रायपुर
घोड़े पर सवार होकर आ रही माता
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 31 मार्च। सनातन धर्म में नवरात्रि का पर्व देशभर में बहुत श्रध्दा और विश्वास से मनाया जाता है। 9 दिनों तक आदिशक्ति मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा उपासना की जाती है। 9 अप्रैल से नवरात्री की शुरूआत हो रही है। विद्ववानों का मानना है कि माता इस बार घोड़े पे सवार होकर आ रही है। जो कि युद्ध और शौर्य का प्रतिक माना जाता है। कुछ इसे अशुभ मान रहे हैं। और इसे राजनितिक उथल पुथल होने की संभावना जता रहें है। पुजारियों का कहना है कि माता अपने भक्तों का अहित नहीं करती है। और सनातन धर्म के मार्ग पर चलने वालों के लिए इसे शुभ माना जा रहा है। घोड़ा युद्ध का प्रतिक है, जो असत्य पर सत्य की विजय को दर्शाता है।
चैत्र नवरात्री को लेकर शहर के माता मंदिरों में तैयारियां जोरों पर है। चैत्र नवरात्र में इस बार मंदिरों में पिछले वर्ष की तुलना में कलश मनोकामना ज्योति की संख्या बढ़ी है। शहर के पुरानी बस्ती स्थित प्राचीन माता देवालय महामाया देवी, कुशालपुर स्थित मां दंतेश्वरी, आकाशवाणी चौक मां काली, कांकाली पारा के मां कंकाली माता और जेल रोड़ स्थित चामुंडा मंदिर और शहर के छोटे- बड़े माता देवालयों में उत्साह का माहोल है। नवरात्री से पहले भक्तों की भारी भीड़ होने लगी है।
महामाया मंदिर के पुजारी मनोज महाराज ने बताया कि माता महामाया का यह प्राचीन मंदिर सैकड़ों साल से भक्तों के आस्था का केंद्र बना हुआ है। नवरात्री पर मंदिर में शहर के ही नहीं बल्कि दुसरे राज्यों के अलावा देश विदेश से भी भक्त माता के दर्शन और मनोकामना ज्योति जलाते हैं। तेल की ज्योति के लिए सात सौ रूपए राशि रखा गया है। भक्त मंदिर में आकर अपनी सहयोग राशि जमा करा रहे हैं। मंदिर में 4 हजार से अधिक आवेदन प्राप्त हो चुके हैं। जो नवरात्री तक 11 हजार का लक्ष्य पार कर जाती है।
पुजारी ने बताया कि नवरात्र की पूरी तैयारियां हो चुकी है। 9 अपै्रल को सूर्योदय के साथ प्रतिपदा तिथि प्रारंभ हो रहा है। जिसके लिए मंगलवार को सुबह 11.36 से 12. 24 तक शुभ मुहूर्त में मंदिर प्रांगण में जोत जलाया जाएगा। जिसके बाद माता की आरती की जाएगी।
कुशालपुर स्थित मां दंतेश्वरी मंदिर के पुजारी संजय यादव ने बताया कि इस बार लगभग 15 सौ से अधिक जोत जलाया जाएगा। घरों में जलाए जाने वाले ज्योति कलश के लिए सूर्योदय के बाद से दिन भर का शुभमुहूर्त रहेगा।
30 साल बाद ऐसा योग
पंचांग के अनुसार, लगभग 30 साल बाद नवरात्रि पर अद्भुत अमृत सिद्ध योग बन रहा है। इस दौरान देवी की आराधना से कष्टों से छुटकारा मिलेगा। ज्योतिषाचार्य बताते है कि चैत्र नवरात्रि इसलिए भी खास है, क्योंकि हिंदू नववर्ष की शुरुआत भी इसी नवरात्रि से होती है। ज्योतिषाचार्य बताया कि नक्षत्रों में पहला नक्षत्र अश्विनी नक्षत्र माना गया है। अगर मंगलवार को अश्विनी नक्षत्र हो तो वह अमृत सिध्द योग कहलाता है। मंगलवार को अश्विनी नक्षत्र भी है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा भी इसी दिन है। यह संयोग लगभग 30 साल बाद बन रहा है।