रायपुर

अगले बरस एक से अधिक राष्ट्रीय पुरस्कारों की तैयारी में सांकरा सरपंच शशि
14-Sep-2023 2:19 PM
अगले बरस एक से अधिक राष्ट्रीय पुरस्कारों की तैयारी में सांकरा सरपंच शशि

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 14 सितंबर। देश की कुल 3 पंचायतों को स्वस्थ पंचायत का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला, तो उसमें से एक छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले की सांकरा पंचायत भी है। वहां की सरपंच शशि धु्रव को कुछ और राष्ट्रीय पुरस्कार न मिलने का मलाल है जो कि एक-दो नंबरों से चूक गई हैं।

 

सांकरा पंचायत में 12 महिला और 8 पुरुष पंचों की फेहरिस्त है। सरपंच, उपसरपंच और पंचों के अलावा गांव के बड़े बुजुर्ग भी पंचायत में होने वाले अच्छे कामों में सहयोग करते हैं।

सांकरा पंचायत में उपसरपंच और पंचों के अलावा गांव के बड़े बुजुर्ग भी पंचायत में होने वाले अच्छे कामों में सहयोग करते हैं। सरपंच शशि ध्रुव इस सम्मान से खुश हैं और आगे भी कई कामों के साथ अन्य राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए मेहनत कर रही हैं। उनका कहना है कि कुछ पुरस्कार के लिए एक-दो नंबरों से हम चूक गए हैं। अब अगले बरस के लिए एक से अधिक राष्ट्रीय पुरस्कारों की तैयारी में हैं।

राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कार लेकर वे लौटीं तो ‘छत्तीसगढ़’ अखबार के संपादक सुनील कुमार से ‘इंडिया-आजकल’ यूट्यूब चैनल के स्टूडियो में उन्होंने अपनी पंचायत की कामयाबी की वजहें गिनाईं। उन्होंने वह गाना भी सुनाया जो कि वे राष्ट्रीय समारोह में राष्ट्रपति के सामने गाकर आई हैं। इस बातचीत के कुछ संपादित अंश प्रस्तुत हैं।

सांकरा सरपंच शशि धु्रव  ने बताया -विद्यार्थी जीवन से जन सेवा की भावना थी और पति भी  चाहते थे कि समाज सेवा के क्षेत्र में आऊं। इसलिए जनप्रतिनिधि बनीं।

उन्होंने बताया कि  वह जनपद सदस्य रहकर वर्ष 1994 से 1998 के बीच रिसगांव, खल्लारी  में काम किया। सांकरा में पहली बार 2005 से 2010 तक सरपंच रही। अभी सरपंच का दूसरा कार्यकाल हैं और इसी दौरान राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।

उन्होंने बताया कि उनके सांकरा पंचायत को स्वस्थ पंचायत थीम पर राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। जिसमें 50 लाख से पुरस्कृत किया गया। राष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाले सरपंचों में महिला सरपंचों की संख्या ज्यादा थी। उन्होंने कहा कि बगैर कोई व्यवधान पंचायत के जरिए ही राशि अंतिम व्यक्ति तक जाता है और उनका विकास होता है।

उन्होंने बताया कि पुरस्कारों में जो राशि मिली है, उससे पंचायत का विकास करेंगे, स्वास्थ्य के लिए ज्यादा काम करेंगे।

 

स्वस्थ पंचायत के लिए किए कार्यों के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि सभी स्वस्थ रहेंगे, तभी पंचायत का विकास होगा। अस्पताल में सुविधाएं रहेंगी तो वहां पर्याप्त इलाज होने से लोग स्वस्थ रहेंगे। सबसे पहले अस्पताल में सुविधाएं बढ़ाना प्राथमिकता में है।

इसी बात को प्राथमिकता देते हुए सम्मानित होने से पहले गांव में मितानिनों की बैठक बुलाकर एक रूपरेखा तैयार की। चूंकि गांव में मिनी पीएचसी है और वहां कुष्ठ, टीबी जैसे मरीजों के लिए अस्पताल में अलग-अलग वार्ड है। अत: मितानिनों को वजन नापने की मशीन दी। अब वे घर-घर जाकर बच्चों का वजन नापती हैं।

हमने गांव के कमजोर बच्चों को गोद लिया, ताकि बच्चों की सही देखभाल हो सके। कोरोना काल के समय टीकाकरण का पहला और दूसरा डोज सभी लोगों को लगाया। इसके बाद बूस्टर डोज एक ही दिन में लगवाया। इस काम में मितानिनों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और गांव के पढ़े लिखे लोगों की टीम तैयार की। ताकि एक ही दिन में सभी का टीकाकरण संभव हो सके।

राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए किस तरह आवेदन दिया के सवाल पर उनका कहना था कि हमारे काम की पहले जांच की गई कि सभी काम हुए हैं या नहीं। हमने जो भी काम किया उसका वीडियो बनाया। मरीजों के ठीक होने का विवरण रखा। फार्म भरने के बाद जनपद से जिला में जांच हुआ। राज्य के बाद दिल्ली में छंटनी हुई। हमने कई पुरस्कारों के लिए आवेदन दिया था। लेकिन एक-दो थीम में 2-5 नंबर से चूक गए।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2021-22 में पीएम आवास नहीं मिला और दिव्यांगों के लिए रैंप नहीं बनाया, इसलिए नंबर कटे। अब उस कमी को दूर करना है और फिर से राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए कोशिश करनी है। राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने पर बधाई किसने दी के सवाल पर कहा -मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पहली बधाई दी , भाजपा से 5 महीने बाद भी बधाई नहीं मिली।

