रायपुर

पूरी तरह से कोरोमंडल एक्सप्रेस दुर्घटना की पुनरावृत्ति
30-Oct-2023 4:35 PM
पूरी तरह से कोरोमंडल एक्सप्रेस दुर्घटना की पुनरावृत्ति

घटना स्थल से चश्मदीद यात्री ने ‘छत्तीसगढ़’ को जैसा बताया

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 30 अक्टूबर।
विशाखापट्टनम निवासी ए.शेषगिरी शास्त्री ने दैनिक ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि यह  पूरी तरह से कोरोमंडल एक्स्प्रेस दुर्घटना का रिपीटिशन ही था। शास्त्री, अपने पुत्र के साथ विशाखापट्टनम-पलासा डीएमयू ट्रेन से श्रीकाकुलम स्टेशन जा रहे थे। वे दोनों 5.42 बजे इंजिन के बाद वाली तीसरी बोगी में  सवार हुए थे और ट्रेन 6.50 बजे कंटकापल्ली स्टेशन पर हाल्ट के बाद स्टार्ट ही हुई थी। अभी ट्रेन 3-5 किमी की स्पीड से स्टेशन के डाउन लाइन से यार्ड से निकल रही थी। कि एकाएक ठोकर जैसा जर्क लगा।  और ट्रेन रूक गई।

पीछे की बोगियों के यात्री उतरने लगे थे। हमारी बोगी में कुछ ही लोग थे। लोगों के इधर उधर जाते देख शास्त्री भी उतरे और अपनी ट्रेन के ड्राइवर से पूछा ।उन्होंने बताया कि ओएचई तार टूट गया है,इसलिए ट्रेन झटके से रूक गई । इसलिए ट्रेन 3-4 घंटे तक नहीं चलेगी। अंधेरे में कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। लोगों में भाग भाग बनी हुई थी।तभी एक युवक अपने कंधे पर पानी पाउच की बोरी लेकर मदद के लीए पहुंच ।तब उसने बताया कि पीछे एक ट्रेन ने पलासा डीएमयू पर जा चढ़ी है। बड़ी संख्या में डिब्बे पटरी से उतर गए हैं।

मृतक,और घायलों की भी खबर आ रही है। पीछे की  इस ठोकर से रायगढ़ा पैसेंजर का इंजन, पलासा डीएमयू के गार्ड बोगी पर जा घुसा है। उसी युवक ने बताया कि आधा पौन किमी रोड प्वाइंट है जहां पहुंचने पर विजयनगरम के लिए रात 11 बजे तक बसें उपलब्ध रहेंगी। शास्त्री ने कहा कि वे जैसे तैसे खेतों से होकर रेड प्वाइंट पहुंच कर बस से पहले विजयनगरम फिर विशाखापट्टनम पहुंचे । घर आकर टीवी पर देखा तो इतनी बड़ी दुर्घटना की जानकारी लगी। 

ड्राइवर, गार्ड मृत

शास्त्री ने बताया कि इस दुर्घटना में डीएमयू के गार्ड, और रायगढ़ा पैसेंजर के ड्राइवर, सह ड्राइवर की मौके पर ही मौत हो गई क्योंकि पैसेंजर का इंजिन, डीएमयू के गार्ड बोगी को जोर की ठोकर मारते हुए जा घुसी थी। उन्होंने बताया कि अब तक 16 लोगों की मौत और 50 से अधिक घायल बताया गया है ।

ओवरशूट का मामला

शास्त्री तो गैर रेलवे कर्मी हैं, लेकिन परिवार के कई लोग रेलवे एंप्लाई है। इसलिए रेलवे की ऐसी हर बारीकि को जानते हैं। उनका कहना था कि यह पूरी तरह से कोरोमंडल एक्स्प्रेस का पार्ट -2 ही है। कंटकापल्ली स्टेशन यार्ड के डाउन मेन लाइन से डीएमयू निकल रही थी। नियम, प्रकिया भी  है कि इंजन फ्रंट सिग्नल पोल पार होते ही ग्रीन लाइट, तत्काल बदल कर रेड हो जाए। कल ऐसा नहीं हुआ और डीएमयू, कुछ आगे बढक़र ओएचई टूटने से रूक गई थी। और पीछे से आ रही रायगढ़ा पैसेंजर ग्रीन लाइट देखकर अपनी स्पीड से जा भिड़ी। इसे रेलवे की तकनीकी भाषा में सिग्नल ओवर शूट कहा जाता है । 

गलती किसकी

अब बात आती है 13-15 लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार किसे ठहराया जाए। स्टेशन मास्टर, आउटर सिग्नल केबिन स्टाफ या ड्राइवर, गार्ड को । क्या कंटकापल्ली स्टेशन यार्ड के सिग्नल पोल,पैनल खराब थे। ये खराब थे तो डीएमयू के गार्ड बोगी के पीछे एलवी लाइट खराब था। या रायगढ़ा पैसेंजर के इंजिन का भारी भरकम हेड लाइट खराब। जो कई किमी दूर तक ट्रैक दिखाता है। यदि यह सबकुछ ऐसा ही है तो यह मेंटेनेंस पर सवालिया निशान लगाता है। अब बात ओएचई के टूटने की वजह भी समझ से परे है। आंधी तूफान, बारिश के दिन तो है नहीं। फिर ओएचई टूटना भी मेंटेनेंस की कमी को उजागर करता है। यात्री संरक्षा के नाम पर प्रति टिकट सेस से करोड़ो रूपए वसूलने वाले रेलवे आखिर यह रकम कहां खर्च करता है कि मेंटेनेंस के अभाव में ऐसी दुर्घटनाएं हो जाती हैं। और लोग मौत से जा मिलते हैं। 

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