दुर्ग

आत्मनिर्भर व विकसित भारत विषय पर 2 दिनी संगोष्ठी
19-Feb-2024 1:21 PM
आत्मनिर्भर व विकसित भारत विषय पर 2 दिनी संगोष्ठी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

दुर्ग, 19 फरवरी। शास.वि.या.ता. स्ना. स्व. महाविद्यालय, दुर्ग के अर्थशास्त्र विभाग में आत्मनिर्भर एवं विकसित भारत / 2047 विषय पर दो दिवसीय 15 एवं 16 फरवरी 2024 राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है।

 इस संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि के रूप में फकीर मोहन स्टेट यूनिवर्सिटी, ओडिशा के पूर्व कुलपति डॉ. कुमार बी.दास, विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इंदौर के प्रो. डॉ. कन्हैया आहुजा, रायपुर के प्रो. डॉ. आर.के. ब्रम्हे तथा प्रबंध निदेशक भारती विश्वविद्यालय, दुर्ग के डॉ. आर.एन. सिंह तथा अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एस.एन. झा उद्घाटन सत्र मेें आधार वक्तव्य दिल्ली विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के प्राध्यापक डॉ. अश्विनी महाजन ने यह बताया कि किस प्रकार प्राचीनकाल से ही भारतीय अर्थव्यवस्था अत्यंत सुदुढ़ एवं आत्मनिर्भर रही है।

उन्होंने कहा कि भारत को यं ही सोने की चिडिय़ा नहीं कहा जाता था। डॉ. अश्विनी महाजन ने आरंभ से वर्तमान तक भारतीय अर्थव्यवस्था की नीतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गुलामी तथा अन्य कारणों से हमारी जीडीपी में गिरावट दर्ज हुई है, किंतु 2047 तक हम निश्चय ही सम्पूर्ण आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सफल होंगे। इसके पूर्व विषिष्ट अतिथि डॉ. आर.एन. सिंह ने कहा कि 2047 तक भारत को पूर्ण विकसित राष्ट्र का दर्जा दिलाने में युवाओं की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण होगी और इसके लिये युवाओं को विवेकानंद के आदर्श को अपनाना होना, जोखिम उठाना होगा और स्वयं को स्किल्ड बनाना होगा।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. कुमार बी. दास ने कहा कि संगोष्ठी के आयोजकों ने एक बेहद सामयिक विषय को चुना है। आत्मनिर्भर एवं विकसित भारत 2047 यह वह स्वप्न है जो हमने खुली आंखों से देखा है, हमारे पास मानव संसाधन अपार मात्रा है, जिसके उपयुक्त प्रयोग से हम अपनी अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बना सकते है।

अर्थशास्त्र की विभागाध्यक्ष डॉ. शिखा अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि विकसित भारत का लक्ष्य प्राप्त करने के लिये हमें दृढ़ संकल्पित होना होगा। संगोष्ठी के प्रारंभ में स्मारिका का विमोचन भी अतिथियों द्वारा किया गया।

संगोष्ठी की संयोजिका डॉ. के. पद्मावती ने संगोष्ठी के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज भारत विश्व की एक बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रहा है, आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना भारतीयों के आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन को और भी समृद्ध  बनाएगी। संगोष्ठी के अध्यक्ष महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एस.एन. झा ने यह विश्वास व्यक्त किया इस दो दिवसीय विचार-विमर्श से निश्चय ही हम अपने देश को आत्मनिर्भर एवं विकसित अर्थव्यवस्था के लक्ष्य तक पहुंचाने के प्रयासों में सफल होंगे।

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