फिर टिकट मिलने के सवाल पर कहा-मायका कांग्रेस में है और ससुराल भाजपा में है। इसलिए भाजपा से सिहावा विस से टिकट मांगी, पर नहीं मिली।

सांकरा पंचायत वनांचल में स्थित नक्सल प्रभावित और आदिवासी बहुल है। आदिवासी बच्चों को स्कूल में ही मध्यान्ह भोजन से पेटभर खाना मिलने की बात उन्होंने बताई।

पौष्टिक आहार के सवाल पर संपादक ने सुझाव दिया कि मध्यान्ह भोजन के पहले बच्चों को नाश्ता भी मिले। यदि बच्चों को गुड़ चना मिल जाता तो बच्चे अच्छे से पढ़ सकेंगे। जिस पर शशि ध्रुव ने पंचायत में इसे लागू करने की सहमति दी।

जीवन से जन सेवा की भावना थी और पति भी  चाहते थे कि समाज सेवा के क्षेत्र में आऊं। इसलिए जनप्रतिनिधि बनीं।

उन्होंने बताया कि  वह जनपद सदस्य रहकर वर्ष 1994 से 1998 के बीच रिसगांव, खल्लारी   में काम किया । सांकरा में पहली बार 2005 से 2010 तक सरपंच रही। अभी सरपंच का दूसरा कार्यकाल हैं और इसी दौरान राष्ट्रपति पुरस्कार मिला।

उन्होंने बताया कि उनके सांकरा पंचायत को स्वस्थ पंचायत थीम पर राष्ट्रपति पुरस्कार मिला है। जिसमें 50 लाख से पुरस्कृत किया गया। राष्ट्रपति पुरस्कार पाने वाले सरपंचों में महिला सरपंचों की संख्या ज्यादा थी। उन्होंने कहा कि बगैर कोई व्यवधान पंचायत के जरिए ही राशि अंतिम व्यक्ति तक जाता है और उनका विकास होता है।

उन्होंने बताया कि पुरस्कारों में जो राशि मिली है, उससे पंचायत का विकास करेंगे, स्वास्थ्य के लिए ज्यादा काम करेंगे।

स्वस्थ पंचायत के लिए किए कार्यों के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि सभी स्वस्थ रहेंगे, तभी पंचायत का विकास होगा। अस्पताल में सुविधाएं रहेंगी तो वहां पर्याप्त इलाज होने से लोग स्वस्थ रहेंगे। सबसे पहले अस्पताल में सुविधाएं बढ़ाना प्राथमिकता में है।  इसी बात को प्राथमिकता देते हुए सम्मानित होने से पहले गांव में मितानिनों की बैठक बुलाकर एक रूपरेखा तैयार की। चूंकि गांव में मिनी पीएचसी है और वहां कुष्ठ, टीबी जैसे मरीजों के लिए अस्पताल में अलग-अलग वार्ड है। अत: मितानिनों को वजन नापने की मशीन दी। अब वे घर-घर जाकर बच्चों का वजन नापती हैं।

हमने गांव के बच्चों को गोद लिया, ताकि बच्चों की सही देखभाल हो सके। कोरोना काल के समय टीकाकरण का पहला और दूसरा डोज सभी लोगों को एक एक दिन में लगवाया। इस काम में मितानिनों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और गांव के पढ़े लिखे लोगों की टीम तैयार की। ताकि एक ही दिन में सभी का टीकाकरण संभव हो सके। राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए किस तरह आवेदन दिया के सवाल पर उनका कहना था कि हमारे काम की पहले जांच की गई कि सभी काम हुए हैं या नहीं। हमने जो भी काम किया उसका वीडियो बनाया। मरीजों के ठीक होने का विवरण रखा। फार्म भरने के बाद जनपद से जिला में जांच हुआ। राज्य के बाद दिल्ली में छंटनी हुई। हमने कई पुरस्कारों के लिए आवेदन दिया था। लेकिन एक-दो थीम में 2-5 नंबर से चूक गए।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2021-22 में पीएम आवास नहीं मिला और दिव्यांग के लिए रैंप नहीं बनाया, इसलिए नंबर कटे। अब उस कमी को दूर करना है और फिर से राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए कोशिश करनी है।

राष्ट्रपति पुरस्कार मिलने पर बधाई किसने दी के सवाल पर कहा -मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पहली बधाई दी , भाजपा से 5 महीने बाद भी बधाई नहीं मिली।

फिर टिकट मिलने के सवाल पर कहा मायका कांग्रेस में है और ससुराल भाजपा में है। इसलिए भाजपा से सिहावा विस से टिकट मांगी, पर नहीं मिली।

सांकरा पंचायत वनांचल में स्थित नक्सल प्रभावित और आदिवासी बहुल है। आदिवासी बच्चों को स्कूल में ही मध्यान्ह भोजन से पेटभर खाना मिलने की बात उन्होंने बताई।

पौष्टिक आहार के सवाल पर संपादक ने सुझाव दिया कि मध्यान्ह भोजन के पहले बच्चों को नाश्ता भी मिले। यदि बच्चों को गुड़ चना मिल जाता तो बच्चे अच्छे से पढ़ सकेंगे। जिस पर शशि ध्रुव ने पंचायत में इसे लागू करने की सहमति दी।

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