रायपुर
फेरबदल से बचने लगे जुगाड़ में
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 4 जनवरी। आईएएस अफसरों के तबादले को बाद अब विभागों में तबादले होने हैं।
नए वन मंत्री केदार कश्यप ने कल कामकाज सम्हालने के बाद अरण्य भवन में अफसरों के साथ समीक्षा बैठक की। बताया गया है कि मंत्री ने रेंजर से लेकर डीएफओ तक के ऐसे अफसरों की सूची मांगी है, जो चार वर्ष तक एक ही स्थान पर पदस्थ रहे। और कांग्रेस सरकार के कृपा पात्र रहे। खासकर चुनाव में जंगल क्षेत्र के विधानसभा सीटों में भाजपा के खिलाफ काम किया।
सूत्रों ने बताया कि इसके बाद ये सभी भाजपा के मैदानी और संगठन के बड़े नेताओं से संपर्क करने लगे हैं। सभी भाजपा सरकार में भी फिट होने के जुगाड़ में जुट गए हैं। 40 वन मंडलों वाले वन विभाग में करीब डेढ़ दर्जन डीएफओ चार वर्ष से एक ही रेंज में पदस्थ है । इसी तरह से करीब 46 रेंजर भी। इनमें से अधिकांश कांग्रेस समर्थक बताए जा रहे हैं। जो मंत्री तक पहुंच बना रहे हैं। इन पर आरोप लगते रहे हैं कि 5 साल तक पूर्व मंत्री के नाम पर धौंस जमाते रहे हैं। और भाजपा कार्यकर्ता, नेताओं के रिश्तेदार वन कर्मियों खासकर रेंजर, सहायक रेंजरों को परेशान करते रहे। इसे देखते हुए भाजपा नेताओं में अभी से नारजगी देखने मिल रहा।
रेंजर और अन्य वर्ग के कर्मचारी नेता भी अपनी कुर्सी बचाने वन मंत्री के यहां चककर काट रहे। रेंजर संघ का प्रमुख रायपुर में 5 साल से रायपुर वन मडल में डटा हुआ है जो स्वयं को पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा का नजदीकी बताते नहीं थकता।
गौरतलब अब देखना है की भाजपा इस बार ऐसे हितेेैषियों को कैसे छांट पाती है। इसी तरह से संगठन को राजनांदगांव, केसकाल, महासमुन्द के डीएफओ के भी नाम दिए गए हैं जो चर्चित रहे हैं। जाति विशेष के होने की वजह से मंत्री के करीबी रहे हैं। रायपुर डीएफओ के साथ उनका पूरा अमला 4 साल से राजधानी में ही पदस्थ है।
इसी तरह से जंगल सफारी में भी डायरेक्टर सह डीएफओ और उनके मातहत डॉक्टर से लेकर अन्य कर्मी भी 6 वर्षों से एक ही जगह जमे हुए हैं। इस दौरान सफारी और वहां के जानवरों के रखरखाव में ढिलाई, लापरवाही की खबरें लगातार सुर्खियां बनती रही है । एक माह पहले दिन यहां कुल 24 में से 17 चौदह चौसिंगों की मौत चर्चा मेंं रही। भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने मंत्री से सौजन्य भेंट कर ऐसे अफसरों की संपत्ति की भी जांच की मांग की गई है ।