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ईरान नहीं माना तो और भी विकल्प हैं: इसराइली पीएम से बाइडन
28-Aug-2021 3:22 PM
ईरान नहीं माना तो और भी विकल्प हैं: इसराइली पीएम से बाइडन

इसराइली प्रधानमंत्री नेफ़्टाली बेनेट के साथ मुलाक़ात के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि अगर कूटनीति से ईरान के परमाणु संकट का समाधान नहीं होता है तो अमेरिका 'अन्य विकल्प अपनाने के लिए तैयार हैं.'

वॉशिंगटन में नए अमेरिकी राष्ट्रपति और नए इसराइली प्रधानमंत्री के बीच शुक्रवार को ये पहली मुलाक़ात हुई.

बेनेट ने राष्ट्रपति बाइडन के बयान की प्रशंसा की और कहा कि इसराइल कभी भी ईरान को परमाणु हथियार नहीं हासिल करने देगा.

काबुल एयरपोर्ट पर अमेरिकी सैनिकों को निशाना बनाकर किए गए घातक हमले की वजह से बेनेट और बाइडन की मुलाक़ात 24 घंटों के लिए टल गई थी.

बेनेट इस साल जून में ही इसराइल के प्रधानमंत्री बने हैं. उन्होंने कहा कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम उनके एजेंडे के शीर्ष पर रहेगा.

ईरान कहता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण है लेकिन पश्चिमी देश मानते हैं कि ईरान परमाणु बम बनाने की कोशिश कर रहा है.

बेनेट के साथ क़रीब पचास मिनट चली बैठक के बाद बाइडन ने पत्रकारों से कहा कि हम सबसे पहले कूटनीति से ईरान के परमाणु मुद्दे को हल करने की कोशिश कर रहे हैं.

परमाणु समझौते पर अंतिम फ़ैसला बाक़ी
बाइडन ने कहा कि यदि कूटनीति नाकाम हो जाती है तो हम फिर दूसरे विकल्प भी अपनाएंगे. हालांकि उन्होंने ये नहीं बताया कि ये विकल्प क्या होंगे.

ईरान ने 2015 में पश्चिमी देशों के साथ अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर समझौता किया था लेकिन साल 2018 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को इस समझौते से अलग कर लिया था.

ईरान के साथ हुए समझौते को फिर से जीवित करने के लिए वियना में वार्ता चल रही है, लेकिन कुछ महीनों से इसमें भी कोई प्रगति नहीं हुई है.

ट्रंप ने अमेरिका को समझौते से अलग करते हुए ईरान पर प्रतिबंध लगा दिए थे, जिनके जवाब में ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को तेज़ कर दिया है.

हालांकि ईरान ये कहता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है लेकिन अब ईरान हथियार बनाने के स्तर तक यूरेनियम संवर्धन कर रहा है.

राष्ट्रपति बाइडन ने कहा है कि वो ईरान पर लगे प्रतिबंध हटा लेंगे और फिर से समझौते में शामिल हो जाएंगे बशर्ते ईरान समझौते की शर्तों का सख़्ती से पालन करे.

लगी रहीं इसराइली मीडिया की नज़रें
इसराइल के मीडिया की नज़रें बाइडन और बेनेट की इस पहली मुलाक़ात पर टिकी रहीं. प्रधानमंत्री बेनेट को व्हाइट हाउस में दाखिल होते हुए और फिर बाहर निकलते हुए दिखाया गया.

इसराइली अख़बार हॉरेत्ज़ में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि बाइडन और बेनेट के बयान दर्शाते हैं कि भले ही खिलाड़ी बदल गए हैं लेकिन खेल चलता रहेगा.

इसराइली मीडिया में ये भी ज़ोर देकर बताया गया है कि बेनेट और बाइडन की मुलाक़ात तय समय से अधिक चली है जिससे पता चलता है कि ये बैठक कितनी अहम थी.

पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप और पूर्व प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू के बीच गहरे और क़रीबी रिश्ते थे. ट्रंप के कार्यकाल में यरूशलम को इसराइली राजधानी के रूप में मान्यता मिली थी. इसे इसराइल की एक बड़ी कूटनीतिक जीत और अमेरिका से मिली बड़ी राहत के तौर पर देखा गया था.

