राजनांदगांव
महापौर का दावा नियमानुसार खरीदी, विपक्ष ने कहा मौखिक आदेश
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 18 जनवरी। शहर के मानव मंदिर चौक में त्रिशूल स्थापना की तैयारी में जुटी महापौर हेमा देशमुख पर खरीदी को लेकर विपक्ष ने आरोपों की झड़ी लगा दी है। महापौर का दावा है कि त्रिशूल की खरीदी नियमानुसार की गई है। जबकि विपक्ष 12 लाख रुपए की त्रिशूल खरीदी के लिए मौखिक आदेश को आधार बताकर महापौर पर हमलावर है।
बताया जा रहा है कि टेंडर के जरिये खरीदी नहीं की गई है। इस पर विपक्ष ने महापौर को कटघरे में खड़ा किया है। एल्डरमैन निधि से 12 लाख रुपए की खरीदी कर मानव मंदिर चौक में त्रिशूल स्थापना की तैयारी महापौर के द्वारा की जा रही है। यह मुद्दा अब राजनीतिक तौर पर गरमा गया है।
गौरतलब है कि मानव मंदिर चौक को महापौर देशमुख ने महाकाल चौक के रूप में नामकरण करने की घोषणा की है। उस आधार पर वह चौक में त्रिशूल स्थापना करना चाहती है। इसके लिए उन्होंने त्रिशूल खरीदी भी की है। बताया जा रहा है कि त्रिशूल की खरीदी प्रक्रिया में कई तरह की खामियां बताकर विपक्ष मामले की जांच करने की मांग पर अड़ गया है।
विपक्ष का आरोप है कि लोगों की धार्मिक भावनाओं के साथ महापौर खिलवाड़ कर रही है। विपक्ष के आक्रमक रूख के बाद महापौर के हवाले से एमआईसी के लोककर्म विभाग के प्रभारी मधुकर बंजारी ने बयान में कहा कि नेताप्रतिपक्ष द्वारा अनर्गल बयानबाजी की जा रही है। महाकाल सेना की मंशानुरूप मानव मंदिर चौक में त्रिशूल स्थापना की तैयारी की जा रही है। बंंजारी का कहना है कि 25 सितंबर 2023 को निर्णय लेकर त्रिशूल लगाने प्रस्ताव शाासन को भेजा गया था। निविदा प्रक्रिया के तहत खरीदी की गई है।
उधर नेता प्रतिपक्ष किशुन यदु ने आरोप लगाया है कि महापौर ने त्रिशूल स्थापना के नाम पर भ्रष्टाचार की नई गाथा लिखी है। यह दुर्भाग्य है कि प्रभु महाकाल के नाम पर भ्रष्टाचार का कलंकित इतिहास लिखने की कोशिश की गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि एल्डरमैन निधि से पहले 20 लाख की त्रिशूल निर्माण का आर्डर दिया गया था, लेकिन अब इसे 12 लाख कर दिया गया है न ही इसमें कोई वर्क आर्डर हुआ है और न ही कोई टेंडर बुलाया गया है। बहरहाल त्रिशूल स्थापना के नाम पर महापौर और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला चल रहा है। इस मामले को लेकर आगे सियासी रूप से माहौल गरम हो सकता है।