दुर्ग

राम प्यारा पारकर स्मृति सम्मान पत्रकार उत्तरा विदानी को
29-Apr-2024 3:47 PM
राम प्यारा पारकर स्मृति सम्मान पत्रकार उत्तरा विदानी को

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 
 भिलाई नगर, 29 अप्रैल
। रविवार को राम प्यारा पारकर स्मृति सम्मान वरिष्ठ पत्रकार व समाजसेवी उत्तरा विदानी महासमुंद को दिया गया। यह आयोजन का 8वां वर्ष है। 

 सुरता रामप्यारा पारकर सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. परदेशीराम वर्मा ने कहा कि श्री पारकर ने अपने व्यस्ततम समय में भी समाज के लिए काफी काम किए हैं। वे मेरे मित्र थे। परदेशीराम वर्मा ने कहा कि इंसान की मौत के बाद लोग उनके कामों को याद करते हैं। लेकिन रामप्यारा का परिवार उनके कामों के साथ उनके नाम पर हर साल सुरता पारकर कार्यक्रम आयोजित करता है, जो वंदनीय है। देश में कोई कोई परिवार ही ऐसा होगा जिन्होंने अपने पुरखा के नाम औ रउनके काम को संजोकर रखा है ताकि हर समाज में एक पारकर की तरह समाज, परिवार और इंसानियत के लिए काम करने में अग्रणी एक और पारकर का जन्म हो सके। ऐसे इंसान के नाम पर मांग के बावजूद सरकार ने उनके गांव में स्थित स्कूल का नामकरण तक नहीं किया, जो अब तक हो जाना चाहिए। लेकिन पारकर के गांव बेलौदी के स्कूल नामकरण श्री पारकर के नाम पर जरूर होगा, ऐसी उम्मीद अब भी बाकी है। उनके परिवार के साथ हम इस मांग पर कायम हैं।  
 

लोक कला एवं साहित्य संस्था सिरजन द्वारा रविवार 28 अप्रैल को सुरता पारकर का आयोजन निर्मल ज्ञान मंदिर कबीर आश्रम नेहरू नगर भिलाई में दोपहर 2 बजे से आयोजित किया गया।

इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.परदेशी राम वर्मा रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता बद्री प्रसाद कैवत्र्य अध्यक्ष माता बिलासा देवी शिक्षण समिति बिलासपुर, विशेष अतिथि डॉ. डीपी देशमुख संपादक कला परंपरा भिलाई, प्रमोद कुमार साहू उपाध्यक्ष निर्मल ज्ञान मंदिर कबीर आश्रम नेहरू नगर भिलाई तथा डॉ. दीनदयाल साहू प्रांतीय अध्यक्ष लोक कला एवं साहित्य संस्था सिरजन, निषाद समाज के प्रांतीय पदाधिकारी व शहीद दुर्वासा लाल निषाद के पिता मुन्नी लाल निषाद उपस्थित रहेे।
 

सम्मान समारोह की अध्यक्षता कर रहे श्री देशमुख ने कहा कि श्री पारकर सभी लोगों के लिए काम करते थे। पेशे से शिक्षक थे तो स््वाभाविक है कि समाज के आधारभूत संरचना को अच्छे से मजबूत बनाने की दिशा में बच्चों को तैयार कर रहे थे। लेकिन उनकी जिम्मेदारी यहीं खत्म नहीं हुई। वे अपने हर पल का हिसाब रखते हुए लोगों को आगे बढ़ाने का काम करते रहे। समाज को संगठित करने का बीड़ा उठाया और हर वो काम किया जो समाज को आगे ले जाने में सहयोग करता हो। जो भी जिम्मेदारी मिली उसे उन्होंने वफादारी से निभाई। आज उनका समाज संगठित है। परिवार संगठित है। समाज में अच्छे काम हो रहे हैं लेकिन मैंने पारकर जी के साथ जिस तरह से निषाद समाज को जाना उसमें बिसाला केंवटिन का नाम और कर्म दोनों अब तक मेरे जेहन में है। बिलासपुर में बिलासा देवी के हाथ में मछली की टोकरी मुझे पसंद नहीं आई। मैं तो यही चाहता हूं एक वीरांगना की तरह जीने वाली बिलासा देवी की आदमकद प्रतिमा में उनके हाथों में मछली की टोकरी नहीं, महारानी लक्ष्मीबाई की तरह तलवार हो।श्री देशमुख ने कहा कि अपने संस्कृति को जीने वाले और नव सृजन करते रहने वाले रामप्यारा पारकर के परिवार की तरह हर परिवार को चाहिए कि अपने पुरखों के नाम पर ऐसे ही उनके  कामों को याद करने हर साल सुरता कार्यक्रम का आयोजन होना चाहिए।   

इस साल सुरता रामप्यारा पारकर कार्यक्रम में साहित्य सम्म्मान पाकर उत्तरा विदानी ने कहा कि अजनबी होकर भी आज पारकर जी के परिवार में मैं शामिल हूं। वैसे भी यह समाज सदियों से बेहद नम्र और पारखी माने जाता रहा है। इस समाज के कामों और इनके लोगों की भावनाओं पर कभी कोई संदेह नहीं किया जा सकता। 

उन्होंने कहा कि रामयाण के छंद सुनि केंवट के बैन प्रेम लपेटे अटपटे को आज भी केंवट निषाद समाज के लोग जीते हैं। पारकर परिवार ने भी इस सम्मान का हकदार बनाकर मुझे अपने समाज, अपने परिवार में शामिल किया है। एक पत्रकार के रूप में, परिवार के सदस्य होने नाते मुझे भी श्री पारकर जी की तरह ही नेक काम करते हुए जीवन के क्षणों को सुखद बनाना है। मेरी भी चाहत है कि सभी लोगों को अपने पुरखों के द्वारा किए गए नेक कामों को इसी तरह साल-दर-साल याद करते रहना चाहिए।
 

अंचल के ख्याति प्राप्त साहित्यकार एवं समाजसेवी रहे राम प्यारा पारकर की स्मृति में यह कार्यक्रम आयोजित की जाती है। उन्होंने महिला जागरण के लिए काफी कार्य किए। अत: उनकी स्मृति को बनाए रखने के लिए प्रतिवर्ष एक महिला साहित्यकार जो समाजसेवी और साहित्य के जुड़ी हों, ऐसी प्रतिभाओं को सम्मानित किया जाता है। इसी कड़ी में इस वर्ष राम प्यारा पारकर स्मृति सम्मान वरिष्ठ पत्रकार व समाजसेवी उत्तरा विदानी महासमुंद को दिया गया।  इसके साथ ही उपस्थित कवियों द्वारा काव्य पाठ किया गया।

इस कार्यक्रम में विशेष रूप से डॉ. नीलकंठ देवांगन, हेमलाल साहू ‘निर्मोही’, ओमप्रकाश जायसवाल, हेमलाल नारंग, लालजी साहू, बद्री प्रसाद पारकर, भगवानी पारकर, भागवत निषाद, ब्रीज कुमारी पारकर, मुकुंद प्रसाद पारकर, प्रदीप कुमार पारकर, रामेश्वर निषाद के अलावा कबीर आश्रम से जुड़े सदस्य, समाजसेवी, बुद्धिजीवी व साहित्यकार उपस्थित रहे। 
 

 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news