रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 31 अक्टूबर। वानिकी एवं वन्य जीव विभाग के दैनिक, मासिक वेतन पर कार्यरत कर्मचारियों को श्रम सम्मान राशि के लिए पीसीसीएफ ने 20 करोड़ रूपए जारी किया है। इनमें सर्वाधिक दैनिक वेतन भोगी रायपुर डीएफओ के अधीन हैं।
केवल रायपुर शहर मे 500 दैनिक वेतन कर्मचारी? अपने आप मे सवालिया निशान है? बहुत बड़ा बजट तो हर माह इसी मे खप रहा है। जब इतने कर्मचारियों की जरूरत है तो इसे विज्ञापन निकालकर सीधी भर्ती निकल ले। एक तरफ विभाग बजट के लिए रो रहा है दूसरी तरफ जंगल विहीन रायपुर शहर में विभगीय कार्य में इतने कर्मचारियों को रखने के औचित्य पर प्रश्न उठाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि जब भाजपा ने अपने शासन काल मे सभी दैनिक वेतन भोगियो नियमित कियातब से कांग्रेस सरकार के इन 5 सालो में बिना नियम के इन लोगों को काम पर रखा गया। 500 दैनिक वेतन या 5 करोड़ महीने वेतन के नाम पर अकेले रायपुर में निकल रहे हैं। कमसे कम 150 मजदूर कागजी होने की जानकारी सूत्रों ने दी है और 1.5 करोड़ हर महीने वेतन के नाम पर निकल रहे है।
रायपुर मे ये लोग, कार्यलीन कार्य के अलावा, अपरेटर , ड्राईवर-हेल्पर ,वानिकीय श्रमिक, स्विपर खानसामा बढ़ई, राज मिस्त्री, बिजली मिस्त्री, गायकोठी देख रेख, रात दिन चौकीदार, डाक रनर आदि कामों में रखे गए हैं।वन विभाग के बाहर मंत्रियों,अन्य विभाग के अधिकारियों के यहां घरेलू कार्यों पर बेकारी सेवा मे रखे है। इनकी संख्या 200 के आसपास बताई गई है। इन्हें प्रति माह वेतन भुगतान के नाम पर 6 करोड़ रूपए शासन को चूना लग रहा है इससे अच्छा नियमित करण करदेते तो इतना बजट नही गड़बड़ता। कुछ लोग बंगलों मे मेडमों के सेवा में सरकारी वेतन से निजी सेवा दे रहे है। बच्चों को स्कूल ट्यूशन लाने ले जाने का भी काम कराया जा रहा है। अति तो बिना पात्रता वाले रेंजर जैसे छोटे अधिकारी भी कर रहे है। इतना ही नहीं अफसर अपने कुछ परिजनों, और दोस्तों के यहां होने वाले बड़े आयोजनों के लिए भी इन श्रमिकों को भेजते हैं।
इनसे आचार संहिता में भी सेवा मे लगे है। इन्हें चुनावी कार्य में न संलग्न कर रखा हो इसकी भी खबरें हैं। इनके जरिए वन ग्रामों में साड़ी ,पैसे और प्रलोभन की अन्य वस्तुओं का वितरण भी कराया जा रहा है।