रायपुर
धान को बचाने सीएम के निर्देश
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 27 नवंबर। पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से प्रचुर मात्रा में, प्रदेश में बंगाल की खाड़ी से नमी आने की वजह से प्रदेश के एक बड़े हिस्से में आज सूरज की लुकाछिपी रही। राजधानी में जहां सुबह से बादल हल्के छाए रहे इस वजह से राजधानी का तापमान 4 डिग्री गिरकर 25.5 दर्ज किया गया। वहीं दोपहर को बेमेतरा और आसपास हल्की बुंदा बांदी भी हुई। वहीं प्रदेश के अनेक जिलों में एक-दो स्थानों पर हल्की वर्षा होने अथवा गरज-चमक के साथ छींटें पडऩे की संभावना है। प्रदेश में न्यूनतम तापमान यानी रात में ठंड बढऩे के पूरे आसार हैं।
दो दिन न्यूनतम और अधिकतम तापमान में कोई विशेष परिवर्तन होने की संभावना नहीं है। उत्तर दिशा से आ रही ठंडी हवा से सरगुजा संभाग में पिछले एक हफ्ते से लगातार तापमान में गिरावट दर्ज की जा रही है। अंबिकापुर में रविवार को इस सीजन में पहली बार पारा 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे पहुंच गया। अंबिकापुर का न्यूनतम तापमान 9.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
छत्तीसगढ़ के शिमला कहे जाने वाले मैनपाट और बलरामपुर जिले के सामरी पाट इलाके में भी ठंड के तीखे तेवर हैं। लोगों को ठंड से राहत पाने अलाव का सहारा लेना पड़ रहा है। मौसम विभाग ने सोमवार को प्रदेश के एक-दो स्थानों पर हल्की वर्षा की संभावना जताई है। इसके साथ ही पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से दो दिनों में न्यूनतम तापमान में विशेष बदलाव नहीं होगा। नवंबर बीतने को है और अच्छी ठंड शुरू नहीं हो सकी है। ग्रामीण क्षेत्रों और आउटर में ही ठंड का प्रभाव ज्यादा है।
विज्ञानियों ने रायपुर में सोमवार की सुबह कुहासा रहने तथा बाद में आकाश साफ रहने की संभावना जताई है। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि उत्तर भारत में सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ के असर से राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात एवं उत्तरी छत्तीसगढ़ में 27 व 28 नवंबर को आसमान में बादलों की आवाजाही बनी रहेगी। इस दौरान एक-दो स्थानों पर गरज-चमक के साथ हल्की वर्षा की संभावना है। मौसम विज्ञानी एचपी चंद्रा ने बताया कि हवा की दिशा पूर्ववर्ती बनी रहेगी और नमी की मात्रा बढ़ेगी।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश में बारिश की संभावना को देखते हुए कलेक्टरों को खरीदी केंदों में धान का बेहतर रखरखाव सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा है कि प्रदेश में इस समय समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी की जा रही है, धान को बारिश से बचने के लिए उपार्जन केन्द्रों में कैप कवर, ड्रेनेज सहित सभी जरूरी इंतजाम किए जाएं। धान खरीदी केंद्रों पर किसानों की सहूलियत का ध्यान रखा जाए। धान उपार्जन केन्द्रों का भ्रमण कर बारिश से धान को सुरक्षित रखने की सभी व्यवस्था सुनिश्चित कर लें। प्रदेश के उपार्जन केन्द्रों में 9 लाख टन से अधिक धान वर्तमान में है। सभी जिले यह सुनिश्चित करें कि धान के सुरक्षित रख रखाव की व्यवस्था समितियों, उपार्जन केन्द्रो में की जाए।