अब बाइडन ने भी बेनेट को दोस्त कहा है, जिससे ये संदेश देने की कोशिश की गई है कि दोनों देशों के बीच रिश्ते और भाईचारा मज़बूत बना रहेगा.

बाइडन ने ये भी कहा है कि अमेरिका इसराइल के आईरन डोम मिसाइल सिस्टम का समर्थन करता रहेगा. बाइडन ने कहा कि अमेरिका इसराइल की सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है.

हालांकि, दोनों के बीच मतभेद तब नज़र आए जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, "हम इसराइलियों और फ़लस्तीनियों के बीच शांति, सुरक्षा और सद्भावना बढ़ाने को लेकर भी चर्चा करने जा रहे हैं."

बेनेट ने अपने बयान की शुरुआत से पहले काबुल में मारे गए अमेरिकी जवानों को श्रद्धांजली देते हुए कहा कि "मैं यरूशलम से सद्भावना का एक नया साहस लेकर आया हूं."

हॉरेत्ज़ के लेख के मुताबिक़ जब बाइडन ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा का भी मध्य-पूर्व में अमेरिका की नीति निर्धारित करने के लिए शुक्रिया अदा किया जाना चाहिए तो बेनेट उस समय गहरी सांस ले रहे थे.

मीडिया को दिए अपने बयान में बेनेट ने पूर्व प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू के सख़्त लहजे को ही दोहराया.

उन्होंने कहा कि अमेरिका हमारा सबसे क़रीबी दोस्त है, यरूशलम हमारी ऐतिहासिक राजधानी है और हम ईरान को परमाणु हथियार हासिल नहीं करने देंगे.

इसराइल ये कहता रहा है कि वह दुश्मन देशों से घिरा एक छोटा सा देश है और इसलिए इसराइल की सैन्य शक्ति को बनाए रखना ज़रूरी है.

इसराइल को फिर मिल रहा है अमेरिकी समर्थन?
अमेरिका में इस समय डेमोक्रेटिक पार्टी सत्ता में है. हाल के सालों में इसराइल के प्रति डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थन कम हुआ है.

बिन्यामिन नेतन्याहू ने जब राष्ट्रपति पद के लिए डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन किया था तो डेमोक्रेटिक पार्टी और इसराइल के बीच दूरियां और बढ़ गई थीं.

शुक्रवार को हुई मुलाक़ात में बेनेट और बाइडन ने ये दिखाने की कोशिश भी कि वो द्विपक्षीय समर्थन को मज़बूत करने की कोशिश कर रहे हैं.

ईरान के लिए क्या है संदेश?
बाइडन ने ईरान के परमाणु मुद्दे पर कहा कि यदि कूटनीति फेल होती है तो अमेरिका अन्य विकल्पों पर भी विचार करेगा.

राष्ट्रपति बाइडन के इस बयान ने ही सबसे ज़्यादा ध्यान खींचा है और माना जा रहा है कि उन्होंने ईरान को संदेश देने की कोशिश की है.

बेनेट ने राष्ट्रपति के स्पष्ट स्टैंड पर उनका शुक्रिया भी किया और तारीफ़ भी की.

हालांकि राष्ट्रपति ने ये स्पष्ट नहीं किया कि ये विकल्प क्या-क्या हो सकते हैं लेकिन इसे ईरान के लिए एक स्पष्ट संदेश के तौर पर देखा जा रहा है.

हाल के महीनों में ईरान और इसराइल के बीच तनाव बढ़ा है और दोनों ने एक दूसरे के जहाज़ों पर हमले करने के आरोप लगाए हैं.

इसराइल ने ये दर्शाने की कोशिश भी की है कि वो अपनी सुरक्षा के लिए किसी और पर निर्भर नहीं रहेगा और ख़ुद एक्शन लेने के लिए तैयार रहेगा.

अब बाइडन और बेनेट की मुलाक़ात से ये संदेश भी दिया गया है कि अमेरिका इसराइल के साथ मज़बूती से खड़ा है. (bbc.com)

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