महासमुन्द
छत्तीसगढ़ संवाददाता
महासमुंद,17 फरवरी। खेतों में दवाओं का छिडक़ाव करने के लिए अब अत्याधुनिक जीपीएस बेस्ड ड्रोन का इस्तेमाल होने लगा है। लगभग 2 वर्षों से कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को इस नई टेक्नोलॉजी से जोडऩे के लिए ग्रामों में जाकर इसका प्रदर्शन भी किया जाता है। इसी कड़ी में कल समीप के ग्राम धनसुली में किसानों को ड्रोन से कीटनाशक का छिडक़ाव कर दिखाया। वहीं युवाओं को भी ड्रोन पायलेट बनकर इसका प्रशिक्षण प्राप्त करने तथा इसमें अपना कैरियर बनाने के लिए प्रमोट किया गया।
मिली जानकारी के अनुसार शासन भी युवाओं को ड्रोन पायलेट बनकर कैरियर बनाने की दिशा में प्रमोट कर रही है। इसके लिए रायपुर में प्रशिक्षण संस्थान खोला गया है। जहां से सर्टिफिकेट कोर्स पूर्ण कर युवा अपना कैरियर बना सकते हैं। समय के साथ ही कृषि में अब तकनीकी का इस्तेमाल तेजी से हो रहा है।
ड्रोन पायलट सर्टिफिकेट हासिल करने के लिए आवेदक का 10वीं पास होना अनिवार्य हैं। वहीं 18.65 साल के बीच का कोई भी व्यक्ति डॉयरेक्ट्रेट जनरल ऑग ड्रोन पायलट बन सकता है। डीजीसीए से अप्रूव््ड इंस्टीट्यूट और फीस डीसीजीए द्वारा अप्रूव्ड किसी भी इंस्टीट्यूट में पायलट ट्रेनिंग की फीस ज्यादातर 65 हजार रुपए से लेकर एक लाख रुपए तक है। फीस में ट्रेनिंग के लिए आवश्यक सभी किट और ट्रेनिंग मटेरियल भी शामिल होता है।
इस वक्त खाद से लेकर कीटनाशक का छिडक़ाव् ड्रोन का उपयोग कर किया जा रहा है। अत:महासमुंद जिले में भी ड्रोन प्रशिक्षण खोले जााने की संभावनाएं है। कृषि विज्ञान केंद्र लेसर से मिली जानकारी के अनुसार पायलट सिर्फ हवाई जहाज उड़ाने वाले ही नहीं बल्कि ड्रोन उड़ाने वाले भी पायलट होते हैं। भारत सरकार की तरफ से ड्रोन उड़ाने के लिए ऑफिशियल वेबसाइट डिजिटल स्काई लॉन उड़ाने की ऑनलाइन अनुमति और सर्टिफिकेशन हासिल कर सकता है। इस प्रक्रिया के लिए पायलट सर्टिफिकेशन से पहले आवेदक को डीजीसीए यानी डॉयरेक्ट्रेट जनरल ऑफ सिविन करनी पड़ेगी।
समय के साथ ही कृषि में अब तकनीकी का इस्तेमाल तेजी से हो रहा है। पंजाब और हरियाणा में तकनीकी का इस्तेमाल कर के हर वर्ष उन्नत कृषि की जाती है। प्रदेश के किसानों को तकनीकी से जोडऩे के लिए ही प्रदर्शन शुरू किया गया है। ड्रोन पायलेट कोर्स युवाओं के कैरियर के लिए एक अच्छा विकल्प होगा-एसके वर्मा, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक,कृषि विज्ञान केंद्र महासमुंद।