रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 13 सितंबर। एमजी रोड स्थित जैन दादाबाड़ी प्रांगण में चल रहे मनोहरमय चातुर्मासिक प्रवचन श्रृंखला में पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व की द्वितीय प्रभात पर बुधवार को नवकार जपेश्वरी साध्वी शुभंकरा श्रीजी ने कहा कि धर्म फूल है कांटा नहीं धर्म प्यार है चांटा नहीं। दुनिया के हर कोने में धर्म की व्यवस्था बनी हुई है ताकि किसी भी तरह से मानव जागृत हो जाए। आज लोगों को नींद की गोली लेने पर भी नींद नहीं आ रही है। बेताबी इतनी बढ़ गई है कि गर्मी के दिनों में एसी में भी चैन नहीं और ठंड में हीटर भी कोई काम नहीं आ रहा है।
कुछ लोग तो घड़ी देखकर टाइम बिता रहे हैं, एक-एक पल उनके लिए भारी पड़ रहा है। किसी भी व्यक्ति के जीवन में सुकून नहीं है, नींद हराम हो चुकी है। अब आपको सुकून कहां मिलेगा। आप सत्संग में जाइए और सत्संग सुनते-सुनते यदि नींद का एक झोंका आ जाए तो उसका स्वाद बहुत मीठा होगा। सत्संग में यदि नींद आ जाए तो यह समझ लेना आपका मन शांत हो चुका है। क्योंकि अशांत मन लेकर जब आप प्रवचन में जाएंगे तो उसे ग्रहण नहीं कर पाएंगे और जब ग्रहण करेंगे तो मन में सुकून आएगा और उस समय यदि नींद का झोंका आ गया तो यह तो सोने पर सुहागा है।
साध्वीजी कहती है कि आज अंतर आत्मा की जागृति के लिए सभी लोग लगे हुए हैं कोई सुबह योग करता है कोई मॉर्निंग वॉक करता है कोई ध्यान करता है। जैसे ही पर्यूषण पर्व आता है, वैसे ही सभी के अंदर शंखनाद हो जाता है। श्रद्धा में जुटे हुए लोग सब दूर-दूर से दादाबाड़ी पहुंच रहे हैं भक्ति का माहौल बन रहा है और लोग धर्म का लाभ लेने लगे हैं। पिता के सामने जब बेटा आगे बढ़ जाता है तो उन्हें बहुत खुशी होती है और दादा के सामने जब पोता आगे बढ़ जाता है तो वह भी गदगद हो जाते हैं। हर पिता की यह चाह होती है कि उनके रहते-रहते बेटा अपने पैरों पर खड़े हो जाए। वैसे ही जब कोई धर्म के क्षेत्र में आगे बढ़ता है, तो हमें भी बहुत खुशी मिलती है।