिलाई दुर्ग में रात्रि 8 से 11 बजे तक लगातार हो रही एक ही तरह की वारदातों ने जिला पुलिस की गश्त व्यवस्था को भी बड़ा चैलेंज दिया है।
गौरतलब है कि पुलिस गश्त इसलिए भी चैलेंज हुई है कि जामुल थाना अंतर्गत ढांचा भवन कुरुद तालाब के बगल से अक्षरधाम कालोनी में घर के बाहर खड़ी कार के चारों पहिए चोरों ने बड़ी आसानी से खोले और साथ लेकर निकल गए। इस घटना ने चौक चौराहों पर बनाए गए पुलिस गश्त पाइंट की अहमियत और तत्परता को भी चुनौती दिया है।
ढांचा भवन निवासी भरत सिन्हा ने अपनी कार सीजी 07 सीएच 6675 को देर रात अपने घर के ठीक बगल स्थित खाली प्लॉट में खड़ा किया था। सुबह उठकर देखा तो कार के चारों पहिए गायब हैं। कोई अज्ञात व्यक्ति आया कार को जैक से उठाया और पहिया खोलकर अपनी गाड़ी में रखकर ले गया। चोर पत्थर के सहारे कार को खड़ा कर जैक भी ले गए। जामुल पुलिस ने बताया कि घटना रात 12 बजे से 3 बजे के बीच की है, सीसीटीवी फुटेज खंगाल रहे हैं।
विदित हो कि अक्षर धाम कालोनी में चोरी का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी यहां लगी तार फेंसिंग चोरी हुई है, खड़ी एक गाड़ी को आग लगाया जा चुका है। निर्माणाधीन मकान का लोहा और पंप की मोटर तक चोरी जा चुकी है। भिलाई टाउनशिप में रखे लोहे के डस्टबिन तक चोरी हो गए और आरोपी आज तक पुलिस की पकड़ में नहीं आए।
मोबाईल छीनने और ऐसी ही छोटी चोरियों के सैकड़ों मामले केवल सीसीटीवी फुटेज खंगाल फाईलों में दर्ज जरूर हैं लेकिन लगातार ऐसी घटनाएं कारित करने वाले आरोपियों को बिल से बाहर निकाल पाने में दुर्ग जिला पुलिस असफल ही रही है।