रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 12 जनवरी। मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी गुरुवार को मनाया जाएगा। पौष शुक्ल प्रतिपदा 14 जनवरी को सुबह 8.13 बजे मकर राशि में सूर्य का प्रवेश होगा। जिसका पुण्य काल पूरा दिन भर मनाया जायेगा। सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण होने के महात्यम से रचे बसे सूर्योपासना पर्व में स्नान दान का विशेष महत्व माना गया है।
इस दिन दक्षिण भारतीय जहां पोंगल मनाएंगें वहीं महाराष्ट्रीयन तिल संक्रंाति मनाएंगें। संक्रंाति में गुड़ तिल के सेवन के महत्व के कारण बाजार में जगह जगह ठेलों में जहां तिल के लड्डू की बिक्री की जा रही है वहीं पतंग की दुकानों में रंगबिरंगी पतंगों की बहार छाई हुई है।
पं.चंद्रभूषण शुक्ला के अनुसार-संक्रांति का अर्थ होता है सूर्य देव का एक राशि से दूसरे राशि में संक्रमण। यूँ तो संक्रांति हर माह में होता है लेकिन सूर्य देव का धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश के साथ ही अयन में भी परिवर्तन होता है।
अयन का अर्थ है गमन। यानि सूर्य देव का दक्षिण से उत्तर की और गमन करना उत्तरायण कहलाता है। उत्तरायण काल को प्राचीन ऋषि-मुनियों ने जप तप व सिद्धि साधना के लिये महत्वपूर्ण समय माना है।
इस दिन किया गया दान पुण्य अक्षय फलदायी होता है। शास्त्रों के अनुसार, दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि अर्थात् नकारात्मकता का प्रतीक तथा उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात् सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। ऐसी धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढक़र पुन प्राप्त होता है।