रायपुर
एक के कारण सब निपटे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 25 नवम्बर। राज्य सरकार ने संस्कृति एवं राजभाषा विभाग के अधीन आधा दर्जन आयोग,शोधपीठों का कार्यकाल खत्म कर दिया है। चुनाव से पहले बीते दो तीन वर्ष में गठित निगम, मंडल आयोग और शोध पीठ के मनोनीत पदाधिकारियों पर यह पहली कार्रवाई है।
बताया जा रहा है कि एक भाषाई अकादमी के पदाधिकारियों से अपेक्षित नतीजे न मिलने को देखते हुए सरकार ने सभी का कार्यकाल खत्म कर दिया है। समाज विशेष के लोगों ने चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों के पक्ष में खड़े नजर नहीं आए। सरकार को रिपोर्ट मिली है कि समाज के वोट भाजपा, निर्दलीय और आप पार्टी के पक्ष में गए हैं। इसलिए सरकार ने कार्यकाल बढ़ाने में रूचि नहीं ली। संचालनालय ने 22 नवंबर को कार्यकाल वृध्दि का प्रस्ताव भेजा था। आधा दर्जन आयोग, शोधपीठ, परिषदों के पदाधिकारियों का दो वर्ष का कार्यकाल 27 नवंबर को खत्म हो रहा है। लेकिन सरकार ने वृद्धि न करने का फैसला किया है । इनमें साहित्य अकादमी, पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी शोध पीठ, श्रीकांत ञ्जद्धद्गद्घह्ल शोधपीठ,आदिवासी लोक कला अकादमी, छत्तीसगढ़ सिंधी अकादमी और कला अकादमी शामिल हैं।
संचालनालय सूत्रों ने बताया कि सभी अध्यक्षों पदाधिकारियों को कार्यकाल समाप्ति की सूचना दे दी गई है। और सारी सुविधाएं, मानदेय भुगतान की पात्रता भी वापस ले ली गई है । अध्यक्षों को एक लाख रूपए मानदेय और सदस्यों को केवल बैठक में हिस्सेदारी का मानदेय,भत्ते दिए जाते हैं ।
इन परिषदों की उपादेयता को लेकर दावे,प्रतिदावे पर अफसरों का कहना है कि प्रदेश में साहित्यिक, कला, नृत्य नाटक के आयोजनों में राष्ट्रीय स्तर के कलाकारों से संपर्क, आमंत्रण में मदद मिलती रही है।