अंतरराष्ट्रीय

अफगानिस्तान की आखिरी उम्मीद ‘अहमद मसूद’ बोले- तालिबान के सामने सरेंडर करने से अच्छा मरना पसंद करूंगा
26-Aug-2021 7:05 PM
अफगानिस्तान की आखिरी उम्मीद ‘अहमद मसूद’ बोले- तालिबान के सामने सरेंडर करने से अच्छा मरना पसंद करूंगा

अफगानिस्तान में तालिबान ने एक बार फिर सत्ता हासिल कर ली है लेकिन वो अभी तक पंजशीर नहीं पहुंच पाया है. जिसकी सबसे बड़ी वजह अहमद मसूद हैं, जिनके पिता अहमद शाह मसूद को ‘पंजशीर का शेर’ कहा जाता है. उनके नेतृत्व में नॉर्दर्न अलायंस के लड़ाके तालिबान को कड़ी टक्कर दे रहे हैं और हर मोर्चे पर आतंकी संगठन पर भारी भी पड़ते दिख रहे हैं. इस बीच ऐसी खबरें आईं कि मसूद सरेंडर कर सकते हैं. लेकिन उन्होंने साफ शब्दों में ऐसा करने से इनकार कर दिया है.

अहमद मसूद का कहना है कि वह तालिबान के सामने सरेंडर नहीं करेंगे लेकिन उससे बात करने को तैयार हैं. उनका एक इंटरव्यू बुधवार को फ्रेंच मैग्जीन में प्रकाशित हुआ है. पूर्व उपराष्ट्रपति (वर्तमान कार्यवाहक राष्ट्रपति) अमरुल्ला सालेह भी काबुल के उत्तर में स्थित इस पंजशीर घाटी में अहमद मसूद के साथ हैं . तालिबान के कब्जे के बाद अपने पहले इंटरव्यू में मसूद ने कहा, ‘मैं सरेंडर करने से अच्छा मरना पसंद करूंगा. मैं अहमद शाह मसूद का बेटा हूं. मेरी डिक्शनरी में सरेंडर जैसा शब्द ही नहीं है.’

कोई नहीं कर पाया पंजशीर पर कब्जा
मसूद ने दावा किया कि पंजशीर घाटी में ‘हजारों’ पुरुष उनके नॉर्दर्न अलायंस से जुड़ गए हैं, जिसपर कभी कोई कब्जा नहीं कर सका. उनके पिता ने 1979 में सोवियत आक्रमण के समय भी इस जगह को किले की तरह रखा, जिसे कोई भेद ना सका. ना तो सोवियत संघ यहां पहुंच पाया और ना ही 1996-2001 के दौरान तालिबान यहां आया. हालांकि इस इंटरव्यू के दौरान मसूद ने फ्रेंस राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों सहित दूसरे विदेशी नेताओं से एक बार फिर समर्थन देने की अपील की. साथ ही सही वक्त पर हथियार ना मिलने पर नाराजगी जाहिर की.

‘तालिबान के हाथ में हैं अमेरिकी हथियार’
अहमद मसूद ने कहा, ‘मैं उन लोगों की ऐतिहासिक गलती को नहीं भूल सकता, जिनसे मैं आठ दिन पहले काबुल में हथियार मांग रहा था. उन्होंने मना कर दिया. और इन हथियारों में- तोपखाने, हेलीकॉप्टर, अमेरिका में निर्मित टैंक शामिल हैं, जो आज तालिबान के हाथों में हैं.’ मसूद ने कहा कि वह तालिबान से बात करने के लिए तैयार हैं और उन्होंने संभावित समझौते की रूपरेखा भी तैयार कर ली है. वह कहते हैं, ‘हम बात कर सकते हैं. सभी युद्धों में बातचीत होती है. और मेरे पिता ने भी हमेशा इन दुश्मनों से बात की है.’

अल-कायदा ने की थी अहमद शाह मसूद की हत्या
उन्होंने कहा, ‘कल्पना कीजिए कि तालिबान महिलाओं, अल्पसंख्यों के अधिकारों, लोकतंत्र और एक खुले समाज के सिद्धांत के लिए मान जाए. तो क्यों ना ये समझाने की कोशिश की जाए, कि इन सिद्धातों से उन्हें और बाकी अफगानिस्तान के लोगों को क्या लाभ होगा?’ मसूद के पिता के पेरिस और अन्य पश्चिमी देशों के साथ करीबी संबंध थे. उन्होंने 1980 के दशक में अफगानिस्तान पर सोवियत कब्जे और 1990 के दशक में तालिबान शासन के खिलाफ लड़ने में अहम भूमिका निभाई थी, जिसके चलते उन्हें ‘पंजशीर का शेर’ नाम दिया गया. साल 2001 में 11 सितंबर को अमेरिका पर हुए हमले से ठीक दो दिन पहले अल-कायदा ने उनकी हत्या कर दी थी. (tv9hindi.com)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news