दुर्ग

कुत्ते ने काटा, पीडि़त और मालिक थाने पहुंचे
28-Nov-2023 3:05 PM
कुत्ते ने काटा, पीडि़त और मालिक थाने पहुंचे

पत्रकारवार्ता में पीडि़त ने लगाए कई आरोप

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

भिलाई नगर, 28 नवंबर। पीडि़त सुरेंद्र सिंह ने पत्रकारवार्ता में बताया कि पिछले दिनों हाउसिंग बोर्ड में डाग बाईट के बाद उपजे विवाद की रिपोर्ट लिखाने पीडि़त भिलाई के जामुल थाना पहुंचा और उसकी रिपोर्ट लिखने को जैसे ही एसआई नाहर सिंह तैयार होते हैं, अचानक दूसरे पक्ष से एक महिला खुद को भी पीडि़त बताते हुए नाहर सिंह को फोन पर बात कराने का प्रयास करती है। उनके मना करने पर फोन स्पीकर पर वह जबरन एसआई को फोन पकड़ा देती है। नाहर सिंह के हैलो कहते ही फोन पर कोई महिला खुद को पीपल फॉर एनिमल्स की मेनका गांधी बताते हुए डाग बाईट पीडि़त की रिपोर्ट लिखने पर ट्रांसफर और सस्पेंड करवाने की धमकी देती है।

यह फोन सांसद मेनका गांधी का ही था या नहीं इसकी पुष्टि हम करना भी नहीं चाहते क्योंकि नाहर सिंह ने फोन पर कह भी दिया कि आप ट्रांसफर करा दीजिए। 

ज्ञात हो कि सन 1992 से पीपल फॅार एनिमल्स नामक एक गैर-सरकारी संगठन आरम्भ करने वाली पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी का यह संगठन पूरे भारत में (पशु) आश्रय चलाता है।

 पीडि़त सुरेंद्र सिंह ने पत्रकारवार्ता में आगे बताया कि तथाकथित मेनका गांधी का फोन कटने के बाद में वह महिला पुलिस पर उसकी एफआईआर पहले लिखने का दबाव बनाती है और पीडि़त सुरेंद्र सिंह द्वारा उसे डंडे से मारने का आरोप लगाते हुए उसके खिलाफ धारा 294, 323 के तहत अपराध दर्ज करवाने सफल हो जाती है।

जामुल पुलिस ने सुरेंद्र सिंह की एफआईआर नहीं लिखी है, कुछ मशक्कत और मिन्नतों बाद घटनाक्रम का सीसीटीवी फुटेज साक्ष्य के तौर पर प्रस्तुत करने पर थाना प्रभारी और सीएसपी छावनी ने एसआई को निर्देश दिया कि सुरेंद्र की भी काउंटर रिपोर्ट दर्ज करें नतीजतन फोन पर ड्यूटी अफसर पर दबाव बनवाने वाली महिला सुष्मिता डे (31 वर्ष) के खिलाफ धारा 289 और 336 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया है।

 पत्रकारवार्ता में सुरेंद्र सिंह (56 वर्ष) ने आरोप लगाया कि उसे आधा दर्जन घेरने और काटने वाले सभी डॉग्स सुष्मिता डे के ही पालतू हैं जिनके गले में उन्होंने पट्टा पहना रखा है, ताकि निगम की टीम शिकायत के बाद भी गली-मोहल्ले के लोगों को दौड़ाने और काटने वाले इन कुत्तों पर आवारा कुत्तों की तरह धरपकड़ कार्रवाई न कर सके।

पीडि़त का कहना है कि जब सुष्मिता डे के पालतु कुत्ते किसी को काटते हैं तो वो उन्हें स्ट्रीट डॉग बता कर पल्ला झाड़ लेती है बाकि समय खुद को पीपल फॉर एनिमल्स एनजीओ संचालिका बताती हंै।

उनके साथ पत्रकारवार्ता में पहुंचे हाउसिंग बोर्ड निवासी विक्की शर्मा ने बताया कि सुष्मिता डे और उनके पालतू डॉग्स के खिलाफ मोहल्ले के अनेक पीडि़त लोगों ने थाना में शिकायत की, पर हर बार किसी न किसी की पहुंच बता कर पुलिस को कार्रवाई न करने वो दबाव बनाती रही हैं। सच्चाई यह है कि पूरा मोहल्ला उससे परेशान है।

मोहल्लेवासियों के अलावा कई स्ट्रीट वेंडर को भी इस गली से गुजरते समय कुत्तों ने काटा है। यहा़ं विरोध पालतू जानवर का नहीं, लोग शौक से पालें मगर ये पालतु जब इंसान के लिए खतरा बन जाएं तो चुप बैठना उनके लिए संभव नहीं। अगर सुष्मिता डे रिहायशी क्षेत्र में बड़ी संख्या में कुत्तों की पालनहार मालकिन हैं तो उनसे लोगों को खतरा न हो इसकी जवाबदेही से सुष्मिता डे बच नहीं सकती।

खुद टीआई पीडि़त को मामला आगे न बढ़ाने और सबकुछ सैटल करने की बात कहते हैं तो मतलब साफ है कि वो दबाव में आमजनों के हितों की रक्षा करने की बजाय दबाव बनाने वालों के पक्षधर हैं। चूंकि सीसीटीवी फुटेज से स्पष्ट है कि सुरेंद्र सिंह ने सुष्मिता डे को डंडे से नहीं मारा तो फिर फुटेज देखने के बाद भी पुलिस महिला के दबाव में धारा 294, 323 के तहत जुर्म कैसे दर्ज कर सकती है।

मामले में घटनास्थल पर विवाद बढ़ाने की बजाय पीडि़त पहले ही साक्ष्य के साथ थाना आता है और पुलिस दबाव में आकर उसी को आरोपी बना देती है, यह सरासर ग़लत और कानून व्यवस्था के खिलाफ भी है, इसलिए पुलिस को गलत आरोप लगाने वाली सुष्मिता डे पर बिना दबाव में आए तत्काल एक्शन लेना चाहिए।

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