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टोक्यो ओलंपिक: नीरज चोपड़ा से क्यों है पदक की उम्मीद
28-Jun-2021 3:50 PM
टोक्यो ओलंपिक: नीरज चोपड़ा से क्यों है पदक की उम्मीद

-आदेश कुमार गुप्त

टोक्यो ओलंपिक के लिए पहले ही अपना टिकट पक्का कर चुके और पदक के दावेदार भारत के स्टार एथलीट जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने इसी महीने पुर्तगाल के लिस्बन शहर में हुए मीटिंग सिडडे डी लिस्बोआ टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक अपने नाम किया.

उन्होंने पाँच पुर्तगाली प्रतिभागियों के बीच 83.18 मीटर के थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता.

नीरज चोपड़ा ने यह दूरी अपने छठे और अंतिम प्रयास में नापी. पुर्तगाल के लिएंड्रो रामोस 72.46 मीटर के थ्रो के साथ दूसरे और पुर्तगाल के ही फ़्रांसिस्को फ़र्नांडीस 57.25 मीटर के थ्रो के साथ तीसरे स्थान पर रहे.

आख़िरी थ्रो में लय हासिल की
पुर्तगाल में नीरज चोपड़ा और दूसरे एथलीटों में दूरी का अंतर बताता है कि प्रतियोगिता का स्तर कैसा था.

वैसे नीरज चोपड़ा ख़ुद लगभग 18 महीने बाद किसी अंतराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे थे इसलिए यह जीत उनके मनोबल को बढ़ाएगी. नीरज चोपड़ा का शुरूआती थ्रो 80.71 मीटर का था और इसके बाद उनके लगातार दो थ्रो फ़ाउल साबित हुए.

उनका चौथा थ्रो 78.50 मीटर का था, जबकि पाँचवाँ थ्रो फ़ाउल रहा, लेकिन छठा थ्रो उन्होंने कमाल का किया और 83.18 मीटर की दूरी के साथ सर्वश्रेष्ठ भी साबित हुआ. नीरज चोपड़ा इसी साल मार्च में पटियाला में हुई इंडियन ग्रॉ प्री में 88.07 मीटर तक थ्रो कर चुके हैं, जो उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है.

पुर्तगाल में वह इससे काफ़ी पीछे रहे, लेकिन इसका कारण दूसरे प्रतिभागियों का कमज़ोर प्रदर्शन भी रहा. जब खिलाड़ी कम दम लगाकर भी स्वर्ण पदक जीत सकता है तो वह अधिक कोशिश क्यों करेगा.

क्यों महत्वपूर्ण है यह स्वर्ण पदक
अब सवाल यह उठता है कि क्या इस प्रदर्शन के आधार पर माना जा सकता है कि नीरज चोपड़ा टोक्यो ओलंपिक में पदक जीत ही लेंगे. इस सवाल के जवाब के लिए थोड़ा पीछे जाना पड़ेगा.

कुछ ही महीने पहले फ़रवरी के अंतिम सप्ताह में पटियाला में हुई इंडियन ग्रॉ प्री-2 में मुझे इंडियन एथलेटिक्स फ़ेडेरेशन की ओर से कमेंट्री करने का अवसर मिला और वहीं नीरज चोपड़ा से मुलाक़ात भी हुई.

तब नीरज चोपड़ा ने जैवलिन थ्रो के मुक़ाबलों में हिस्सा तो नहीं लिया था, लेकिन ख़ुश थे कि कोरोना काल के कारण लंबे समय से अभ्यास से दूर खिलाड़ियों को किसी प्रतियोगिता में भाग लेने का मौक़ा तो मिला.

नीरज चोपड़ा की पैनी नज़र जैवलिन थ्रो के इवेंट में शामिल हर खिलाड़ी पर थी. उन्होंने बताया था कि वह प्रतियोगिता उनके तय कार्यक्रम में नहीं थी, लेकिन वह आने वाली प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेंगे.

नीरज चोपड़ा के नाम तब भी 88.06 मीटर के थ्रो का राष्ट्रीय रिकार्ड था. इस शानदार कामयाबी का राज़ उन्होंने साल साल 2018 में हुए एशियाई खेल और राष्ट्रमंडल खेलों के लिए हुई तैयारी को माना. इसके बाद वह कंधे की चोट का शिकार हो गए और तमाम प्रतियोगिताओं से भी दूर हो गए

पुर्तगाल में स्वर्ण पदक जीतने से पहले पिछले दिनों नीरज चोपड़ा की निराशा और व्यथा उन्हीं के शब्दों में तब बयां हुई, जब उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के बिना उनसे टोक्यो में पदक की उम्मीद ना करें, क्योंकि प्रतिद्वंदिता के अभाव में केवल घर में अभ्यास करने से खिलाड़ी के स्तर में सुधार नहीं होता.

नीरज चोपड़ा ने साफ़ साफ़ कहा कि भारत में सभी खिलाड़ी से ओलंपिक में पदक जीतने की उम्मीद लगा लेते हैं, जबकि ऐसा करना मुश्किल होता हैं, क्योंकि बाक़ी विदेशी खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में हिस्सा ले रहे हैं लेकिन भारत के खिलाड़ी ट्रेनिंग कैंप का हिस्सा भर हैं. उनके बीच वह बेहद मुश्किल से 80-82 मीटर तक जैवलिन थ्रो कर पा रहे थे.

