रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 8 फरवरी। ध्रुपद् कला केंद्र द्वारा 10 फरवरी से 15 फरवरी तक आनंद नगर स्थित केंद्र में सात दिवसीय नि:शुल्क ध्रुपद गायन प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जा रहा है। कार्यशाला में प्रशिक्षक चंद्र कुशवाह द्वारा संगीत की प्राचीनतम विधा ध्रुपद गायकी की बारीकियों से प्रशिक्षुओं को अवगत कराया जाएगा। कार्यशाला का समापन 16 फरवरी को बंसतोत्सव के रूप में मनाया जाएगा।
ध्रुपदम कला केंद्र के संचालक चंद्र कुशवाह ने बताया वर्तमान में संगीत की सबसे प्राचीन विधा ध्रुपद गायन को दुगुन,चौगुन आदि तक सीमित मान लिया गया है। अमूमन इस मान्यता के कारण ध्रुपद का भाव पक्ष उपेक्षित रह जाता है जबकि शास्त्रीय विधा में ध्रुपद गायन में आलाप,जोड़,झाला,बंदिश और उपज का सुंदर समायोजन समाहित है।
संगीत की सतत साधना करने वाले चंद्र कुशवाहा ने ग्वालियर स्थित ध्रुपद कें द्र से स्कॉलरशिप लेकर जहां ध्रुपद कला रत्न किया वहीं डॉ.रुपाली गोखले,पं.अभिजीत,पं. उदय भावलकर और सचिंदानंद महाराज से ध्रुपद गायिकी की बारीकियां सीखी। चंद्र कुशवाह का कहना है कि ध्रुपद संगीत की जननी है लेकिन बदलते समय के साथ संगीत की प्राचीनतम विधा लुप्त होती जा रही है। इसके विकास के उद्ेश्य से यह कार्यशाला आयोजित की जा रही है।