राजनांदगांव
मुकाबला रोचक होने के आसार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 9 मार्च। राजनांदगांव लोकसभा सीट पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के चुनाव मैदान में उतरते से हाईप्रोफाईल सीट बन गई है। इस सीट पर भाजपा-कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व की नजर रहेगी। बघेल का मौजूदा सांसद संतोष पांडे से मुकाबला होगा। राजनीतिक समीकरण के चलते ओबीसी वोटों को साधने के लिए बघेल को कांग्रेस नेतृत्व ने उम्मीदवार घोषित किया है।
राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र में ओबीसी वर्ग की बाहुल्यता है। वहीं आदिवासी मतदाताओं की भी खासी तादाद है। ओबीसी वर्ग के वोटों को कांग्रेस ने अपने पाले में लाने के लिए बघेल को एक मजबूत चेहरा मानकर चुनावी समर में उतारा है।
भाजपा सांसद संतोष पांडे ब्राम्हण वर्ग से वास्ता रखते हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में पांडे ने जीत हासिल की थी। हालांकि उस दौरान भी कांग्रेस ने साहू समाज के भोलाराम साहू को प्रत्याशी घोषित किया था। वह मोदी लहर के सामने टिक नहीं पाए। कांग्रेस को भाजपा ने अच्छे मतों से मात दी थी।
पिछले 5 सालों में जिले की राजनीतिक परिस्थितियां बदल गई है। भाजपा सांसद संतोष पांडे के 5 साल के कार्यकाल को लोगों ने परख लिया है। वहीं भूपेश बघेल की पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते देश के कद्दावर नेताओं में गिनती होती है। नांदगांव संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस का विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन बेहतर रहा।
8 में से 5 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। पार्टी आलाकमान ने कांग्रेस की सफलता के मद्देनजर बघेल के जीतने की संभावना के चलते नांदगांव लोकसभा में भेजा है।
माना जा रहा है कि बघेल के चुनाव मैदान में उतरने के कारण मुकाबला रोचक होगा। बघेल को पटखनी देने के लिए भाजपा पूरजोर कोशिश करेगी। जबकि कांग्रेस की स्थिति जिले में सीटों के लिहाज से बेहतर है। गुजरे 5 साल में मुख्यमंत्री रहते बघेल ने मोहला-मानपुर और खैरागढ़ को जिले की सौगात दी। मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में बघेल की किसान न्याय योजना से लोकसभा के सैकड़ों किसान लाभान्वित हुए थे। आज भी इस योजना को सराहा जाता है। इस बीच बघेल के सामने पांडे को चुनौती फेस करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। पांडे के कार्यकाल को लेकर कांग्रेस मुखर होकर प्रचार करने की तैयारी में है।
पांडे के संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस की ऐतिहासिक जीत को आधार बनाकर कांग्रेस भाजपा को हर मोर्चे में घेरने की तैयारी में है। पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के मैदान में आते ही देशभर के राजनीतिक पंडितों की भी नजर नांदगांव लोकसभा में टिक गई है।
बताया जा रहा है कि बघेल को घेरने के लिए भाजपा भी उनके मुख्यमंत्री रहते बनी फ्लाप योजनाओं को लेकर प्रचार करने तैयारी में है। बघेल पर राजनांदगांव शहर की अनदेखी करने को भी भाजपा चुनावी शस्त्र बनाने की फिराक में है। आने वाले दिनों में चुनावी प्रचार के दौरान एक-दूसरे पर खिलाफ दोनों प्रत्याशी मैदान में लड़ते नजर आएंगे। बघेल को पराजित करने के लिए भाजपा राष्ट्रीय स्तर के नेताओं की चुनावी सभा कराने पर भी विचार कर रही है। राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र पर हर किसी की नजर टिक गई है।