राष्ट्रीय
उत्तर प्रदेश की उन्नाव रेप पीड़िता को दिल्ली की तीस हज़ारी कोर्ट ने सोमवार को निर्देश दिया कि वो मुक़दमा ख़त्म होने तक ज़रूरी हो तभी बाहर जाएं और बाहर जाने से पहले सुरक्षाकर्मियों को सूचित करें.
दैनिक जागरण अख़बार लिखता है कि ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने यह निर्देश पीड़िता के उस आवेदन पर दिया जिसमें उन्होंने उनकी सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रेप पीड़िता को सुरक्षा उपलब्ध कराई गई थी और उनकी सुरक्षा में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ़) के जवान तैनात किए गए थे.
कोर्ट ने कहा कि सुरक्षाकर्मी उनकी सुरक्षा में लगाए गए हैं और बाहर जाने से पहले वह उन्हें सूचित करें. अदालत ने कहा कि 'आप इस तरह से अपना कार्यक्रम बनाएं कि आपको हर दिन बाहर न जाना पड़े.'
इस दौरान कोर्ट ने यह भी पाया कि पीड़िता और उनकी सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मी आपसी सहमति से मामले को हल करने को लेकर सहमत हो गए हैं.
साल 2017 में पीड़िता से रेप मामले में तीस हज़ारी कोर्ट ने उन्नाव से बीजेपी के निलंबित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर समेत अन्य दोषियों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी.
चार मार्च 2020 को अदालत ने सेंगर, उनके भाई और पांच अन्य लोगों को भी पीड़िता के पिता की न्यायिक हिरासत में मौत के लिए दोषी ठहराते हुए दस साल की सज़ा सुनाई थी. (bbc.com/hindi)