तीन महीने पहले सुधारा अपना ही राष्ट्रीय रिकार्ड
साल 2019 नीरज चोपड़ा के लिए बेहद मुश्किलों भरा रहा. वह कंधे की चोट से जूझते रहे और जब फ़िट हुए, तो कोरोना के कारण देसी और विदेशी प्रतियोगिताएँ एक के बाद एक कर रद्द हो गईं. आख़िरकार इसी साल मार्च के पहले सप्ताह में पटियाला में ही हुई इंडियन ग्रॉ प्री-3 में उन्होंने नया राष्ट्रीय रिकार्ड बनाया.

एक साल बाद शानदार वापसी करते हुए उन्होंने 88.07 मीटर जैवलिन थ्रो के साथ अपना ही राष्ट्रीय रिकार्ड तोड़ा. इससे पहले उन्होंने साल 2018 में जकार्ता में हुए एशियाई खेलों में 88.07 मीटर तक जैवलिन थ्रो कर राष्ट्रीय रिकार्ड बनाया था और स्वर्ण पदक भी जीता था.

इससे पहले उन्होंने गोल्ड कोस्ट में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में भी 86.47 मीटर के जैवलिन थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता था.

नीरज चोपड़ा ने साल 2017 में जनवरी में दक्षिण अफ्रीका में हुई सेंट्रल नॉर्थ ईस्ट मीटिंग एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 87.86 मीटर जैवलिन थ्रो कर 85 मीटर के बैंचमार्क को पार कर टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालिफ़ाई किया. इससे पहले कोहनी की चोट के कारण उन्हें सर्जरी भी करानी पड़ी.

क्यों हैं टोक्यो ओलंपिक में पदक के दावेदार
अपने पहले ही ओलंपिक में हिस्सा लेने जा रहे नीरज चोपड़ा से टोक्यो में पदक की उम्मीद इसलिए है, क्योंकि पिछली बार रियो में हुए ओलंपिक में जर्मनी के थॉमस रोहलर ने 90.30 मीटर के थ्रो के साथ स्वर्ण, कीनिया के जूलियस येगो ने 88.24 मीटर के साथ रजत और त्रिनिदाद और टोबैगो के केशोरन वाल्कॉट ने 85.38 मीटर के थ्रो के साथ कांस्य पदक जीता.

ऐसे में अगर नीरज चोपड़ा अपना वर्तमान रिकार्ड थ्रो 88.07 मीटर ही दोहरा दें, तो उनसे टोक्यो में पदक की उम्मीद तो की ही जा सकती है.

जूनियर स्तर से ही दिखाया दमख़म
हरियाणा के पानीपत ज़िले में जन्में 23 साल के नीरज चोपड़ा अंजू बॉबी जॉर्ज के बाद किसी विश्व स्तरीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय एथलीट है. उन्होंने पोलैंड में साल 2016 में हुई आईएसएसएफ U-20 विश्व चैंपियनशिप में यह उपलब्धि हासिल की.

साल 2016 में ही उन्होंने दक्षिण एशियाई खेलों में 82.23 मीटर के थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता. इसके बाद साल 2017 में उन्होंने 85.23 मीटर तक जैवलिन थ्रो कर एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक जीता.

फ़िटनेस पर देना होगा ध्यान
पुर्तगाल में मिले अनुभव ने नीरज चोपड़ा की अंतरराष्ट्रीय अनुभव ना मिलने की शिकायत को तो दूर कर दिया हैं, लेकिन ओलंपिक में पदक पाने के लिए उन्हें अपनी फ़िटनेस पर और ध्यान देना होगा ताकि वह आसानी से अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को बरक़रार रख सकें. अब तो टोक्यो ओलंपिक की उलटी गिनती भी शुरू हो चुकी है.

जैवलिन थ्रोअरों के लिए पिछले ही दिनों दो क्रॉफ्ट ट्रेनिंग गेराट ( केटीजी ) यानी स्ट्रेंथ ट्रेनिंग मशीन भी पटियाला पहुँच चुकी है. जर्मनी में बनी इस एक मशीन की क़ीमत 50 लाख रुपए है, जो पिछले साल ही आ जाती लेकिन कोविड के कारण नहीं आ सकी.

इससे थ्रो करने की ताक़त बढ़ती है. नीरज चोपड़ा और दूसरे जैवलिन थ्रो करने वाले खिलाड़ियों ने इसका इस्तेमाल करना भी शुरू कर दिया है.

भारतीय एथलेटिक्स फ़ेडेरेशन इसी महीने 25 से 29 जून तक पटियाला में राष्ट्रीय अंतराज्यीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप का आयोजन करेगी, जो ओलंपिक का कोटा हासिल करने का अंतिम अवसर होगा.

कोरोना को देखते हुए विदेशी एथलीट भारत आने से डर रहे हैं. अगर कुछ विदेशी एथलीट यहाँ आते, तो कड़ी प्रतिस्पर्धा होती और नीरज चोपड़ा सहित भारत के बाक़ी एथलीटों को भी अपनी ताक़त का अंदाज़ा लगता.

ओलंपिक जैसे बड़े खेल मेले में मिल्खा सिंह और पीटी उषा थोड़े से अंतर से ही पदक जीतने से चूक गए थे, तो ऐसे में नीरज चोपड़ा का तन और मन से फ़िट रहना बेहद ज़रूरी है, ख़ासकर यह देखते हुए कि वर्तमान प्रदर्शन के आधार पर उनमें टोक्यो ओलंपिक में पदक हासिल करने की क्षमता और दमख़म है. (bbc.com)

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