महासमुन्द

रबी की तैयारी, रागी मिलेट्स फ सलों पर जोर
29-Dec-2023 2:39 PM
रबी की तैयारी, रागी  मिलेट्स फ सलों पर जोर

धान की फ सलों का लक्ष्य शून्य

महासमुंद, 29 दिसंबर। रबी सीजन की तैयारियां महासमुंद जिले भर में शुरू हो चुकी है। अनेक स्थानों पर साधन संपन्न किसान अपने खेतों में हल चला रहे हैं, वहीं कुछ स्थानों पर नर्सरी भी लगाई जा चुकी है। कृषि विभाग भी इसे लेकर खाद बीज के भंडारण की तैयारियां लगभग पूरी कर चुकी है। रबी सीजन में रागी मिलेट्स फसलों को प्रोत्साहित करने के लिए विभाग ने धान की फसलों का लक्ष्य शून्य कर दिया है। यानी धान के स्थान पर रागी तथा अन्य फसलों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

गत वर्ष किसानों को रागी 5 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक मिलने की वजह से इस बार पुन: किसान रागी की फसल लेने तैयार हो रहे हैं। सुबह से किसान मजदूरों के साथ खेतों में पहुंचकर साफ. सफाई करने में जुटे हुए हैं। जुताई के लिए तैयार करने से गांव-गांव के खेत-खार में इन दिनों आग लगाई जा रही है। क्षेत्र में लगातार घट रहे भूमिगत जल के स्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए सरकार ने किसानों से रबी सीजन में धान की फसल के बदले दलहन-तिलहन मिलेट्स की फसल लेने की अपील की थी। लेकिन क्षेत्र के किसानों ने दलहन-तिलहन की फसल लेने में कोई रुचि नहीं दिखाई और धान की फसल लेने की तैयारी में जुट गए हैं किसानों की मानें तो क्षेत्र के किसान एक हजार हेक्टेयर में मक्का, 400 में चना, मटर, 100 में मसूर, 300, मूंग 2000, उड़द 800, तिवरा 500, कुल्थी 100, अन्य दलहन 50 हेक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।  इसी प्रकार मूंगफली 100 तथा अन्य तिलहनी फसलें मिलाकर 7 हजार 950 हेक्टेयर का लक्ष्य बनाया गया है। दरअसल रबी सीजन में पानी की कमी को देखते हुए किसानों को मिलेट्स तथा दलहनी.तिलहनी फसलों के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। किसानों के मुताबिक दलहन.तिलहन की फसल को प्राकृतिक आपदा, जंगली जानवर, बंदर और पशु-पक्षियों से बचाना मुश्किल हो जाता है। खरीफ फसल की हार्वेस्टर से कटाई के बाद पैरा पराली खेतों में ही छोड़ दिए गए हैं। जिसे अब किसान रबी फसल की तैयारी में आग के हवाले कर नष्ट कर रहे हैं।

कृषि विज्ञानियों का कहना है कि भूमि में फसल के लिए उपयोगी सूक्ष्म बैक्टीरिया, खेतों में आग लगाने से जलकर नष्ट हो जाते हैं। इससे किसानों को नुकसान होता है। किसान कहते हैं कि वे दलहन-तिलहन की फसल लेना चाहते हैं। लेकिन होने वाली परेशानियों को देखते हुए वे मजबूरी में धान की फसल लेते हैं। सूरजमुखी फसल लेने पर तोता और अन्य फसल लेने पर जंगली सूअर के उत्पात से फसल ले पाना नामुकिन हो जाता है। इस वजह से धान की खेती करने की विवशता है। फसल चक्र परिवर्तन के लिए अनुकूल वातावरण किसानों को नहीं मिल रहा है।

गौरतलब है कि वर्ष 2023-24 के लिए विभाग ने प्रतिवेदन तैयार कर लिया है। इसके तहत इस बार धान के लक्ष्य को शून्य कर 500 हेक्टेयर में रागी की फसल लेने का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि गत वर्ष 1 हजार हेक्टेयर में रागी की फसल ली गई थी। वहीं रबी सीजन में 2 हजार क्विंटल बीज 8379 मि.टन खाद भंडारित है।

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